भारत में साल 2020 से ही टिकटॉक पर बैन लगा हुआ है. अब चीन के इस सोशल मीडिया ऐप को ब्रिटेन सरकार ने भी बैन कर दिया है. गुरुवार को ब्रिटेन की सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि कोई भी मिनिस्टर या ऑफिसर अब अपने फोन में TikTok का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा. ब्रिटेन की सरकार ने इसे सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना है. इस तरह सररकारों द्वारा ऐप को बैन किए जाने पर ऐप के अस्तित्व पर ही संकट आ खड़ा है.
ब्रिटेन की ऋषि सुनक सरकार ने गुरुवार को अचानक टिकटॉक पर बैन लगाकर सभी को चौंका दिया. फिलहाल इसका दायरा सीमित रखा गया है. यानी अभी केवल मंत्री और अधिकारियों को ही ये कहा गया है कि वे अपने फोन में इस सोशल मीडिया ऐप का इस्तेमाल ना करें
कैबिनेट ऑफिस मिनिस्टर ओलिवर डाउडेन ने कहा कि कोई भी मंत्री या अधिकारी इस ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा. साथ ही इस ऑर्डर को तुरंत ही अमल में लाना होगा. उन्होंने कहा कि ये फैसला नेशनल सायबर सिक्योरिटी सेंटर की रिपोर्ट की जांच के बाद लिया गया है. ये ऐप राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा बन सकता है
भारत और ब्रिटेन ही नहीं बल्कि अमेरिका से भी टिकटॉक के लिए बुरी खबर ही है. वहां की सरकार ने कहा कि अगर ऐप की चीन में मौजूद पेरेंट कंपनी इसका बड़ा हिस्सा किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचती है तो पूरे अमेरिका में इसे बैन कर दिया जाएगा
अमेरिका की जो बाइडेन सरकार भी टिकटॉक पर बैन की पूरी तैयारी कर ली है. केवल इसके लिए लीगल ग्राउंड्स तैयार किए जा रहे हैं. ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने पेरेंट कंपनी बाइटडांस को लेटर कहा है कि कंपनी की एक तय और बड़ी हिस्सेदारी किसी अमेरिकी कंपनी को बेची जाए. ऐसा नहीं होने पर पूरे अमेरिका में ऐप को बैन कर दिया जाएगा
हालांकि, इस पर चीन का कहना है कि अमेरिकी सरकार दवाब डाल रही है और चीन की कंपनियों को बर्बाद करने पर तुली हुई है. वहीं, अमेरिका के इस कदम पर बाइटडांस का कहना है कि हमारे 60% शेयर ग्लोबल इन्वेस्टर्स, 20% कर्मचारियों और 20% इसके फाउंडर मेंबर्स के पास हैं. कंपनी पारदर्शी तरीके से काम करती है
एक्सपर्ट्स के मुताबिक TikTok समेत बाकी चीनी ऐप्स इसलिए खतरा हैं क्योंकि ये यूजर्स से फोन बुक, लोकेशन, वीडियो, फोटो और गैलरी जैसे कई एक्सेस लेते हैं. फिर ये डेटा भारत के बाहर मौजूद सर्वर पर जाता है. फिर ये डेटा चीनी सरकार तक पहुंच जाता है.भारत में भी इस ऐप को अश्लील कंटेंट को बढ़ावा देने और भारतीयों का डेटा चोरी करने के आरोप के चलते बैन लगाया गया था. इसे भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत बैन किया गया था.