पटना. सरकार के काफी प्रयासों के बाद आखिरकार जनगणना शुरू हुई, लेकिन जनगणना शुरू होते ही जनगणना में कमी को लेकर लगातार लोग सामने आ रहे हैं. पहले किन्नर समाज के लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई और अब जाकर निषाद समाज के लोग जातिगत जनगणना को लेकर आक्रोशित है. निषाद समाज के लोगों का आरोप है कि जातीय जनगणना में निषाद जाति को 15 उपजातियों में बांट दिया गया है. निषादों को 15 जातियों में बांट कर अलग-अलग कोड निर्धारित किया गया है, लेकिन सरकार द्वारा बांटी गई सभी 15 जातियां निषादों के हैं और इनका पेशा मछली पकड़ना और बेचना है.
बिहार राष्ट्रीय मत्स्यजीवी सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप और अध्यक्ष प्रयाग सहनी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि सरकार निषादों की सभी जातियों को एक कोड के अंतर्गत गणना अगर नहीं कराती है तो निषाद आंदोलन करने को बाध्य होंगे.
कोफेद के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा निषादों की जनसंख्या से डर कर जातीय गणना में निषादों को 15 जातियों में बांट कर अलग-अलग कोड निर्धारित सरकार द्वारा किया गया है. जिस तरह से निषादों की आबादी है और निषाद समाज अपने राजनीतिक भागीदारी की मांग लगातार उठाता रहा है, इससे सरकार डर गई है.
निषाद संघ का आरोप है कि सरकार की ओर से बांटों और राज करो का काम किया जा रहा है. निषाद संघ के द्वारा मुख्यमंत्री को और पिछड़े वर्गों के लिए गठित आयोग में पत्र लिखकर इसके समाधान की अपील की है और 15 दिनों का समय दिया है. सुधार नहीं होने पर संघ आंदोलन करने और न्यायालय की शरण मे जाने की चेतावनी भी दी.