इंफ्लूएंजा-A के सब टाइप इंफ्लूएंजा (H3N2 वायरस) का कहर बढ़ता जा रहा है। कानपुर, आगरा, लखनऊ और प्रयागराज में इंफ्लूएंजा-A के मामले तेजी से बढ़े हैं। बीते 5 दिनों में कानपुर में वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है। 23 गंभीर मरीजों को कानपुर के हैलट हॉस्पिटल में ICU में भर्ती किया गया है। इसमें 3 मरीज वेंटीलेटर पर हैं।
आगरा में जिला अस्पताल की ओपीडी में शुक्रवार को 2500 से अधिक मरीज पहुंचे। जिला अस्पताल के डॉ. अशोक अग्रवाल भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं।
कानपुर: रोजाना 20 मरीज इमरजेंसी में आ रहे
कानपुर मेडिकल कॉलेज की कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. रिचा गिरी के मुताबिक रोजाना इमरजेंसी में करीब 15 से 20 मरीज हैलट इमरजेंसी में एडमिट हो रहे हैं। इन्हें फेफड़ों और सांस नली में संक्रमण के चलते सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
फेफड़ों में पाया गया संक्रमण
प्रो. रिचा गिरी ने बताया कि मरीजों की केस हिस्ट्री तैयार की गई है, सभी को 15 से ज्यादा दिनों से खांसी, जुकाम और बुखार था। इसके बाद सभी को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। एक्स-रे कराने पर फेफड़ों में संक्रमण पाया गया है। 23 मरीजों की स्थिति देखते हुए आईसीयू और एचडीयू में एडमिट कराया गया है।
मेडिकल कॉलेज में जांच की सुविधा ही नहीं
कानपुर में इंफ्लूएंजा-ए वायरस का हमला होने के बाद भी जांच की सुविधा नहीं है। कार्यवाहक प्राचार्य के मुताबिक प्रदेश में अभी इसकी जांच सिर्फ लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानी KGMU की आईसीएमआर लैब में ही हो रही है।
लगातार गिर रहा है ऑक्सीजन लेवल
ICMR ने पहले ही एच3एन2 वायरस के प्रकोप की जानकारी दे दी है। हैलट मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. जेएस कुशवाहा की इमरजेंसी में रोगियों को भर्ती किया जा रहा है। कई मरीजों में ऑक्सीजन लेवल में भी उतार-चढ़ाव है।
आगरा: बुखार ठीक होने में लग रहे 3 से 5 दिन
आगरा जिला अस्पताल में पहुंच रहे मरीजों में ज्यादातर बुजुर्ग और बच्चे शामिल हैं। सबसे अधिक शिकायत बुखार के साथ खांसी की है। दवा लेने के बाद भी लोगों को बुखार लौट रहा है। 3 से 5 दिन में बुखार ठीक हो जाता है, लेकिन मरीजों की खांसी नहीं जा रही है।
जिला अस्पताल में भीड़ अधिक होने से मरीजों को जांच के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं देहात क्षेत्र में स्वास्थ्य केंद्रों पर भी वायरल फीवर के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। निजी अस्पतालों में भी 2 दिन से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं।
अधिकांश मरीजों में कोरोना जैसे लक्षण
जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अनीता शर्मा ने बताया कि होली से पहले ओपीडी में मरीजों की संख्या 2 हजार के करीब थी। शुक्रवार को यह संख्या बढ़कर 2.5 हजार पर पहुंच गई। पिछले 2 दिन से लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बुखार से पीड़ित मरीजों 3 से 4 दिन में आराम मिल रहा है। अधिकांश मरीजों में कोरोना जैसे लक्षण है लेकिन कोरोना नहीं है।
सीएमएस डॉ. शर्मा ने बताया कि मरीजों कोविड नियमों का पालन करने की सलाह दी जा रही है। घर के किसी एक सदस्य के बीमार होने पर संक्रमण परिवार के अन्य सदस्यों में भी फैल रहा है। इसलिए जो मरीज हैं, वे मास्क लगाएं, छींकते समय कपड़े का इस्तेमाल करें, हाथों को सेनेटाइजर लगाकर या साबुन से धोकर स्वच्छ रखें।
लखनऊ: KGMU की OPD में पहुंचे 35 से 45 मरीज
KGMU के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि इस वायरल इंफ्लूएंजा से बचाव बेहद जरूरी हैं। फरवरी से इससे जुड़े लक्षण वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। होली के बाद कई ऐसे मरीज भी सामने आए जिनमें यह बीमारी क्रोनिक रूप ले चुकी है। इससे कोविड प्रोटोकॉल से ही बचाव किया जा सकता है।
वहीं KGMU की OPD में रोजाना बुखार और खांसी जुकाम के 35 से 45 मरीज पहुंच रहे हैं। जबकि बलरामपुर अस्पताल में 25 - 35, सिविल अस्पताल में 20 - 30, लोकबंधु अस्पताल में 20 - 30 मरीज आ रहे हैं।
पढ़िए एक्सपर्ट क्या कहते हैं...
1968 में पहली बार इंसानों में मिला था वायरस
एच3एन2 इंफ्लूएंजा ए, बी और सी इंसानों में फैलता है। हालांकि इंफ्लूएंजा ए-बी हर साल मौसमी महामारी के तौर पर फैलता है। अब इंफ्लूएंजा ए वायरस दो प्रोटीनों के आधार पर दो अलग टाइप में विभाजित होता है। यह दो प्रोटीन हैं।
हेमाग्लगुटिनिन और न्यूरोमिनिडेस के 18 अलग-अलग टाइप हैं, जिन्हें एच 1से 8 तक के क्रम में रखा गया है। पहली बार एच3एन2 वायरस इंसानों में वर्ष 1968 में पाया गया। डॉ. अर्जुन डांग के मुताबिक एच3एन2 वायरस के एक प्रकार का इंफ्लूएंजा- A है।
अगर नीचे लिखे लक्षण दिखें तो बिना देर किए अस्पताल में मरीज को भर्ती कराएं...
सांस लेने में तकलीफ होना
ऑक्सीजन लेवल 93 से कम हो
छाती और पेट में दर्द और दबाब महसूस होना
बहुत ज्यादा उल्टी
मरीज कंफ्यूज रहे या उसे भ्रम होने लगे
मरीज के सिम्पटम्स में सुधार हो जाने के बाद बुखार और खांसी रिपीट होने लगे।
सर्दी-खांसी को ये लोग हल्के में न लें, H3N2 का हो सकता है रिस्क
बुजुर्ग
अस्थमा के मरीज
दिल की बीमारी या उससे रिलेटेड प्रॉब्लम है
किडनी प्रॉब्लम के मरीज
प्रेग्नेंट महिला
जिन लोगों की डायलिसिस चल रही है।
फिलहाल केस बढ़ रहे हैं इसलिए आज से ही ये प्रिकॉशन लें, कॉमनसेंस का इस्तेमाल करें..
कोई भी सिम्टम्स दिखें तो उसे नजरअंदाज न करें।
फ्लू शॉर्ट्स अमेरिका में लेने का ट्रेंड है। हमारे देश में भी यह अवेलेबल है लेकिन जानकारी के अभाव में हम लेते नहीं। इसे फौरन लें। खासकर अगर आपके घर में बुजुर्ग और बच्चे हैं तो उन्हें लगावाएं।
जो गलती आपने कर दी उसे न दोहराएं, यानी भीड़ वाली जगह पर बिना मास्क न जाएं। पार्टी, वैगराह पर जाने से बचें।
H3N2 वायरस से बचने के लिए करें ये 6 उपाय
अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोते रहें।
सेनिटाइजर साथ में रखें, और इसका इस्तेमाल करें।
जो व्यक्ति बीमार है उसके कॉन्टैक्ट में आने से बचें।
यदि आप छींक या खांस रहे हैं, अपना मुंह ढक लें क्योंकि वायरल इन्फेक्शन तेजी से फैलता है।
आंखों और चेहरे को बार-बार छुने से बचें।
भीड़ वाली जगह पर जा रहे हैं तो मास्क जरूर लगाएं।
H3N2 वायरस का इलाज क्या है?
खुद को हाइड्रेट रखें, लिक्विड पीते रहें।
बुखार, खांसी या सिरदर्द हने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
इन्फ्लूएंजा वायरस से बचने के लिए फ्लू शॉट्स लें।
बुखार, सर्दी-खांसी हाेने पर अपने मन से एंटीबायोटिक्स न लें।
घर के बाहर मास्क लगाकर रखें, भीड़ वाली जगह से बचें।