झांसी में गुरुवार शाम ब्रज के बरसाने जैसी लट्ठमार होली खेली गई। करीब 1100 साल पुरानी परम्परा जीवित रखने के लिए 150 महिलाओं ने 400 लड़कों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पुरुष ढाल लेकर बचते रहे। मान्यता है कि लड़कों को 40 फुट ऊंचे खंब पर चढ़कर गुड़ तोड़ना था।
लट्ठमार होली के दौरान चार लोगों के सिर फूट गए। वहीं, करीब 300 लाठियां भी टूट गईं। करीब 2 घंटे तक यह सिलसिला यूं ही चलता रहा। फिर युवा झुंड बनाकर आए और खंब तक पहुंचे। गांव के लखपत परिहार ने खंब पर चढ़कर गुड़ तोड़ दिया। होली की यह अनोखी डगरवाहा गांव में हुई।
अब पढ़े, कैसे शुरू हुई लट्ठमार होली
ग्रामीण बताते हैं कि “हमारे पुरखे बताते थे कि करीब 1100 साल पहले मथुरा से एक परिवार गांव में आकर बस गया। गढ़ी बनाकर वे रहने लगे, गांव के लोग उनको राजा बुलाते थे। उन्हीं ने इस होली की शुरुआत की थी। तब से लेकर अब तक गांव में लट्ठमार होली की परंपरा चली आ रही है। खाती बाबा मंदिर के सामने दूज के दिन 40 फुट लंबा खंब लगाया जाता है। इसमें ऊपर गुड़ और धनराशि बांधी जाती है।
सैकड़ों की संख्या में पुरुष होली खेलते हैं और महिलों से बचकर खंब पर चढ़कर गुड़ तोड़ते हैं। वहीं, महिलाएं बांस के 15 फीट लंबे डंडे मारकर उन्हें रोकती हैं। बचने के लिए पुरुष जेरी (लाठी) लिए रहते हैं। जब तक गुड़ नहीं टूटता, तब तक होली चलती है। अगर दूज के दिन पुरुष गुड़ नहीं तोड़ पाते हैं तो फिर पांचे (3 दिन बाद) को दोबारा होली खेली जाती है।