New Delhi: पहली बार अरब सागर में INS Vikrant पर Naval Commanders Conference का हुआ आयोजन, सुरक्षा के लिहाज से लिये गये बड़े फैसले

New Delhi: पहली बार अरब सागर में INS Vikrant पर Naval Commanders Conference का हुआ आयोजन, सुरक्षा के लिहाज से लिये गये बड़े फैसले

इस सम्मेलन का आयोजन अरब सागर में देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर किया गया। सम्मेलन में लिये गये फैसलों के बारे में भी आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले बता दें कि सागर में तैनात भारत के इस विराट विक्रांत पर इस सप्ताह आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भी सवार हुए थे और उन्होंने देखा कि कैसे भारतीय नौसेना दुनिया की शक्तिशाली नौसेनाओं में शुमार हो गयी है। आईएनएस विक्रांत इस सप्ताह मुंबई बंदरगाह के पहले दौरे पर था जहां मीडिया से बातचीत में कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन विद्याधर हरके ने इस जहाज की शक्तियों का वर्णन करते हुए बताया था कि लगभग 262 मीटर लंबे और 59 मीटर ऊंचा आईएनएस विक्रांत एक परिष्कृत वायु रक्षा प्रणाली और जहाज रोधी मिसाइल प्रणाली से लैस है। इस पोत पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात हो सकते हैं। 

द्विवार्षिक कमांडर सम्मेलन की बात करें तो आपको बता दें कि आईएनएस विक्रांत पर भारतीय नौसेना को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ ही समुद्री सीमाओं की कड़ी निगरानी बनाए रखना आवश्यक है। देखा जाये तो हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। मुख्य ‘ब्रीफिंग रूम’ में बैठे रक्षा मंत्री ने ‘‘दृढ़ता से डटे रहने’’ और साहस व समर्पण के साथ राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए बल की सराहना भी की। राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य के संघर्ष अप्रत्याशित होंगे इसलिए सशस्त्र बलों को उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि रक्षा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को बदल देगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगले 5-10 वर्षों में, रक्षा क्षेत्र के माध्यम से 100 अरब डॉलर से अधिक के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है और और यह देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार बनेगा।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि आज भारतीय नौसेना पूरी तरह तैयार है।

हम आपको बता दें कि द्विवार्षिक कमांडर सम्मेलन को संबोधित करने से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और नौसेना के अन्य कमांडर के साथ एक व्यापक नौसेना युद्ध अभ्यास का निरीक्षण किया, जिसमें विक्रांत के साथ अन्य युद्धपोत तथा मिग-29के जेट समेत अन्य लड़ाकू विमानों ने भी हिस्सा लिया।

हम आपको यह भी याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल सितंबर में 40 हजार टन से ज्यादा वजन वाले इस विमानवाहक पोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया था। आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘तैरता हुआ शहर’ करार दिया था। उन्होंने कहा था कि यह पोत रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर बनने का परिचायक है। इस पोत का लगभग 23 हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्माण किया गया है।

दूसरी ओर, कमांडरों के सम्मेलन के दौरान भारत की नौसैनिक शक्ति में इजाफा करने और तीनों सशस्त्र बलों के बीच तालमेल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। क्षेत्र की मौजूदा भू-रणनीतिक स्थिति के मद्देनजर इस सम्मेलन में आगे के लिए रणनीति भी तय की गयी। सम्मेलन ने नौसेना कमांडरों के लिए सैन्य एवं रणनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के साथ-साथ एक संस्थागत ढांचे के तहत वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से बातचीत करने के एक मंच के रूप में भी सहयोग किया। इस साल के सम्मेलन की खासियत यह थी कि कमांडर सम्मेलन का पहला चरण समुद्र में और पहली बार भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर आयोजित किया गया।

सम्मेलन में सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की, ताकि सामान्य परिचालन वातावरण में तीनों सशस्त्र सेवाओं के बीच तालमेल के मुद्दे को संबोधित किया जा सके। इसके अलावा, भारत की रक्षा और राष्ट्रीय हितों को लेकर तीनों सशस्त्र बलों के बीच तालमेल और तत्परता बढ़ाने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा की गयी। सम्मेलन के पहले दिन समुद्र में परिचालन क्षमता का प्रदर्शन भी किया गया। सम्मेलन के दौरान नौसेना कमांडरों को अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन के संबंध में अपडेटेड जानकारी भी मुहैया कराई गयी। हम आपको बता दें कि इस योजना के तहत ‘नौसेना अग्निवीरों’ का पहला बैच मार्च के अंत में आईएनएस चिल्का से पास आउट होने वाला है। इस बैच में महिला जवान भी शामिल हैं। इसके अलावा नौसेना कमांडरों ने समुद्री क्षेत्र में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी विचार किया।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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