नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अंगदान (Organ Donation) करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए एक बड़ा फैसला किया है. सरकार ने बड़ी सर्जरी के बाद ठीक होने में लगने वाले समय को देखते हुए केंद्रीय कर्मचारियों को अंगदान के लिए 42 दिनों का विशेष आकस्मिक अवकाश (special casual leave) देने का फैसला किया है.
इस आदेश से पहले अभी तक 30 दिनों के आकस्मिक अवकाश का प्रावधान था. नए फैसले को लेकर कार्मिक मंत्रालय की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है. आकस्मिक अवकाश की अवधि को बढ़ाने के पीछे मकसद दानकर्ता को ज्यादा आराम देना है. दरअसल, दाता (Organ Donor) के अंग को निकालने के लिए एक बड़ी सर्जरी (surgery) की जरूरत पड़ती है. इसके कारण दाता को स्वस्थ होने में समय लगता है जिसमें अस्पताल में भर्ती के समय और इसके बाद की अवधि शामिल है.
कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक दानकर्ता के अंग को निकालने के लिए किसी भी प्रकार की सर्जरी के बावजूद विशेष आकस्मिक अवकाश की अवधि सरकारी पंजीकृत चिकित्सक/चिकित्सक की संस्तुति के अनुसार अधिकतम 42 दिन होगी. यह अवकाश सभी जीवित दाताओं को प्रदान किया जाएगा बशर्ते दाता को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के अनुसार सरकारी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा अंगदान के लिए विधिवत रूप से अनुमोदित किया गया हो.
इस बीच देखा जाए तो दूसरे इंसान की मदद करने और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच अंगदान को बढ़ावा देने की नेक गतिविधि को ध्यान में रखते हुए जनहित में एक विशेष कल्याणकारी उपाय के रूप में अब यह निर्णय लिया गया है. केंद्र सरकार के एक कर्मचारी को किसी अन्य मानव को अपना अंगदान करने के लिए अधिकतम 42 दिनों का विशेष आकस्मिक अवकाश दिया जाए.
मंत्रालय ने कहा कि वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श से प्राप्त कई संदर्भों या प्रश्नों के आलोक में अंगदाताओं को विशेष आकस्मिक अवकाश देने पर विचार किया गया है. विशेष आकस्मिक अवकाश अस्पताल में भर्ती होने के दिन से सामान्यतः एक बार में लिया जाएगा. हालांकि, जरूरी होने पर सरकारी पंजीकृत चिकित्सक या चिकित्सक की सिफारिश पर सर्जरी से अधिकतम एक सप्ताह पहले इसका लाभ उठाया जा सकता है. आदेश में कहा गया है कि इलाज करने वाले सरकारी पंजीकृत चिकित्सक/चिकित्सक की सिफारिश पर अवकाश के लचीलेपन या विभाजन की अनुमति दी जा सकती है.