UP: मदनी और तौकीर रजा जैसे मौलानाओं को समझना चाहिए कि अतीक-अशरफ के अत्याचारों से अल्पसंख्यक भी बहुत पीड़ित थे

UP: मदनी और तौकीर रजा जैसे मौलानाओं को समझना चाहिए कि अतीक-अशरफ के अत्याचारों से अल्पसंख्यक भी बहुत पीड़ित थे

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या का मुद्दा सियासी रंग तो ले ही चुका है लेकिन अब जिस तरह से कुछ मौलाना इस मामले में कूद पड़े हैं उससे यह मामला सांप्रदायिक रंग भी लेने लगा है लेकिन योगी सरकार ऐसे तत्वों पर निगाह रखे हुए है और माहौल बिगाड़ने वालों तथा अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है। हम आपको बता दें कि अतीक और अशरफ की मौत पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी और आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां ने विवादित बयान देते हुए योगी सरकार को घेरा है। लेकिन शायद इन लोगों को यह पता नहीं है कि अतीक और अशरफ के अत्याचारों से सर्वाधिक पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ही थे।

मदनी ने क्या कहा

जहां तक विवादित बयानों की बात है तो आपको बता दें कि मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि पुलिस अभिरक्षा में हुआ दोहरा हत्याकांड साबित करता है कि यूपी में कानून का राज नहीं है। एक बयान जारी कर उन्होंने कहा है कि प्रयागराज में जो हुआ वह शर्मनाक है। उन्होंने कहा है कि अतीक और अशरफ हत्याकांड कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाने वाला है। मौलाना मदनी ने कहा है कि यदि देश में कानून का राज नहीं होगा तो हर तरफ अराजकता फैल जाएगी और खून-खराबे का राज कायम हो जाएगा। मौलाना मदनी ने कहा है कि अगर कोई मुजरिम है तो उसके गुनाह और सजा का फैसला अदालत करती है। मौलाना मदनी ने कहा है कि कानून हाथ में लेना लोकतंत्र और संविधान का अपमान और आपराधिक कृत्य है।

तौकीर रजा खां ने क्या कहा

वहीं मौलाना तौकीर रजा खां ने बरेली में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश के जो हालात हैं वह किसी से छिपे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो कुछ हो रहा है वह जुर्म की इंतिहा है। तौकीर रजा खां ने तो यहां तक कह दिया कि विकास दुबे से लेकर आज तक जितने भी एनकाउंटर हुए हैं उन सबका दोषी सिर्फ एक आदमी है। मौलाना तौकीर रजा खां ने कहा कि उस आदमी को 120 B के तहत मुजरिम जरूर बनाना चाहिए। अप्रत्यक्ष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए मौलाना ने कहा कि वह शख्स मिट्टी में मिलाने की बात कहता है। मौलाना तौकीर रजा खां ने विवादित बयान देते हुए कहा कि पुलिस और गुंडों के बीच गठबंधन बन गया है, जिसकी सरपरस्ती सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि पुलिस उनके कंट्रोल में नहीं है। मौलाना तौकीर रजा खां ने प्रयागराज हत्याकांड के मुद्दे पर धरना देने का ऐलान करते हुए मुख्यमंत्री को चुनौती दी की मेरा धरना रोक कर दिखाओ। उन्होंने कहा कि चाहे पुलिस के जरिए हम पर लाठीचार्ज करवाओ लेकिन धरना जरूर होगा। हम आपको बता दें कि पूरे उत्तर प्रदेश में इस समय धारा 144 लागू है इसलिए मौलाना तौकीर रजा खां के धरने का ऐलान करने के बाद बरेली में पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।

अल्पसंख्यकों पर जुल्म

दूसरी ओर, जहां तक अतीक-अशरफ के जुर्म की बात है तो उससे अल्पसंख्यक ही सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। जी हाँ, माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ के आतंक से सिर्फ उमेश पाल का परिवार ही पीड़ित नहीं था बल्कि उसके जुल्म से पीड़ितों की फेहरिस्त लंबी है। एक समय था जब माफिया अतीक की तूती बोलती थी। जमीन कब्जा, अपहरण, हत्या के लिए कुख्यात अतीक के गुर्गों ने प्रदेश में तबाही मचा रखी थी। टॉप 20 मामले पर करें गौर करें तो अहमद भाइयों ने सबसे ज्यादा जुल्म अल्पसंख्यक समुदाय से आने वालों लोगों पर ही किया है। टॉप 20 मामलों में से 13 मामलों में मुस्लिम समुदाय ही पीड़ित रहा है। अशरफ पर तो मदरसे से तालीम ले रही दो नाबालिग बच्चियों को असलहे के दम पर अगवा कर रातभर बलात्कार करने और सुबह मदरसे के गेट पर लहूलूहान हालत में फेंक कर जाने का भी आरोप है।

अतीक ने जरायम की दुनिया में अपनी बादशाहत बनाए रखने के लिए रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा था। वह जमीन के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। कसारी मसारी प्रयागराज निवासी जीशान उर्फ जानू इसी का जीता जागता उदाहरण है। दरअसल, जीशान अतीक के साढू इमरान जई के छोटे भाई हैं। अतीक ने जीशान की जमीन कब्जा करने के लिए उसके घर को जेसीबी से गिरवा दिया था। इतना ही नहीं उससे पांच करोड़ की रंगदारी मांगने के साथ उस पर हमला भी किया था, जिसका जीशान ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसी तरह सभासद अशफाक कुन्नू का वर्ष 1994 में कत्ल हो गया। इस हत्याकांड को अतीक और अशरफ ने अंजाम दिया था, लेकिन अतीक की ऐसी दहशत थी कि उस पर कानूनी शिकंजा नहीं कस सका। कोई भी पुलिस अधिकारी उस पर हाथ नहीं डालना चाहता था। घटना के पांच साल बाद 1999 में तब के एसपी सिटी लालजी शुक्ला ने अशफाक कुन्नू हत्याकांड में अशरफ की गिरफ्तारी की थी क्योंकि उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। 

अतीक पर उसके अपने करीबी पार्षद नस्सन को गोली मारने का मामला भी सामने आया था। दरअसल, वार्ड पार्षद नस्सन ने अतीक के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। ऐसे में दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई थी। वर्ष 2001 में नस्सन को अतीक ने चकिया में गोलियों से छलनी कर दिया था। वहीं भाजपा नेता अशरफ की माफिया अतीक ने वर्ष 2003 में गोली मारकर हत्या कर दी थी। चकिया में अतीक के घर के सामने ही अशरफ का घर था। अतीक ने भाजपा नेता का नाम उसके भाई के नाम पर होने की वजह से उसे मौत के घाट उतार दिया था। बताते हैं कि वह विपक्षी दल भाजपा के लिए काम करके अतीक को चिढ़ाता था। इसमें सबसे अधिक हैरान करने वाला मामला यह था कि अशरफ की हत्या के बाद उसके शव को लेकर अतीक के गुर्गे भाग गए थे। इसी तरह उसने वर्ष 1989 में प्रयागराज के झालना इलाके में बृजमोहन उर्फ बच्चा कुशवाहा की साढ़े बारह बीघे जमीन पर कब्जा कर लिया था। विरोध करने पर अतीक ने बच्चा को गायब करवा दिया, जिसका आज तक पता नहीं चला। बाद में उसने बच्चा कुशवाहा के बेटे और उसकी पत्नी सूरज कली को मारने पीटने के साथ कई बार गोली चलवाई।

बहरहाल, मौलाना मदनी, मौलाना तौकीर और उन जैसे वो तमाम मौलाना जो अतीक और अशरफ के पक्ष में इसलिए उतर रहे हैं क्योंकि वह उनके अपने धर्म का था तो उन्हें यह जानना चाहिए कि अतीक और अशरफ का कोई धर्म या जमीर नहीं था बल्कि उनका पहला प्यार सिर्फ जमीन था। जमीन के लिए उन्होंने अपनी कौम, अपने रिश्तेदारों और अपने पड़ोसियों को भी नहीं बख्शा था।

एक नजर में टॉप 20 मामले, जिसमें सबसे ज्यादा सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के थे-

1. जीशान उर्फ जानू पुत्र मो. जई नि. कसारी मसारी थाना धूमनगंज प्रयागराज।

2. मसले (मदरसा कांड में पुत्री के साथ बलात्कार की घटना ) अशरफ 

3. स्व. अशफाक कुन्नू का परिवार। (अशफाक की हत्या वर्ष 1994 में हुयी थी)

4. पार्षद नस्सन का परिवार (वर्ष 2001 में पार्षद नस्सन की हत्या की गयी थी)

5. जैद बेली (दोहरा हत्याकांड बेली)

6. भाजपा नेता अशरफ पुत्र अताउल्ला का परिवार ( वर्ष 2003 में भाजपा नेता अशरफ की हत्या)

7. मकसूद पुत्र स्व. मो. कारी (मो. कारी की हत्या करने की घटना की गयी)

8. जैद (देवरिया जेल काण्ड)

9. अरशद पुत्र फरमुदमुल्ला नि. सिलना प्रयागराज (अरशद के हाथ पैर तोड़े)

10. जाबिर, बेली प्रयागराज (अल्कमा हत्याकांड में अतीक द्वारा फर्जी नामजद कराया गया तथा जमानत का विरोध अपने वकील के माध्यम से कराया जाता था।)

11. आबिद प्रधान

12. सउद पार्षद खुल्दाबाद

13. शाबिर उर्फ शेरू

14. जया पाल पत्नी स्व. उमेश पाल 

15. सूरज कली (पति की हत्या व गवाही के लिए धमकी देना) 

16. स्व. अशोक साहू का परिवार (वर्ष 1995 में अशोक साहू की हत्या की गयी

17. मोहित जायसवाल (देवरिया जेल कांड)  

18. जग्गा का परिवार (मुम्बई से बुलाकर कब्रिस्तान में पेड़ से बांध कर जग्गा की हत्या)

19. पार्षद सुशील यादव 

20. सिक्योरिटी इन्चार्ज राम कृष्ण सिंह


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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