बिजनौर: पिछले पचास सालों से बिजनौर के ट्रेजरी ऑफिस की तिजोरी में गांधी परिवार की अमानत रखी हुई है. आज तक कोई भी इन 51 लाख रूपए मूल्य के कीमती गिफ्ट को लेने नहीं आया है. दरअसल 1972 में इन्दिरा गांधी कालागढ डैम के निर्माण का निरीक्षण करने बिजनौर आई थी, उनके स्वागत सम्मान में स्थानीय निवासियों और डैम पर कार्य करने वाले मजदूरो ने इन्दिरा गांधी को एक बडे तराजू के पडले पर खडा कर चांदी के गहनों से तोला था. इन्दिरा गांधी का वजन 64 किलो था, लेकिन स्थानीय लोगों ने 73 किलो चांदी के सिक्के और गहने तराजू के पडले में रख थे. बिजनौरवासियो की इस भेंट को इन्दिरा गांधी साथ ले कर नहीं गई थीं.
बल्कि तत्कालीन डीएम को दे कर चली गयी थी. जिसे डीएम ने ट्रेजरी में रखवा दिया था. तब से यह चांदी एक संदूक में बंद कर बिजनौर कोषागार में अमानत के तौर पर रखी हुई है. बिजनौर के वरिष्ठ कोषाधिकारी सूरज सिंह ने बताया चूंकि यह इन्दिरा गांधी को भेट में मिली चांदी है इसीलिए सरकारी नहीं है. हालांकि हर वर्ष इसकी बाकायदा स्टाफ लिखापढी करता है और दस्तावेजो में मिलान कर दोबारा तिजोरी में रख देता है.
आरबीआई ने इस चांदी को सरकारी सम्पत्ति मानने से किया इंकार
वर्ष 2002 में बिजनौर के प्रशासनिक अधिकारियो ने इस चांदी के संबंध में लखनऊ शासन में उच्चस्तरीय निर्देश लेने के लिए कारवाई की थी. जिस पर वित्त विभाग ने आरबीआई मुख्यालय मुम्बई को भी पत्र भेजा, लेकिन आरबीआई ने इस चांदी को सरकारी सम्पत्ति मानने से इंकार कर इसे निजी अमानत बताते हुए संजोकर रखने के निर्देश दे दिये थे.
इंदिरा गांधी के नाम पर रखी गई चांदी
दरअसल साल 1961 मे कालागढ में डैम का निर्माण शुरू हुआ. वर्ष 1972 में डैम निर्माण का निरीक्षण करने प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी बिजनौर आई थी, जहां स्थानीय निवासियो ने सिक्को और गहने से तोलकर 73 किलो चांदी को इन्दिरा गांधी को भेट किया था. जिसे साथ न ले जाकर डीएम को सौंप दिया गया था. पुराने कांग्रेसी लीडर चंद्रवीर सिंह एडवोकेट ने बताया कि उक्त चांदी के सिक्के गहनों को मालती प्रसाद ज्वैलर्स से गलवा कर ईटें बनवा कर बिजनौर के कोषागार में रखवा दिया गया था. तब से ट्रेजरी के डबल लॉक में चांदी रखी है. चूंकि ट्रेजरी रिकॉर्ड में यह चांदी इन्दिरा गांधी के नाम से रखी गयी थी, अगर प्रधानमंत्री के नाम से दर्ज होती तो सरकारी मानी जाती, इसीलिए इस चांदी पर इन्दिरा गांधी के वारिसों का ही हक है.
वहीं वरिष्ठ कोषाधिकारी सूरज सिंह का कहना है कि वर्तमान में 73 किलोग्राम चांदी का मूल्य लगभग 51 लाख रूपए है. अगर इन्दिरा गांधी के वंशज इस अमानत को लेने की मांग करते हैं तो उच्च अधिकारियो के निर्देशानुसार कागजी प्रक्रिया के उपरांत ही ये उन्हे दी जा सकती है, लेकिन इसको लेने संबंधी अभी तक कोई दावा नही किया गया है.