उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने आगरा में मेट्रो ट्रेन चलाने के लिए थर्ड रेल का काम पूरा कर लिया है। ऐसे में जल्द ही डिपो परिसर में पहुंची मेट्रो ट्रेन की टेस्टिंग शुरू हो सकेगी। वहीं, प्रायोरिटी कॉरिडोर के एलिवेटेड भाग में थर्ड रेल बिछाने का काम अभी किया जा रहा है।
पहले समझें कि ये थर्ड रेल क्या है
अब सबसे पहला सवाल जेहन में थर्ड रेल को लेकर आता है। इस बारे में यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि आगरा मेट्रो ट्रेन थर्ड रेल सिस्टम पर काम करेगी। ट्रेनों को चलाने के लिए उपयोग होने वाली OHE (ओवर हेड इक्विपमेंट) प्रणाली का इस्तेमाल इन मेट्रो में नहीं किया जा रहा है।
यहां ट्रेन के ऊपर कोई लाइन नहीं बिछाई जा रही है। बल्कि पटरियों के ठीक बगल में एक और पटरी बिछाई जाएगी। जिस पर 750 वोल्ट DC करंट होगा। इसी पॉवर से मेट्रो दौड़ेगी। इसी सिस्टम को थर्ड रेल का नाम दिया गया है।
सबसे पहले आपको इस ट्रेन की टॉप टेन खासियत पढ़वाते हैं...
रीजेनरेटिव ब्रेकिंग से 35% तक ऊर्जा को रीजनरेट करके फिर से सिस्टम में इस्तेमाल करेंगे।
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रोपल्सन सिस्टम लगाया जा रहा।
कार्बन डाई ऑक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम होगा।
ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन के लिए ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलाया जाएगा।
डिजाइन स्पीड 90 किमी/घंटा और ऑपरेशन स्पीड 80 किमी/घंटा तक होगी।
ट्रेन के पहले और आखिरी कोच में दिव्यांगजनों की व्हील चेयर के लिए अलग से जगह होगी।
ट्रेन में 974 यात्री सफर कर सकेंगे। हर कोच में 56 USB चार्जिंग प्वाइंट्स भी होंगे।
हर ट्रेन में 24 CCTV कैमरे होंगे। सेंट्रल सिक्योरिटी रूम से मॉनिटरिंग होगी।
एंटरटेनमेंट के लिए हर ट्रेन में 36 LCD पैनल्स होंगे।
टॉक बैक बटन से यात्री इमरजेंसी में ट्रेन ऑपरेटर से बात कर सकते हैं।
रिसीविंग सब स्टेशन से थर्ड रेल को मिलेगी बिजली
आगरा मेट्रो के 29.4 लंबे दो कॉरिडोर के लिए कुल तीन रिसीविंग सब स्टेशन (आरएसएस) का निर्माण किया जाना है। फिलहाल, डिपो परिसर में पहला आरएसएस बनकर तैयार हो गया है। वहीं, आईएसबीटी के निकट दूसरे आरएसएस की बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है।
ऐसे काम करता है रिसीविंग सब स्टेशन
आगरा मेट्रो ट्रेन के संचालन के लिए सबसे पहले ग्रिड से 132 केवी की सप्लाई ली जाएगी। इसके बाद रिसीविंग सब स्टेशन में लगे स्टैप डाउन ट्रांसफॉर्मर की मदद से 132 केवी की सप्लाई को 33 केवी में बदला जाएगा। इस चरण के बाद 33 केवी की सप्लाई को टीएसएस (ट्रैक्शन सब स्टेशन) में लगे ट्रैक्शन ट्रांसफॉर्मर की मदद से 750 वोल्ट डीसी में बदलकर ट्रेन संचालन के लिए दिया जाएगा। इसके साथ ही मेट्रो स्टेशनों में लगे ऐस्कलेटर, लाइटिंग, लिफ्ट, एयरकंडीशनिंग आदि सिस्टम के संचालन के लिए 33 केवी की सप्लाई को 440 वोल्ट में बदला जा सकेगा।
बिजली का उत्पादन भी करेगी आगरा मेट्रो
आगरा मेट्रो ट्रेन रीजेनरेटिव प्रणाली के जरिए बिजली का उत्पादन करेंगी। दरअसल, पारंपरिक या मैकेनिकल ब्रेकिंग सिस्टम में गाड़ी को रोकने के लिए ब्रेक शू का प्रयोग किया जाता है, जबकि इस सिस्टम में ब्रेकिंग के दौरान व्हील पर ब्रेक शू के रगड़ने से हीट एनर्जी बनती है। आगरा मेट्रो ट्रेनों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा। इस सिस्टम के जरिए इलेक्ट्रिक मोटर की मदद से ट्रेन को रोका जाएगा। रीजेनरेटिव सिस्टम के जरिए उत्पादित बिजली को ट्रेन के विभिन्न सिस्टम को चलाने के लिए प्रयोग किया जाएगा।