लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने मंगलवार को महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश में बसपा की सरकार बनने से पहले ऐसे महापुरुष की घोर उपेक्षा की गयी अब उनके वोट की लालच में वही जातिवादी तत्व उनकी जयंती दिखावटी तौर पर मनाने को आतुर है। उन्हें याद करते हुए मायावती ने ट्वीट किया, देश में सामाजिक क्रान्ति के पितामह तथा नारी शिक्षा एवं नारी मुक्ति की ज्वाला की शुरुआत अपने घर से ही करने का मानवतावादी इतिहास रचकर एवं उसके लिए आजीवन कड़ा संघर्ष करके अमर हो जाने वाले देश के महान सपूत महात्मा ज्योतिबा फुले को आज उनकी जयंती पर शत्-शत् नमन एवं अपार श्रद्धा सुमन अर्पित।
बसपा नेता ने कहा, उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनने से पहले ऐसे महापुरूष की घोर उपेक्षा की गयी किन्तु बहुजन समाज के राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने से अब उनके वोट की लालच में वही जातिवादी तत्व महात्मा फुले की जयंती दिखावटी तौर पर मनाने को आतुर। यह कैसा स्मरण, कैसी श्रद्धांजलि? बाद में मायावती ने एक बयान में कहा कि उत्तर भारत ख़ासकर उत्तर प्रदेश जैसे विशाल आबादी वाले राज्य में महात्मा ज्योतिबा फुले का परिचय बसपा की सरकार में ही पहली बार कराया गया जब उनके नाम पर नये ज्योतिबा फुले नगर जिला, महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, लखनऊ में राजकीय स्वच्छकार आश्रम पद्धति विद्यालय, प्रेक्षागृह एवं अनेक प्रमुख स्थलों में उनकी प्रतिमा को स्थापित आदि करके उनको उनके हक के अनुसार भरपूर आदर-सम्मान देने का प्रयास किया गया, वरना उससे पहले जातिवादी तत्वों द्वारा उनकी उपेक्षा में कोई कोर-कसर कभी भी नहीं छोड़ी गई थी।
अन्य राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि किन्तु सोचने की बात यह है कि आज बसपा के बैनर तले दलित/बहुजन समाज के राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने के कारण उनके वोट के स्वार्थ की खातिर वही जातिवादी सोच रखने वाली विरोधी पार्टियों के लोग महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती आदि के माध्यम से फोटो इवेन्ट (फोटो खिंचाने के अवसर) का दिखावटी एवं छलावापूर्ण काम करने को काफी आतुर नजर आते लगते हैं। बसपा प्रमुख ने कहा कि ‘‘बहुजन समाज’’ के लोगों को अपना उद्धार स्वयं करने योग्य बनने के लिए एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करना ही होगा, वरना सत्ताधारी तत्व मानवतावादी लोकतांत्रिक संविधान को इस देश में सही से लागू होने ही नहीं देंगे।