न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सोमवार को ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की रक्षा के माध्यम से प्रभावी बहुपक्षवाद’ पर खुली बहस की गई. इस दौरान भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) ने वीटो पावर पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘क्या 5 देशों को दूसरों की तुलना में अधिक योग्य बनाने वाले चार्टर का बचाव करके ‘प्रभावी बहुपक्षवाद’ का अभ्यास किया जा सकता है. जो 5 देशों को दूसरों की तुलना में अधिक योग्य बनाता है और उन 5 में से प्रत्येक को शेष 188 सदस्य देशों की सामूहिक इच्छा को अनदेखा करने की शक्ति प्रदान करता है?’
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार रुचिरा कंबोज ने आगे कहा, ‘यहां तक कि जब हम इस मुद्दे पर बहस करते हैं और चाहते हैं कि ‘प्रभावी बहुपक्षवाद’ प्रबल हो, तो हम सामूहिक रूप से बहुपक्षीय प्रणाली की अपर्याप्तताओं से अवगत हैं जो समकालीन चुनौतियों का जवाब देने में विफल रही है, चाहे वह कोविड महामारी हो या मौजूदा यूक्रेन में संघर्ष.’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, आतंकवाद, कट्टरवाद, जलवायु न्याय और जलवायु कार्रवाई, ऋण और कई भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियां वैश्विक शांति और सुरक्षा को कमजोर करना जारी रखती हैं.’ उन्होंने कहा कि यूएनएससी को अपनी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता के लिए अधिक विकासशील देशों में इस कोर संस्थान के अपने प्रतिनिधित्व को विस्तृत करना होगा.
कंबोज ने कहा, ‘अगर हम 1945 की पुरातनपंथी मानसिकता को बनाए रखना जारी रखते हैं, तो हम अपने लोगों का संयुक्त राष्ट्र में विश्वास खोते रहेंगे.’ उन्होंने यूएनएससी में भारत के स्थायी स्थान के बारे में दृढ़ता से बात रखते हुए कहा, ‘भारत 26 जून, 1945 को सैन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्र चार्टर का संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता था. सत्तर साल पर जब हम अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के पूरे महाद्वीपों के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को वैश्विक निर्णय लेने से बाहर रखते हुए देखते हैं, तो हम एक बड़े सुधार की मांग करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘पिछले सितंबर में, UNGA ने 70 से अधिक वैश्विक नेताओं से सुधारों के लिए एक समान कॉल सुनी. जैसा कि हमारे विदेश मंत्री ने 14 दिसंबर 2022 को इस परिषद की खुली बहस में कहा था, और मैं उद्धृत कर रही हूं ‘हमारा साझा एजेंडा और भविष्य का शिखर सम्मेलन तभी परिणाम देगा, जब वे बहुपक्षवाद में सुधार की बढ़ती मांग का जवाब देंगे.’ सुधार आज की जरूरत है और मुझे विश्वास है कि ग्लोबल साउथ विशेष रूप से दृढ़ता के लिए भारत के दृढ़ संकल्प को साझा करता है.’