नई दिल्ली: बात है साल 2010 की. टीम इंडिया श्रीलंका के दौरे पर थी, जहां उसे 3 टेस्ट मैच की सीरीज खेलनी थी. श्रीलंका के दिग्गज स्पिनर मुथैया मुरलीधरन 792 विकेट ले चुके थे. उन्होंने सीरीज शुरू होने से पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह भारत के खिलाफ सीरीज के पहले टेस्ट मैच के बाद इसे फॉर्मेट से संन्यास ले लेंगे.
18 जुलाई से गाले में पहले टेस्ट मैच की शुरुआत हुई. श्रीलंका ने बैटिंग करते हुए 520 रन बनाए. जवाब में टीम इंडिया 276 रन पर ऑल आउट हो गई. वीरेंद्र सहवाग (109) को छोड़ कोई और बैटर मुथैया मुरलीधरन का ज्यादा देर तक सामना नहीं कर पाया. मुरली ने 5 विकेट चटकाए. श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने 244 रन की लीड मिलने के बाद भारत को फॉलोआन के लिए कह दिया. भारत की तरफ से दूसरी पारी में भी कोई शतक नहीं आया और टीम ने 314 रन पर 9 विकेट गंवा दिए. इस बार आफत बने लसित मलिंगा, जिन्होंने 5 बैटर को पवेलियन भेजा.मजेदार वाकये की शुरुआत यही से होती है.
10वें नंबर की बैटर ने कर दी मुरलीधरन की फजीहत
मुथैया मुरलीधरन ने दूसरी पारी में 2 विकेट लिए और मैच में वह 7 विकेट अपने नाम कर चुके थे.मुरली रिकॉर्ड 800 विकेट से सिर्फ एक कदम दूर थे.ये वक्त उनके लिए बेहद अहम था,क्योंकि इसके बाद उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलता.टीम इंडिया की आखिरी जोड़ी के तौर पर इशांत शर्मा और प्रज्ञान ओझा विकेट पर थे. 9वां गिरने के बाद इन दोनों खिलाडि़यों ने अगले कई ओवरों तक श्रीलंकाई गेंदबाजों को विकेट के लिए तरसा दिया. सबसे ज्यादा परेशान थे मुथैया मुरलीधरन. इसके बाद मैदान पर क्या हुआ,इसे दुनिया के बेहतरीन स्पिनर की जुबान से ही जानिए.
रविचंद्रन अश्विन से बात करते हुए मुरलीधरन ने बताया, 14 ओवर बचे थे.मेरे लिए अच्छी बात ये थी कि मलिंगा चोटिल होकर मैदान से बाहर चले गए थे. लेकिन धीरे-धीरे वक्त निकलता जा रहा था. ड्रिंक ब्रेक के दौरान मैंने प्रज्ञान ओझा की बजाए इशांत शर्मा से बात करना बेहतर समझा.मैं उनके पास गया और कहा, इशांत…आप यहां बहुत देर से है. बस एक गेंद को मैदान से बाहर निकालने की कोशिश कीजिए और आउट हो जाइए. आपके यहां खड़े रहने से चीजें नहीं बदलेंगी.आप रन भी नहीं बना रहे हैं. कम से कम मुझे मेरा 800वां विकेट ले लेने दीजिए.
इस पर इशांत ने कहा,नहीं…मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करूंगा.टीम इंडिया का लंबू अपनी बात पर कायम रहा और उसने मुरलीधरन को अपना विकेट नहीं दिया.आखिर में मुरली ने ऑफ स्टंप के ठीक बाहर एक गेंद फेंकी, जो तेजी से घूमी और इस पर प्रज्ञान ओझा ने बल्ला चला दिया. गेंद सीधा महेला जयवर्धने के हाथों में गई और मुथैया मुरलीधरन खुशी से झूम उठे. इशांत शर्मा ने 106 गेंदों का सामना करते हुए 31 रन बनाए. वह बगैर आउट हुए ड्रेसिंग रूम में लौटे.