बॉर्नविटा पिछले कुछ वर्षों में एक घरेलू नाम बन गया है। 1920 के दशक में इसके आने के बाद से चॉकलेट माल्ट पेय को हेल्थ ड्रिंक के रूप में मार्केट में बेचा जा रहा है। मोंडेलेज़ इंटरनेशनल की सहायक कंपनी कैडबरी द्वारा निर्मित बॉर्नविटा यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी अमेरिका के साथ-साथ भारत, नेपाल, बांग्लादेश, नाइजीरिया, बेनिन और टोगो में बेची जाती है। दूध में मिलाकर पिए जाने वाले बॉर्नविटा को लेकर हाल ही में एक विवाद शुरू हुआ है। विवाद की शुरुआत एक वीडियो से हुई जिसे एक न्यूट्रिशनिस्ट बताने वाले शख्स रेवंत हिमतसिंग्का ने बनाया है। रेवंत सोशल मीडिया पर हेल्थ और न्यूट्रिशन इंफ्लूएंसर के तौर पर जाने जाते हैं।
बॉर्नविटा को लेकर विवाद क्या है?
अपने 1 मिनट के वीडियो में रेवंत ने बॉर्नविटा में शुगर की मात्रा पर सवाल उठाए थे। रेवंत ने बताया कि बोर्नविटा में ऐसी सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिसका दैनिक आधार पर सेवन करने से मधुमेह हो सकता है। उन्होंने कहा था कि बॉर्नविटा में भारी मात्रा में शुगर है। इसमें कोको सॉलिड्स और कैंसरकारी रंग भी मिलाए गए हैं। बोर्नविटा की टैगलाइन तैयारी जीत की है, बल्कि इसे तैयारी डायबिटीज की होना चाहिए। रेवंत का ये वीडियो तेजी से वायरल हो गया। चूंकि बॉर्नविटा बच्चों के लिए हेल्दी ड्रिंक बताकर बेचा जाता है। इसलिए रेवंत के दावे के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कैडबरी कंपनी बॉर्नविटा बनाती है। उसने रेवंत के खिलाफ लीगल नोटिस जारी कर दिया।
वीडियो डिलीट कर मांगी माफी
कंपनी से नोटिस मिलने के बाद रेवंत ने वो वीडियो तो डिलीट कर दिया। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर बयान जारी करते हुए लिखा कि 13 अप्रैल 2023 को भारत की सबसे बड़ी कानून कंपनियों में से एक से उनको एक लीगल नोटिस मिलने के बाद मैंने सभी प्लेटफॉर्म से वीडियो को हटाने का फैसला किया है। वीडियो बनाने के लिए मैं कैडबरी से माफी मांगता हूं। मेरा किसी ट्रेड मार्क का उल्लंघन करने या किसी कंपनी को बदनाम करने का इरादा नहीं था। मैं बहूराष्ट्रीय कंपनी से अपील करता हूं कि वो इसे कानूनी रूप से आगे न बढ़ाएं। बता दें कि वीडियो को हटाए जाने से पहले कथित तौर पर, वीडियो को इंस्टाग्राम पर 12 मिलियन बार देखा गया था इसके बाद, मोंडेलेज़ इंडिया के स्वामित्व वाले स्वास्थ्य पेय ब्रांड ने ऐसे दावों को खारिज करते हुए एक बयान जारी किया।
पूरे मामले पर बोबॉर्नविटा र्नविटा का क्या कहना है?
पूरे मामले पर बॉर्नविटा ने अपने बयान में कहा कि वो वैज्ञानिक रूप से तैयार किए गए उत्पाद के रूप में भारत में उपभोक्ताओं का विश्वास अर्जित किया है जो उच्चतम गुणवत्ता मानकों का पालन करता है और देश के सारे कानून अनुपालन करता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने बयान जारी करके कहा है कि ये दावे अवैज्ञानिक हैं और उन्होंने तथ्यों तो तोड़ मरोड़कर पेश किया है। इसके साथ ही झूठे और नकारात्मक अनुमान लगाए हैं। कंपनी ने कहा कि उसे बीते सात दशकों से ग्राहकों का प्यार मिल रहा है। कैडबरी ने दावा किया है कि बॉर्नविटा में विटामिन ए, सी, डी, आयरन, जिंक, कॉपर और सिलेनियम जैसे न्यूट्रिएंट्स हैं। ये इम्युनिटी बढ़ाते हैं। वहीं रोजमर्रा के इस्तेमाल के हिसाब से शुगर की मात्रा भी काफी कम है। बॉर्नविटा की एक सर्विंग में 7.5 ग्राम शुगर होती है। जो करीब डेढ़ चम्मच के बराबर है। ये बच्चों के लिए बताई गई शुगर की डेली लिमिट से कम है। कंपनी ने कहा है कि बॉर्नविटा उन्हीं इंग्रीडिएंट्स से तैयार किया जाता है जो इस्तेमाल के लिए अप्रूव्ड है। कंपनी ने कहा कि बॉर्नविटा का फॉर्मेशन न्यूट्रिशनिस्ट और फूड साइंटिस्ट की एक टीम द्वारा बेहतर तरीके से स्वाद और स्वाथ्य प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। कंपनी ने ये भी कहा कि हमारे सभी दावे वेरीफाइड और ट्रांसपेरेंट हैं। सभी इंग्रीडिएंट्स को रेगूलेटरी अप्रूव्ल मिला है।
इन्फ्लुएंसर का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड
कैडबरी पर उसके हेल्थ ड्रिंक बॉर्नविटा के बारे में झूठे दावे करने का आरोप लगाने वाले इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंग्का का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है। ट्विटर पर एक यूजर ने स्क्रीनशॉट शेयर किया जिसमें रेवंत ने कहा कि उनका अकाउंट अचानक हैक हो गया। मैंने अपने सभी फॉलोर्स भी खो दिए। मेरा अकाउंट भी स्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। मुझे नए अकाउंट को बनाने की अनुमति नहीं है। शशांक शेखर झा नाम के एक ट्विटर यूजर ने कहा कि प्रभावित करने वाले को इस शरारत से लड़ने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मेरा मानना है कि फूड फार्मर को इस शरारत से लड़ने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
कब और कैसे हुई बॉर्नविटा की शुरुआत
बॉर्नविटा की शुरुआत दो कमरों से हुई थी। साल 1824 में बर्मिंघम में दो कमरों की दुकान से शुरू हुई बॉर्निटा आज दुनिया की सबसे बड़ी चॉकलेट कंपनी के रूप में जानी जाती है। कंपनी का इतिहास करीब 200 साल पुराना है और उसने दुनिया में पहली बार साल 1929 में बॉर्नविटा को हेल्थ ड्रिंक के रूप में पेश किया था। मोंडेलेज की वेबसाइट के अनुसार साल 1824 में जॉन कैडबरी ने पहला ग्रॉसरी आउटलेट खोला था। उन्हीं के नाम से कैडबरी की शुरुआत हुई। कंपनी ने 1905 में डेयरी मिल्क चॉकलेट को बाजार में उतारा। ये इंटरनेशनल ब्रॉन्ड बन गई। वहीं बॉर्नविटा की शुरुआत साल 1920 में ब्रिटेन में हुई थी। ये साल 1948 में भारत में पहुंचा।
पैकेट के ऊपर हो फूड लेबल
रेवंत के वीडियो और उनके दावों के सुर्खियों में आने के बाद भारतीय उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार काम करने वाले शिक्षाविदों, पेशेवरों और स्वयंसेवकों के एक स्वैच्छिक कार्रवाई समूह, कंज्यूमर वॉयस ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) और उपभोक्ता मामलों को भी इस बारे में लिखा है। अरबपति उद्यमी और जीरोधा के सीईओ नितिन कामत ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी है और उन्होंने हेल्दी ड्रिंक की पहचान की समस्या दूर करने के लिए एक अहम सुझाव भी दिया है। बिना बॉर्नविटा और कैडबरी का नाम लिए बिना कामत से कहा कि ऐसे उत्पादों के पैकेट पर सामने की तरह एक फूड- लेबल होना चाहिए, जिसमें इसमें शामिल शुगर और फैट आदि के बारे में जानकारी दी होनी चाहिए। उन्होंने एक ट्विट में कहा कि मुझे लगता है कि लोगों को सेहतमंद फूड और बेवरेज चुनने में इन उत्पादों के पैकेट पर एक फूड लेबल लगाने का सुझाव काम आ सकता है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने भी साल 2018 के ड्राफ्ट पेपर में ऐसा ही सुझाव दिया था।