वीरांगनाओं को जबरन घर पहुंचाने और राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ीलाल मीणा से पुलिस बदसलूकी का मामला अब तूल पकड़ रहा है। जयपुर में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के बाहर हो रही सभा के बाद नेताओं-कार्यकर्ताओं ने सहकार भवन की ओर जाने का प्रयास किया।
रोकने के प्रयास में नेताओं-कार्यकर्ताओं की भीड़ पुलिस से उलझ गई। पुलिस की गाड़ी पर भी पथराव हुआ है। हजारों की संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रदर्शन में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष डॉ राजेंद्र सिंह राठौड़, सांसद घनश्याम तिवाड़ी सहित कई नेता मौजूद हैं।
दरअसल, नेताओं में सांसद से हुई बदसलूकी को लेकर नाराजगी है। इस प्रदर्शन में दौसा, करौली से किरोड़ी समर्थक भी पहुंचे हैं। वहीं, सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में एडमिट सांसद की हालात सामान्य बताई जा रही है।
इससे पहले शुक्रवार शाम को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने वीरांगनाओं के मुद्दे को लेकर सरकार और सीएम पर तंज कसा। उन्होंने कहा, वीरांगनाओं को सुना जाना चाहिए था, उनकी मांगों को मानना या नहीं मानना, बाद का मुद्दा है। जहां तक नौकरियों की बात है, किसी को एक-दो नौकरी देने से बदलाव आने वाला नहीं है।
मुद्दा मार्मिक है तो उसे उसी तरह से डील भी करना चाहिए। हम अगर किसी को कुछ नहीं भी देना चाहें तो बैठकर मिलकर संवेदनशील होकर समझाएं तो मामला बेहतर बन सकता है। ये बात पायलट ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान की।
पायलट ने कहा- मुझे नहीं लगता कि इसमें कांग्रेस, बीजेपी या जनता दल या इस प्रकार की बातें करनी चाहिए क्योंकि यह देश, एक दल का नहीं है, यह पूरे भारतवासियों का है। हमारी फौज पूरे देश की रक्षा करती है। हमारे सैनिक सरहद पर खड़े होकर गोली खा रहे हैं, गोली खाने को तैयार हैं; वे किसी जाति धर्म या विचारधारा के लिए नहीं पूरे देश के लिए खड़े हैं।
उनके मान सम्मान में कोई कमी नहीं आने देनी चाहिए और ऐसा लगना भी नहीं चाहिए। अगर कोई गलतफहमी है और मांगें ज्यादा कर लीं तो बैठकर समझाया होता तो बेहतर समाधान निकल सकता था।
संवेदनशीलता से वीरांगनाओं की बातों को सुना जाना चाहिए था
पायलट ने कहा- आज भी मानता हूं कि कोई छोटी मोटी मांगें हैं, किसी की सड़क का है, चारदीवारी का है, मूर्ति का है उसे हम पूरा कर सकते हैं। क्योंकि देश में ऐसा मैसेज नहीं जाना चाहिए कि वीरांगनाओं की बात हम सुनने को ही तैयार नहीं हैं।
बात को मानना अलग बात है लेकिन इसे सुनने में इगो सामने नहीं लाना चाहिए चाहे कोई भी व्यक्ति हों। वीरांगनाएं मेरे घर आईं, वे भावुक थीं, उनकी बात को सुना।
महिला हैं? भावुक हैं, उनकी मानसिक हालत क्या होगी बड़ी संवेदनशीलता से उनकी बातों को सुना जाना चाहिए था। अगर नहीं भी करना चाहें तो भी उन्हें बैठकर समझाकर बेहतर तरीके से मामले का समाधान निकाला जा सकता था।
शहीदों के परिजन देश की संपत्ति
पायलट ने कहा- वीरांगनाओं के मुद्दे पर कभी भी किसी व्यक्ति को राजनीति नहीं करनी चाहिए। जिन लोगों ने वर्दी पहनकर देश सेवा की है जिन्होंने सब कुछ कुर्बान कर दिया, शहादत दी है अन लोगों की तुलना नहीं हो सकती। उन लोगों के परिजन देश की संपत्ति हैं, जिन्हें सहेजकर रखना हर सरकार, हर नागरिक और हम सबकी ड्यूटी है।
वीरांगनाओं के साथ पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं, कार्रवाई हो
पायलट ने कहा- तीनों महिलाएं मेरे पास भी आई थीं, वे बहुत उत्तेजित थीं, बहुत दुखी थीं। मैंने उन्हें खाना खिलाया, जूस पिलाया। कारण कोई भी हो, अगर कोई वीरांगना अपनी बात को रखती है, उनकी बात को हम माने या नहीं, यह बाद का विषय है।
उनके साथ जो व्यवहार पुलिस ने किया, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। किसी नागरिक के साथ यह व्यवहार नहीं किया जा सकता। कोई कारण रहा हो, उनकी मांगे मानना या नहीं मानना बाद का विषय है लेकिन इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं है।
किसी व्यक्ति ने उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया और करवाया है उस पर जांच करवाकर कार्रवाई करनी चाहिए, मैं आज भी उस बात पर कायम हूं।
पायलट ने वीरांगनाओं को धरने से उठाने को भी गलत बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति को धरना देने,प्रदर्शन करने और अपनी बात रखने का अधिकार है, इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।