मध्यप्रदेश में इन दिनों हंगामा हो रहा है। मध्य प्रदेश में चल रही मुख्यमंत्री कन्यादान सामूहिक विवाह योजना, जिसका उद्देश्य युवतियों की शादी करवाना है इन दिनों भयंकर विवादों में घिरी हुई है। मध्यप्रदेश में सामूहिक विवाह में शादी करने आई चार युवतियां गर्भवती पाई गई हैं, जिसके बाद कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया।
वहीं मामले के सामने आने के बाद काफी हंगामा हुआ है। जिन जोड़ों की शादी नहीं हुई है उन्होंने काफी हंगामा किया। इसी बीच विपक्ष ने भी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मामले पर गंभीर सवाल उठाए है। दरअसल सामने आया है कि सामूहिक विवाह में शामिल होने से पहले शादी करने आई युवतियों को वर्जिनिटी और प्रेग्नेंसी टेस्ट से होकर गुजरना पड़ा है। वहीं विपक्ष ने सरकार के इस कदम को महिलाओं का अपमान करार दिया है। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
घटना के बाद एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि यह मामला डिंडोरी जिले के गाड़ासरई कस्बे में शनिवार को मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत अक्षय तृतीया के मौके पर 219 जोड़ों की शादी से जुड़ा है। वहीं, इस तरह के परीक्षण को गरीब महिलाओं का अपमान बताते हुए कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा, ‘‘राज्य सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इस तरह के गर्भावस्था परीक्षणों के लिए दिशानिर्देश या नियम क्या हैं।’’ माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने भोपाल में एक बयान जारी कर कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत डिंडोरी जिले के गाड़ासरई में 219 आदिवासी युवतियों के सामूहिक विवाह से पहले उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर उनका गर्भावस्था परीक्षण करवाना भाजपा के आदिवासी और महिला विरोधी आचरण को उजागर करता है। सरकार के इस कदम की चौतरफा निंदा ही नहीं होनी चाहिए बल्कि दोषी अधिकारियों को दंडित करने के साथ ही प्रदेश की भाजपा नीत शिवराज सिंह चौहान सरकार को इसके लिए माफी भी मांगना चाहिए।’’
बीमारी जांचने के लिए किया गया टेस्ट
वहीं, प्रशासन का बचाव करते हुए डिंडोरी के जिलाधिकारी विकास मिश्रा ने बताया कि गाड़ासरई में शनिवार को होने वाले सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले 219 जोड़ों के लिए मेडिकल परीक्षण के द्वारा आनुवांशिक बीमारी ‘सिकलसेल’ की जांच कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘सिकलसेल बीमारी की जांच के दौरान चिकित्सकों ने चार युवतियों का गर्भावस्था परीक्षण किया है क्योंकि इन युवतियों ने माहवारी नहीं आने की बात बताई थी।’’ मिश्रा ने बताया, ‘‘इसको लेकर प्रशासन स्तर से कोई निर्देश नहीं थे। यह चिकित्सकों पर निर्भर है कि वे सिकलसेल की बीमारी का पता करने के लिए क्या प्रक्रिया और जांच करवाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल चिकित्सक की रिपोर्ट के बाद ऐसे चार जोड़ों को सामूहिक विवाह में शामिल नहीं किया गया।’’
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत, राज्य सरकार पात्र जोड़ों को वित्तीय सहायता के रूप में 56,000 रुपये प्रदान करती है। इसी बीच, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘‘डिंडोरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किए जाने वाले सामूहिक विवाह में 200 से अधिक बेटियों का प्रेगनेंसी टेस्ट कराए जाने का समाचार सामने आया है। मैं मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि क्या यह समाचार सत्य है। यदि यह समाचार सत्य है तो मध्यप्रदेश की बेटियों का ऐसा घोर अपमान किसके आदेश पर किया गया। क्या मुख्यमंत्री की निगाह में गरीब और आदिवासी समुदाय की बेटियों की कोई मान मर्यादा नहीं है।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘‘शिवराज सरकार में मध्यप्रदेश पहले ही महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले में देश में अव्वल है। मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराएं और दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दें।’’ कमलनाथ ने कहा, ‘‘यह मामला सिर्फ प्रेगनेंसी टेस्ट का नहीं है, बल्कि समस्त स्त्री जाति के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का भी है।