नई दिल्ली: पाकिस्तान के पास क्रिकेट के हर दौर में अच्छे तेज गेंदबाज रहे हैं. सरफराज नवाज, इमरान खान से शुरू हुआ सिलसिला शाहीन शाह अफरीदी तक पहुंचा है. मौजूदा दौर में भी पाकिस्तान के पास ऐसे तेज गेंदबाज हैं, जो अकेले दम पर टीम को जीत दिला सकते हैं. ऐसे ही एक पेसर हैं नसीम शाह. उनकी उम्र भले ही 20 साल है. लेकिन, आज नसीम की गिनती दुनिया के सबसे बेहतर युवा तेज गेंदबाजों में होती है. उन्होंने 15 साल की उम्र में ही फर्स्ट क्लास डेब्यू कर लिया था और 1 साल बाद यानी 16 साल में पाकिस्तान के लिए टेस्ट खेल लिया था.
नसीम शाह ने 2019 में ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था. हालांकि, उनके लिए ये तकलीफदेह रहा था. क्योंकि टेस्ट डेब्यू से एक रात पहले ही पाकिस्तान में उनकी मां का इंतकाल हो गया था. मां को खोने के बावजूद नसीम शाह मैदान में उतरे थे. नसीम टेस्ट इतिहास में 5 विकेट लेने वाले सबसे कम उम्र के गेंदबाज हैं. साथ ही अपने तीसरे टेस्ट में ही उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ सबसे कम उम्र में हैट्रिक लेने का करिश्मा भी किया था.
मां के कारण मैं क्रिकेटर बना: नसीम
नसीम को क्रिकेटर बनाने में उनकी मां का बड़ा हाथ रहा है. पिताजी चाहते थे कि नसीम पढ़ाई पर फोकस करें. लेकिन, नसीम 5वीं क्लास के बाद नसीम का मन क्रिकेट में लगने लगा. हाल ही में नसीम ने समा टीवी को दिए इंटरव्यू में अपने क्रिकेटर बनने में मां की भूमिका और पिता क्यों खेलने से रोकते थे, इसकी वजह बताई थी.
‘मां चोरी-छिपे क्रिकेट के लिए पैसे देती थी’
नसीम ने इस इंटरव्यू में कहा था, “पढ़ाई में मैं अच्छा था. लेकिन, पांचवीं क्लास के बाद मुझे क्रिकेट का जुनून सा हो गया. हमारा स्कूल घर से लगा ही हुआ था. हम क्रिकेट के लिए कई बार स्कूल देरी से पहुंचते थे. इतना ही नहीं कई बार टैहम घर के बाहर स्कूल बैग छुपाकर टैप बॉल के मैच खेलने चले जाते थे और वापसी में चोरी-छिपे बैग उठाकर घर आ जाते थे. लेकिन, कई बार ऐसा हुआ कि अब्बू ने हमें पकड़ लिया. तब अम्मी ही हमें बचाती थी और कह देती थी कि स्कूल ब्रेक था, उसमें ये बाहर आए हुए थे. इतना ही नहीं, मां हमें बॉल खरीदने के लिए भी चोरी छिपे पैसे देती थी.”
अब्बू चाहते थे कि मैं पढ़ाई पर ध्यान लगाऊं
इस पाकिस्तानी गेंदबाज ने आगे कहा, “अब्बू कभी पैसे नहीं देते थे. क्योंकि उन्हें पता होता था कि हम इन पैसों से टेप या बॉल खरीदेंगे. वहीं, अम्मी हमें पिता से छुपाकर पैसे देती थी. उन्हें क्रिकेट के बारे में बहुत पता नहीं था. वो तो बस, हमारी खुशी के लिए चोरी-छिपे पैसे दे देती थी. अगर वो सपोर्ट नहीं करती तो शायद मैं क्रिकेट नहीं खेल पाता.”
नसीम शाह के अब्बू अब्बास शाह ने इस इंटरव्यू में एक दिलचस्प किस्सा साझा किया कि कब उन्हें लगा कि बेटा क्रिकेटर बनेगा. दरअसल, उन्होंने क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए नसीम को लाहौर भेज दिया था. एक बार वो नसीम से मिलने लाहौर गए थे. वहां उन्होंने एकेडमी में कुछ लड़कों को खड़ा देखा. उन्होंने पूछा कि आप लोग क्यों यहां खड़े हो. तब उनमें से एक लड़के ने कहा कि यहां दीर से एक लड़का (नसीम) आया है, जिसकी बॉलिंग देखने के लिए हम यहां रूके हैं. उसी दिन मुझे यकीन हो गया था कि नसीम में टैलेंट है और वो एक दिन पाकिस्तान के लिए खेलेगा.