रणनीतिक संबंधों के विस्तार की ओर ले जाने वाले एक कदम के तहत, सऊदी अरब कैबिनेट ने आतंक और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सऊदी और भारतीय खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग को मंजूरी दी है। भारत की इंटेलीजें एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और सऊदी के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इस समझौते के बाद रॉ को आतंकवाद के खिलाफ बड़ी मदद मिलेगी। इसे एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम करार दिया जा रहा है।
सऊदी अरब संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, सीरिया, मिस्र, मोरक्को और इराक के अलावा अरब दुनिया में भारत के प्रमुख आतंकवाद विरोधी साझेदारों में से एक के रूप में उभरा है। रियाद चरमपंथियों के खिलाफ नकेल कसने में भारत की मदद कर रहा है। बल्कि ह ये भी ध्यान देना होगा कि सऊदी अरब पाकिस्तान के दबाव के बावजूद कश्मीर मुद्दे में शामिल होने से इनकार कर रहा है। इस समझौते के बाद सऊदी अरब आतंकवाद की लड़ाई में खाड़ी देशों में भारत का सबसे बड़ा साथी बन जाएगा।
भारत-सऊदी रक्षा और सुरक्षा साझेदारी लगातार बढ़ रही है। पिछले साल, कई उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय दौरे और बैठकें हुईं, जो फरवरी में रॉयल सऊदी लैंड फोर्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर द्वारा भारत की पहली आधिकारिक यात्रा के साथ शुरू हुई थी। रक्षा सहयोग पर भारतीय-सऊदी संयुक्त समिति की पांचवीं बैठक जुलाई में नई दिल्ली में हुई और सऊदी अरब भारत से रक्षा वस्तुओं को खरीदने का इच्छुक है। सऊदी गजट की तरफ से इस पूरे समझौते के बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी दी गई है। इस गजट के मुताबिक देश की कैबिनेट जिसकी अध्यक्षता किंग सलमान ने की थी, उसमें ही इस समझौते को मंजूरी मिली है। यह मीटिंग अल सलाम पैलेस में पिछले दिनों हुई थी।