नई दिल्लीः इस साल फरवरी में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन बिंग को नए कलेवर के साथ उतारा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पावर्ड नया बिंग तब से ही गूगल सर्च इंजन के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ था. गूगल सालों से नंबर वन सर्च इंजन बना हुआ है, लेकिन AI पावर्ड बिंग सर्च इंजन की दुनिया में एक नई क्रांति लेकर आया. लोग क्या सर्च करते हैं, कैसे सर्च करते हैं और किस तरह का कॉन्टेंट देखना पंसद करते हैं, बिंग के सर्च रिजल्ट्स इन सबको ध्यान में रखकर निकलने लगे. गूगल का एक बड़ा यूज़र बेस तेज़ी से बिंग की तरफ शिफ्ट हुआ, इसने गूगल की चिंता बढ़ा दी और अब गूगल ने भी AI पावर्ड सर्च इंजन पर काम शुरू कर दिया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नए बिंग के एक्सपीरियंस और फीचर्स के चलते इस साल मार्च में सैमसंग अपने सभी डिवाइसेस में बिंग को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने पर विचार कर रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक, ये गूगल के लिए एक झटके की तरह था और गूगल में पैनिक की स्थिति आ गई थी. गूगल का करीब तीन बिलियन डॉलर का सालाना रेवेन्यू खतरे में था. इसी तरह की एक 20 बिलियन डॉलर की रेवेन्यू डील गूगल ने ऐपल के साथ की है, जिसका इस साल रिन्यूअल होना है. 25 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब गूगल के सर्च बिजनेस को किसी दूसरे सर्च इंजन से इतना खतरा हुआ है. न्यूयॉर्क टाइम्स को मिले इंटरनल डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, गूगल ने अपने सर्च इंजन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पावर करने पर काम शुरू कर दिया है.
कैसा होगा गूगल का नया सर्च इंजन?
AI पावर्ड सर्च इंजन डेवलप करने के काम को गूगल ने प्रोजेक्ट मैगी नाम दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल का नया सर्च इंजन अभी वाले की तुलना में ज्यादा पर्सनलाइज्ड एक्सपीरियंस देगा. ये सर्च इंजन AI का इस्तेमाल करके यूज़र की ज़रूरत को समझने की कोशिश करेगा. गूगल ने फिलहाल इसे लेकर कोई ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं किया है. हालांकि, कंपनी के स्पोक्स पर्सन लारा लेविन ने कहा कि कंपनी सर्च में AI पावर्ड फीचर्स लाने को लेकर उत्साहित है और जल्द ही इसे लेकर डिटेल्स जारी की जाएगी. उनका कहना है कि कंपनी लगातार अपने सर्च इंजन को बेहतर बनाने पर काम कर रही है, ताकि लोगों को गूगल के साथ बने रहने की नई-नई वजह मिलती रहे.
रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल में 160 लोगों की टीम नए सर्च इंजन पर काम कर रही है. जब तक गूगल एक नया सर्च इंजन नहीं बना लेता है, तब तक प्रोजेक्ट मैगी के तहत अभी वाले सर्च इंजन में ही कुछ फीचर्स ऐड किए जाएंगे. कंपनी शुरुआत में 10 लाख लोगों के लिए ये फीचर्स रिलीज़ करेगी. साल के अंत तक 30 मिलियन (तीन करोड़) लोगों के लिए ये फीचर्स लॉन्च करेगी. फिलहाल ये फीचर्स अमेरिका में ही रिलीज़ किए जाएंगे.
AI पर कबसे काम कर रहा है गूगल?
लंदन में गूगल की डीप माइंड लैब है, जो दुनिया की बेस्ट AI रिसर्च लैब मानी जाती है. कंपनी सालों से AI प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है. कंपनी का इनपुट टूल, सेल्फ ड्राइविंग कार AI पर काम करते हैं. पर गलत नतीजों के खतरे को देखते हुए गूगल ने अब तक AI को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया था.
हालांकि, OpenAI के ChatGPT के आने के बाद गूगल ने अपने AI कॉम्पिटीटर्स को गंभीरता से लिया है. चैट जीपीटी के आने के बाद गूगल ने एक टास्क फोर्स बनाकर AI प्रोडक्ट्स बनाने शुरू किए. गूगल ने मार्च में अपना AI चैटबॉट बार्ड लॉन्च किया था.