प्रयागराज: प्रयागराज के कुख्यात माफिया डॉन अतीक को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है. उसके खिलाफ सौ से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. जबकि उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ के खिलाफ भी कई दर्जन मुकदमे हैं. ऐसे में यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि इन दोनों भाइयों में सबसे खतरनाक कौन है. प्रयागराज के लोगों की माने तो अतीक तो मुखौटा भर है. असली खूंखार तो अशरफ है. अशरफ की एक वारदात तो लोगों को जुबानी याद है.
बता दें कि करीब दस साल पहले अतीक ने अपने ही गुर्गे गुलफूल प्रधान के दामाद अशरफ को एक काम सौंपा था, लेकिन उसने काम से मना कर दिया. इतनी सी बात पर अशरफ ने उसे प्रयागराज के झलवा स्थित ट्रिपल आईटी चौराहे पर उसे रोक लिया. उसने सरे बाजार उसकी इतनी पिटाई की कि उसके हाथ पैर टूट गए. उसने अशरफ की दोनाली बंदूक को मौके पर ही आरी से तीन टुकड़ों में कटवाकर उसी की गाड़ी में रखवा दिया था.
यह वारदात इतनी विभत्स थी कि लोग भागकर अपने घरों में छुप गए थे. अशरफ ने यह बर्बरता उस समय दिखाई थी, जब गुलफूल प्रधान खुद अतीक का बेहद खास गुर्गा हुआ करता था. पुलिस की माने तो अतीक अहमद की क्राइम हिस्ट्री तो लंबी है ही, उसके छोटे भाई अशरफ की भी क्राइम हिस्ट्री काफी लंबी है. वहीं स्थानीय लोगों की माने तो अशरफ के बदौलत ही अतीक की बादशाहत है. भले ही वह कई साल से जेल में है, लेकिन आज भी शहर पश्चिमी के लोग थर-थर कांपते हैं.
स्थानीय लोगों की माने तो अशरफ का खौफ इतना है कि लोग उसे सामने देखकर अपने आप नजरें झुका लेते हैं. इसकी वजह भी ट्रिपल आईटी चौराहे की वारदात को माना जाता है. दरअसल गुलफूल प्रधान के दामाद अशरफ को अतीक के भाई अशरफ ने पिटाई के बाद सड़क पर तड़पता छोड़ दिया था. बावजूद इसके काफी देर तक कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया. वहीं खुद अशरफ भी करीब एक महीने तक अस्पताल में रहा, लेकिन उसने पुलिस में शिकायत तक नहीं दी.
अशरफ का खौफ इतना था कि गुलफूल प्रधान भी अपने दामाद का पक्ष नहीं ले पाया, बल्कि हमेशा वह समझाता रहा कि वह अतीक की बात मान ले. बता दें कि धूमनगंज के पीपल गांव का रहने वाला गुलफूल प्रधान अतीक के साथ है. उसके खिलाफ भी चार दर्जन से अधिक मुकदमे हैं. इनमें से ज्यादातर मुकदमे अतीक और अशरफ के साथ हैं. जबकि उसका दामाद अशरफ राजूपाल और उमेश पाल के साथ था. हालांकि फिलहाल वह अपने गांव हरवारा में रहता है