New Delhi: केजरीवाल मंत्रिमंडल में 10 सालों के बाद होगी महिला मंत्री, आतिशि और सौरभ भारद्वाज के जरिए जातीय समीकरण को साधेगी आप

New Delhi: केजरीवाल मंत्रिमंडल में 10 सालों के बाद होगी महिला मंत्री, आतिशि और सौरभ भारद्वाज के जरिए जातीय समीकरण को साधेगी आप

दिल्ली में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद से अरविंद केजरीवाल की सरकार में अब फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है। खुद अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की जगह उनकी कैबिनेट में सौरभ भारद्वाज और आतिशी लेंगे। इनके नाम को उपराज्यपाल को भी भेजा जा चुका है। हालांकि, 10 सालों के बाद केजरीवाल की कैबिनेट में किसी महिला मंत्री को एंट्री मिलने जा रही है। केजरीवाल ने शुरुआत में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। उस दौरान राखी बिरला को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था। लेकिन दूसरी बार जब उन्होंने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई तो किसी महिला मंत्री को कैबिनेट में शामिल नहीं किया। 

2020 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद केजरीवाल ने अपने पुराने मंत्रिमंडल को ही एक बार फिर से दोहराया। ऐसे में किसी महिला को एक बार फिर मौका नहीं मिला। लेकिन सिसोदिया के इस्तीफे के बाद अब आतिशी को केजरीवाल कैबिनेट में जगह मिलने जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि आतिशि मनीष सिसोदिया के साथ शिक्षा के क्षेत्र का काम लगातार देखती रही है। यही कारण है कि आतिशी को कैबिनेट में शामिल करने पर वरीयता दी जा रही है। आतिशी के अलावा सौरभ भारद्वाज को भी कैबिनेट में जगह दी जाएगी। सौरभ भारद्वाज ब्राह्मण चेहरे हैं। ऐसे में उनके जरिए ब्राह्मणों को भी साधने की कोशिश होगी। भारद्वाज इससे पहले 2013 में भी मंत्री रह चुके हैं। 

वर्तमान में केजरीवाल सरकार में शामिल मंत्रियों को देखें तो गोपाल राय भूमिहार जाति से आते हैं और वह उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से हैं। 2014 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। तब से वह लगातार मंत्री बने हुए हैं। राय की पार्टी संगठन में भी अच्छी पकड़ है और वह दिल्ली में आप के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और पूर्वांचलियों के बीच लोकप्रिय भी हैं। इमरान हुसैन केजरीवाल सरकार में शामिल मुस्लिम मंत्री हैं जिनके पास खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग की जिम्मेदारी है। वह 2015 से लगातार मंत्री में बने हुए हैं। मुस्लिमों के बीच उनकी लोकप्रियता भी है। दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले कैलाश गहलोत जाट परिवार से आते हैं। दिल्ली में जाट मतदाताओं को साधने में उनकी भूमिका जबरदस्त रहती है। 

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