नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक भारत में 6G कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी रोलआउट के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट का अनावरण किया है. विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि 6G मिशन में देश इंडस्ट्री, शिक्षाविदों और सर्विस प्रोवाइडर्स सहित सभी हितधारकों को सैद्धांतिक और सिमुलेशन स्टडीज में शामिल करके रिसर्च के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा. दस्तावेज में कहा गया है कि वर्तमान में लगभग 30 करोड़ भारतीय परिवारों के लिए स्मार्टफोन की कुल वार्षिक खरीद 16 करोड़ से अधिक है.
इसका मतलब है कि आज हर घर औसतन 2 साल में एक फोन के हिसाब से स्मार्टफोन खरीद रहा है. वहीं, दोपहिया वाहनों पर भी सालाना इतनी ही राशि खर्च की जा रही है. डॉॉक्यूमेंट के मुताबकि एक भारतीय के लिए एक निजी स्मार्टफोन अपने निजी वाहन से ज्यादा मूल्यवान है.
6G क्या है?
तकनीकी रूप से 6G भले ही आज मौजूद नहीं है, लेकिन इसकी कल्पना एक बेहतर तकनीक के रूप में की गई है, जो 5G की तुलना में 100 गुना तेज इंटरनेट स्पीड का वादा करती है. पीएम मोदी ने औपचारिक रूप से अक्टूबर 2022 में 5जी सेवाओं की शुरुआत की थी और उस समय कहा था कि भारत को अगले 10 वर्षों में 6जी सेवाओं को शुरू करने के लिए तैयार रहना चाहिए. 5G के विपरीत, जो अपने चरम पर प्रति सेकंड 10 गीगाबिट्स तक की इंटरनेट स्पीड प्रदान कर सकता है, 6G प्रति सेकंड 1 टेराबिट्स तक की गति के साथ अल्ट्रा-लो लेटेंसी प्रदान करने का वादा करती है.
विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार 6जी का इस्तेमाल रिमोट-कंट्रोल फैक्टरी, सेल्फ- ड्राइविंग कारों के कम्युनिकेशन और ह्यूमन सेंसर से सीधे इनपुट लेने वाले स्मार्ट वियरेबल डिवाइस के लिए किया जाएगा. गौरतलब है कि अधिकांश 6G सपोर्टिंग डिवाइस बैटरी से चलने वाले हों
भारत का 6G रोडमैप क्या है?
6G परियोजना को दो चरणों में लागू किया जाएगा और सरकार ने परियोजना की देखरेख करने और स्टैंडर्डाइजेशन, 6G उपयोग के लिए स्पेक्ट्रम की पहचान, डिवाइस और सिस्टम के लिए एक इको सिस्टम बनाने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक एपेक्स साउंसिल नियुक्त की है.
भारत की तत्काल कार्य योजना क्या है?
अपेक्स काउंसिल भारतीय स्टार्ट-अप, कंपनियों, रिसर्च बॉडी और विश्वविद्यालयों द्वारा 6G टेक्नोलॉजी रिसर्च और विकास, डिजाइन और विकास की सुविधा और वित्त पोषण करेगी. इसका उद्देश्य भारत को बौद्धिक संपदा, उत्पादों और किफायती 6G दूरसंचार समाधानों का एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनने में सक्षम बनाना है. काउंसिल का मुख्य फोकस नई तकनीकों जैसे कि टेराहर्ट्ज कम्युनिकेशन, रेडियो इंटरफेस, टैक्टाइल इंटरनेट, कनेक्टेड इंटेलिजेंस के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 6जी डिवाइस के लिए नए एन्कोडिंग तरीके और वेवफॉर्म चिपसेट पर होगा.
अन्य देश 6G रोलआउट को कैसे देख रहे हैं?
दक्षिण कोरिया ने 2025 तक चलने वाले पहले चरण में 1200 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 6जी रिसर्च और विकास योजना की रूपरेखा तैयार की है, ताकि वैश्विक नेतृत्व प्राप्त किया जा सके. वहीं, जापान में इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल एंड वायरलेस नेटवर्क (IOWN) फोरम ने 6G के लिए अपना विजन 2030 श्वेत पत्र प्रकाशित किया है, जिसमें चार आयामों: संज्ञानात्मक क्षमता, जवाबदेही, मापनीयता और ऊर्जा दक्षता में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रमुख तकनीकी दिशाएं निर्धारित की गई हैं.
6G में प्रमुख विकास की भी पहचान की गई है और चीन में इसका अनुसरण किया जा रहा है. देश को उम्मीद है कि अगली पीढ़ी का 6जी नेटवर्क कनेक्टिविटी और सेंसिंग प्लस एआई को सपोर्ट करेगा, जिसमें पूरे नेटवर्क में डिजाइन द्वारा सुरक्षा लागू की जाएगी.