ये साल 2019 की बात है जब भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने लोकसभा चुनावों से ठीक पहले एक गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी मोर्चेके लिए एक अभियान चलाया था। लेकिन ठीक चार साल बाद अब वो अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने के लिए भी तैयार नजर आ रहे हैं। इस विपक्षी गठबंधन के चेहरे के रूप में राहुल गांधी को लेकर बीआरएस को आपत्ति है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अपनी स्वयं की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के बावजूद के चंद्रशेखर राव या केसीआर के नेतृत्व वाली पार्टी अधिक समायोजन रुख के लिए तैयार है।
पार्टी के नेता ने कहा है कि जिस तरह से विपक्षी नेताओं और विरोध के किसी भी स्वर पर केंद्रीय एजेंसियों को खुला छोड़ दिया गया है... बहुत जल्द हम पाकिस्तान बन जाएंगे। वहां जब इमरान खान सत्ता में थे तो विपक्षी नेताओं को देश छोड़कर भागना पड़ा था। जब वे सत्ता में आए तो खान अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं... यह विकट स्थिति है और सभी को एक साथ आना होगा। यह अब 2019 नहीं है। हमें मतभेदों को खत्म करना होगा और देश को बचाने के लिए भाजपा को हराना प्राथमिकता बनाना होगा। केसीआर की बेटी और पूर्व सांसद के कविता दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रही हैं।
जब से पार्टी ने अपना नाम बदलकर बीआरएस रखा है, जो पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के रूप में जानी जाती थी। तब से यह विभिन्न राज्यों हाल ही में महाराष्ट्र में रैलियां और राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित कर रही है। बीआरएस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी चाहती है कि कांग्रेस अपनी कमजोर राष्ट्रीय ताकत का एहसास करे और चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत करे। केसीआर के करीबी के हवाले से एक्स्प्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हम बस इतना कह रहे हैं कि कांग्रेस जहां मजबूत है, उसे अपना उचित हिस्सा मिलना चाहिए। लेकिन जहां अन्य क्षेत्रीय दल मजबूत हैं, वहां कांग्रेस को रास्ता बनाना चाहिए। विपक्षी गठबंधन के काम करने और अंततः प्रभावी होने का यही एकमात्र तरीका है।