नई दिल्ली: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंदौर में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का तीसरा टेस्ट खेला जा रहा है. नागपुर और दिल्ली का दंगल गंवाने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने इंदौर में जबरदस्त वापसी की. टॉस की उछाल में बाजी भले ही भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने मारी. लेकिन, फिरकी के जाल में स्टीव स्मिथ ने टीम इंडिया को उलझाया. पहली पारी में भारत महज 109 रन पर ढेर हो गया.
ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही थी. ट्रेविस हेड जल्दी आउट हो गए थे. लेकिन, इसके बाद उस्मान ख्वाजा और मार्नस लैबुशेन ने ऐसा मोर्चा संभाला कि भारतीय गेंदबाज विकेट के लिए तरसते दिखे. दोनों के बीच बल्लेबाजी के लिए मुश्किल विकेट पर 198 गेंद में 96 रन की साझेदारी हुई. इंदौर के होलकर स्टेडियम के विकेट के मिजाज को देखते हुए ये साझेदारी निर्णायक साबित होगी.उस्मान ख्वाजा ने एक बार फिर अपने ऊपर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया. ख्वाजा के लिए एक्सपर्ट हमेशा ऐसा कहते हैं कि वो घर पर शेर हैं. बाहर अपना दम नहीं दिखा पाते हैं. लेकिन, पहली बार भारत में टेस्ट खेल रहे ख्वाजा ने सबकी बोलती बंद कर दी.
ख्वाजा अंगद की पैर की तरह जमे
उस्मान ख्वाजा ने दिल्ली टेस्ट में सबसे अधिक 81 रन की पारी खेली थी. हालांकि, दूसरी पारी में वो जल्दी आउट हो गए थे. इसके बाद उनपर सवाल उठ रहे थे. लेकिन, इंदौर टेस्ट में उस्मान ने अर्धशतक ठोक सवालों उठाने वालों को अपने बल्ले से जवाब दे दिया. एक दौर ऐसा था, जब उस्मान को 2016-17 में लगातार तीन बार भारतीय उपमहाद्वीप के दौरे पर आई ऑस्ट्रेलियाई टीम से ड्रॉप कर दिया गया था. लेकिन, अब वही ख्वाजा उपमहाद्वीप में 54 की औसत से रन बना रहे हैं. वो एशियाई पिचों पर ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल बल्लेबाज हैं. बीते 12 महीनों में ख्वाजा ने इस बात को बार-बार साबित किया है.
घर के शेर ने भारत का निकाला दम
ख्वाजा ने पिछले साल श्रीलंका दौरे पर भी गॉल टेस्ट में 71 रन की पारी खेली थी. इस टेस्ट में सिर्फ 3 अर्धशतक लगे थे और इसमें से एक ख्वाजा के बल्ले से निकला था और अब उन्होंने इंदौर के मुश्किल विकेट पर अर्धशतक ठोका. जिस विकेट पर पूरी भारतीय टीम 109 रन पर ढेर हो गई. उस पर ख्वाजा ने अकेले 60 रन बनाए.
भारतीय बल्लेबाजों ने जो गलती की थी, ख्वाजा ने उसे नहीं दोहराया. उन्होंने हल्के हाथों और सीधे बल्ले से बैटिंग की. जब जरुरत लगी तभी स्वीप शॉट खेला. वो स्ट्राइक रोटेट करने में भी सफल रहे. उनकी इस पारी ने ऑस्ट्रेलिया की सीरीज में वापसी करा दी है और अगर ऑस्ट्रेलिया 150 से अधिक रन की बढ़त लेने में सफल रहता है तो भारत के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने की राह मुश्किल हो सकती है.