अक्सर खबरें पढ़ते सुनते होंगे आप कि महीनों से , सालों से भटक रहा शिकायत कर्ता नही हुई जांच या जांच हुई तो संतुष्ट नही हुआ शिकायतकर्ता टाइप पर शिकायत कर्ता अगर सत्तापक्ष का विधायक हो तो ऐसा भी होता है , 2 तारीख को शिकायत , 3 तारीख को जांच और सेम Day यानि 3 ही तारीख को अफसरों की तरफ से जांच में क्लीन चिट विद the संतुष्टि ऑफ विधायक मने मामला मैनेज । इतना फास्टट्रैक मामला कम ही सुनाई पड़ता है , होता बहुत बार होगा पर अबकी Khanzar Sutra की नज़र में आ गया सो ज़ाहिर हो गया है जग में अब । मामला चौंकाने वाला तब और बन गया ये जब विधायक ने साफ इंकार कर दिया अपनी तरफ से दी गयी किसी भी तरह की क्लीन चिट से जैसा कि अफसरों ने जांच आख्या में लिखा ।
तो मामला कुछ यूं था कि बीते 2 मार्च को हरदोई जिले की बालामऊ विधानसभा से बीजेपी विधायक पूर्व मंत्री रामपाल वर्मा ने जनपद में हुई धान की सरकारी खरीद पर तमाम सवालिया निशान लगाए थे और जिम्मेदार अफसरों पर गम्भीर आरोप लगाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ को एक शिकायती पत्र लिखा था । जिसके अगले ही दिन शिकायत का त्वरित संज्ञान लेते हुए विशेष सचिव दिव्य प्रकाश गिरी ने खाद्य एवं रसद आयुक्त को पत्र लिखकर मामले की जांच करने के आदेश दे दिए थे । जितनी त्वरित गति से मामले की जांच के आदेश हुए उससे दुगनी गति से जिला प्रबंधक पी सी यू हरदोई ने जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी को जाँच आख्या सौंपते हुए बताया कि जांच में कोई शिकायत नही मिली , विधायक जी को वस्तुस्थिति बता दी गयी है और विधायक जी ने सोशल मीडिया पर डाली अपनी पोस्ट को यानि शिकायती पत्र को हटा लिया है। सरल भाषा मे समझे तो मामला मैनेज हो गया है ।
वहीं इस मामले में जब विधायक रामपाल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने किसी भी तरह की जांच आख्या में स्वंय की भागीदारी से इनकार किया और इसे अफसरों का खेल बता दिया , विधायक का साफ कहना था कि उनकी जानकारी में डीएम ने कोई टीम बनाई है जांच के लिए बाकी अपनी शिकायत को सोशल मीडिया से हटा लेने जैसा कुछ नही हुआ है , उनको अफसरों ने कोई जानकारी नही दी शिकायत के बारे में । खरीद के नोडल अधिकारी डिप्टी आरएमओ अनुराग पांडेय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले में जांच टीम गठित कर दी गयी है, विधायक रामपाल वर्मा की संतुष्टि की जो बात जांच आख्या में पीसीयू के प्रबंधक के हवाले से लिखी गयी उस पर कुछ नही बोले डिप्टी आरएमओ , अब इस गोलमाल का सारा ठेका मतलब पीसीयू के प्रबंधक के माथे है ।
अब पढ़िए जो विधायक जी लिखे थे अपनी शिकायत में ।
2022-23 में हुई धान खरीद में अधिकारियों व बिचौलिए ने मिलकर बड़े स्तर पर भष्टाचार किया है। हरदोई में सरकारी धन का बन्दरबांट किया गया है। इसमें क्रय केन्द्र खोलने से फर्जी खरीद, विचौलिये से खरीदारी कर किसानों के नाम दर्ज कर भुगतान हड़पना, मिल मालिकों से सट्टेबाजी, घटतौली, प्रति कुन्टल खरीद पर कटौती तथा एक ही स्थान पर अलग-अलग नाम से कई-कई केन्द्र खोल कर गोरख धंधा चलाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पी0सी0एफ, पी0सी0यू0 व सहकारिता विभाग के अधिकारियों द्वारा भष्टाचार किया गया। इसके चलते किसानों को अपेक्षा के अनुरूप धान क्रय केन्दों से उचित लाभ व मुल्य नही मिल पाया। किसानों अपना धान औने-पौने दामों में बेचना पड़ा। बिचौलियों ने केन्द्र संचालकों से साठगांठ कर सरकारी खरीद योजना का फायदा उठाया। सरकार के करोड़ो रूपये का बन्दरबांट कर लिया गया।
इतने गम्भीर आरोपों से भरी शिकायत का जांच आदेश वाले ही दिन निस्तारण हो जाना और अफसरों का विधायक का अपनी शिकायत से पीछे हट जाना , संतुष्ट हो जाना घोषित कर देना बिना विधायक की मर्जी के तमाम सवाल छोड़ता है और जबाब भी मांगता है ।अफसरों की बाजीगरी और नेताओं की रीति नीति का ये गठजोड़ किस तरह से आम पब्लिक को बेवकूफ बनाता या समझना चाहता है ये प्रकरण इसकी बेनज़ीर बानगी है ।
(अभिनव द्विवेदी)