भोपाल: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष वी डी शर्मा द्वारा दायर मानहानि के मामले में विशेष अदालत ने शनिवार को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह के खिलाफ भादंसं की धारा 500 के तहत आरोप तय किए हैं। सिंह ने शर्मा पर 2013 में मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यापमं घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) विधान माहेश्वरी की अदालत ने बुधवार को सिंह के खिलाफ आरोप तय किये और मामले की सुनवाई एक जुलाई के लिए स्थगित कर दी। भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत एक दो साल तक कैद हो सकता है या जुर्माना हो सकता है अथवा दोनों सुनाये जा सकते हैं।
मालूम हो कि गुजरात के सूरत शहर की एक अदालत ने पिछले महीने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक मामले में भादंसं की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि से निपटने) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। गांधी ने मोदी उपनाम को लेकर टिप्पणी की थी। इस फैसले के बाद, 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। भाजपा के मध्य प्रदेश के वर्तमान अध्यक्ष वी डी शर्मा ने 2014 में दिग्विजय सिंह द्वारा व्यापमं घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाये जाने के बाद उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
इस साल चार फरवरी को विशेष अदालत ने मामले में सिंह को जमानत दे दी थी। मध्यप्रदेश के विभिन्न विभागों के लिए की जाने वाली भर्ती एवं व्यावसायिक कोर्स के लिए ली जाने वाले परीक्षाओं के घोटालों के लिए व्यापमं देश में कुख्यात है। व्यापमं में घोटाला 2011 में सामने आया था। सीबीआई ने 2015 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद इस भर्ती और प्रवेश घोटाले की जांच अपने हाथ में ले ली थी। शर्मा के वकील सचिन वर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सिंह ने कथित तौर पर उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोप लगाया था जिसका मकसद लोगों की नजरों में उनकी (शर्मा) की छवि खराब करना था।
हालांकि, दिग्विजय सिंह के वकील अजय गुप्ता ने दावा किया, ‘‘सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के लायक कोई मामला नहीं है, लेकिन ऐसे अपराधों में अपनाई गई प्रक्रिया में आरोपमुक्त करने का चरण नहीं होता है। इसलिए, एक रूटीन (प्रक्रिया) में, मेरे मुवक्किल की दलीलों पर विचार किए बिना भादंसं की धारा 500 के तहत आरोप तय किया गया है।