नई दिल्ली: मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेटिंग करियर में कभी किसी पर उंगली उठाई हो. ऐसा कम ही सुनने को मिला है. वह खिलाड़ियों, कोचों और मैनेजमेंट सभी के साथ मिलकर रहना पसंद करते थे. लेकिन क्रिकेट के ‘भगवान’ ने भारतीय क्रिकेट टीम के एक कोच के ऊपर बड़ा आरोप लगाया था. सचिन तेंदुलकर ने आरोप लगाया था कि ग्रेग चैपल ने वेस्टइंडीज में 2007 के विश्व कप से महीनों पहले उन्हें राहुल द्रविड़ को हटाकर कप्तानी संभालने का ऑफर दिया था. ग्रेग चैपल 2005 से लेकर 2007 तक टीम इंडिया के कोच रहे थे. उनकी कोचिंग के दौरान टीम इंडिया में कई बवाल हुए थे.
सचिन तेंदुलकर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘प्लेइंग इट माय वे’ में लिखा है, ”विश्व कप से कुछ महीने पहले चैपल मुझसे घर पर मिलने आए थे और मुझे निराशा हुई. उन्होंने सुझाव दिया कि मुझे राहुल द्रविड़ से कप्तानी लेनी चाहिए.” सचिन ने आगे लिखा, ”अंजलि (सचिन तेंदुलकर की पत्नी) मेरे साथ बैठी हुई थीं. वह भी ग्रेग चैपल की यह बात सुनकर हैरान रह गई थीं. ग्रेग चैपल ने मुझसे कहा था कि साथ में हम वर्षों तक भारतीय क्रिकेट को नियंत्रित कर सकते थे और वह टीम की बागडोर संभालने में मेरी मदद करेंगे.”
सचिन तेंदुलकर ने लिखा, ”मुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि कोच कप्तान के लिए थोड़ा सा भी सम्मान नहीं दिखा रहा है, जबकि क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट कुछ ही महीने दूर है. अंत में जाने से पहले वह मुझे समझाने की कोशिश करते हुए कुछ घंटे रुके थे.” सचिन तेंदुलकर ने अपनी किताब में ग्रेग चैपल को ‘रिंग मास्टर’ बताया है. उन्होंने बताया कि चैपल ने बिना इस बात की चिंता किए कि वे सहज महसूस करते हैं या नहीं, खिलाड़ियों पर अपने विचार थोप दिए थे.
सचिन तेंदुलकर ने आगे लिखा, ”मैंने बीसीसीआई को सुझाव दिया कि सबसे अच्छा विकल्प यही होगा कि ग्रेग को भारत में ही रखा जाए और उन्हें टीम के साथ विश्व कप में न भेजा जाए. निश्चित रूप से ऐसा नहीं हुआ और 2007 का अभियान काफी खराब रहा.” भारत इस वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज में ही बांग्लादेश और श्रीलंका से हारने के बाद बाहर हो गया था. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है, ”मुझे नहीं लगता कि अगर मैं यह कहूं कि हममें से ज्यादातर लोगों को लगता है कि चैपल के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट कहीं नहीं जा रहा है तो मैं गलत होंगा.”
तेंदुलकर का यह भी कहना था कि चैपल टीम से और सीनियर खिलाड़ियों को बाहर करना चाहते थे. वह टीम में बदलाव चाहते थे, जो सीनियर खिलाड़ियों को पसंद नहीं आया था. चैपल ने सचिन को भी कई बार कमजोर कहा था और उनके बैटिंग ऑर्डर में बदलाव की भी कोशिश की थी.