राजस्थान में कांग्रेस का आंतरिक संकट खुल कर सामने आ गया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई चेतावनी को दरकिनार करते हुए आज पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर एक दिवसीय अनशन शुरू किया। दूसरी ओर गहलोत और पायलट खेमे के विधायक एक दूसरे के खिलाफ मीडिया में बयान देकर कांग्रेस की बची खुची साख भी मिट्टी में मिला रहे हैं। वहीं भाजपा ने भी कांग्रेस पर हमला बोल दिया है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने सचिन पायलट के इस अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दे दिया है।
लेकिन सचिन पायलट जिस प्रकार आलाकमान की तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज करके अनशन पर बैठे हैं उससे लगता है कि उनके सब्र का बांध अब टूट चुका है और वह आर या पार के मूड़ में हैं। हम आपको बता दें कि धरना स्थल पर बड़ी संख्या में पायलट समर्थक मौजूद हैं हालांकि पार्टी का कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया। इस अनशन के लिए शहीद स्मारक के पास एक तंबू लगाया गया। वहां बनाए गए छोटे मंच पर केवल सचिन पायलट बैठे। उनके समर्थक व अन्य कार्यकर्ता आसपास नीचे बैठे। मंच के पास महात्मा गांधी व ज्योतिबा फुले की तस्वीरें रखी गईं। मंच के पीछे केवल महात्मा गांधी की फोटो के साथ वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनशन लिखा गया। शहीद स्मारक पर पहुंचने से पहले पायलट अपने आवास से 22 गोदाम सर्किल पहुंचे और वहां समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। सचिन पायलट ने इस दौरान संवाददाताओं से कोई बात नहीं की।
उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामलों में राज्य की मौजूदा अशोक गहलोत सरकार द्वारा कार्रवाई किए जाने की मांग को लेकर एक दिवसीय अनशन करने की घोषणा की थी। वहीं कांग्रेस पार्टी ने पायलट के इस कदम को पार्टी विरोधी करार दिया है। पार्टी के स्थानीय मीडिया ग्रुप में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का एक बयान सोमवार देर रात जारी किया गया जिसके अनुसार ‘‘पायलट का अनशन पार्टी के हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है।’’ कांग्रेस के राजस्थान मामलों के प्रभारी महासचिव सुखजिंदर रंधावा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने सचिन पायलट से बात की है और उनसे अपनी ही सरकार के खिलाफ जनता के बीच जाने के बजाय पार्टी के मंच पर मुद्दों को उठाने के लिए कहा है। रंधावा ने कहा, ‘‘मैंने निजी तौर पर सचिन पायलट को फोन किया और उनसे इस तरह जनता के बीच जाने के बजाय पार्टी के मंचों पर ऐसे मामले उठाने को कहा है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी किसी कार्रवाई या अनशन का औचित्य नहीं है और सभी मामले पार्टी के मंच पर उठाए जाने चाहिए, न कि इस तरह सार्वजनिक रूप से। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कोई भी कदम पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा।
वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘राजस्थान कांग्रेस में घमासान सड़कों पर आया। गहलोत सरकार में महिलाओं पर अत्याचार, दलित शोषण, खान घोटालों और पेपर लीक घोटाले में कांग्रेस जन मौन क्यों हैं? पुजारी और संतों की मौत का जिम्मेदार कौन, तुष्टिकरण के मामलों से बहुसंख्यकों की विरोधी सरकार की दुर्गति निश्चित है।
इस बीच, राजस्थान के राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर पार्टी हित के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है। वहीं पायलट खेमे के एक विधायक ने कहा कि सचिन पायलट भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं और जनहित के मुद्दे को लेकर सड़क पर उतर रहे हैं। रामलाल जाट ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल लोगों को यह सोचना चाहिए कि पार्टी आलाकमान ने गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दीवार बनाते हैं लेकिन एक व्यक्ति अपने गलत बयानों से उसे तोड़ देता है। रामलाल जाट ने संवाददाताओं से कहा, इसका क्या मतलब है? पार्टी कार्यकर्ताओं को सोचना है कि वे ऐसे लोगों को समर्थन न दें ताकि कांग्रेस चुनाव जीते। ऐसा करने से हम आगे बढ़ पाएंगे।’’ रामलाल जाट ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने बेहतरीन बजट पेश किया और राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को राजस्थान में जबरदस्त समर्थन मिला और जब इन बातों को आगे बढ़ाया जाएगा तभी पार्टी चुनाव जीत पाएगी।
दूसरी ओर, सचिन पायलट खेमे के अनुसार, पायलट का समर्थन करने वाले विधायकों और मंत्रियों को पायलट के साथ अनशन पर नहीं बैठने को कहा गया है। पायलट के वफादार विधायक वेद सोलंकी ने एक समाचार चैनल से कहा कि सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है और कई विधायक उनके साथ हैं, लेकिन उनसे अनशन स्थल पर नहीं आने को कहा गया है। उन्होंने कहा ये वे मुद्दे हैं जो पार्टी के नेताओं ने चुनाव के दौरान उठाए थे और कहा था कि खनन घोटाले और अन्य भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की जाएगी। कांग्रेस में विभाजन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता लेकिन मैं अपने बारे में यही कह सकता हूं कि मैं पायलट के साथ हूं।’’
पायलट खेमे के एक अन्य नेता ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासन के दौरान किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ पायलट कार्रवाई की मांग कर रहे हैं लेकिन पार्टी नेतृत्व इसे पार्टी के नुकसान के रूप में देखता है। नेता ने कहा कि पार्टी को उस समय कोई नुकसान नहीं दिखाई दिया था, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिना किसी उकसावे के पिछले साल नवंबर में पायलट के लिए गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था।
बहरहाल, गहलोत के खिलाफ नया मोर्चा खोलने के पूर्व उपमुख्यमंत्री के इस कदम को साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले नेतृत्व के मुद्दे को हल करने के लिए आलाकमान पर दबाव बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।