कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों बड़ा उलटफेर चल रहा है। बता दें कि हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा ने चुनावी राजनीति छोड़ने का ऐलान किया था। जिसके बाद उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष ने उनको सन्यास लेने के लिए कहा था। जिसके बाद उन्होंने अपने इस फैसले को सार्वजनिक किया था।
स्वेच्छा से ले रहे सन्यास
हालांकि इससे पहले केएस ईश्वरप्पा ने कहा था कि वह अपनी इच्छा से सन्यास ले रहे हैं। ईश्वरप्पा ने यह ऐलान भाजपा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करने से पहले की थी। जिसके बाद में अटकलों का बाजार गर्म हो गया था। ऐसी अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि ईश्वरप्पा को पार्टी में दरकिनार किया जा रहा है। वहीं विधान परिषद में ईश्वरप्पा जेपी नड्डा को पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि वह अपनी स्वेच्छा से राजनीति से सन्यास लेना चाहते हैं।
साल 2022 में सौंपा था इस्तीफा
इसलिए इस बार के विधानसभा चुनाव के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनके नाम न शामिल किया जाए। वहीं ईश्वरप्पा ने बेलागवी में सार्वजनिक कार्यों पर 40 फीसदी कमीशन लिए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें संन्यास लेने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने कहा था। ईश्वरप्पा ने साल 2022 में ठेकेदार संतोष पाटिल की सुसाइड के बाद ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री के पद से इस्तीफा सौंप दिया था।
बेटे के लिए टिकट की डिमांड
शिवमोग्गा से पांच बार अपना दबदबा बनाने में कायम रहे ईश्वरप्पा ने अपने बेटे केई कांतेश के लिए इस सीट से टिकट मांगा था। लेकिन पार्टी के शीर्ष ने उनके इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया था। पार्टी ने इस सीट से चन्नबसप्पा को शिवमोग्गा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा है। कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ सत्तारुढ़ भाजपा वापसी का लक्ष्य बनाकर चल रही है। इस दौरान पार्टी ने विधानसभा की कुल 224 सीटों में से कम से कम 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।