राजस्थान में बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में इंटरनेट बंद करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हर मामले में नेटबंदी को गलत ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को याचिका दायर की गई है। होली के बाद इस पर सुनवाई होगी। नेटबंदी के खिलाफ छाया रानी ने यह याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी के जरिए दायर की है।
सुनवाई में अब इस मुद्दे पर बहस होगी कि पहले दिए गए आदेशों का किस स्तर पर उल्लंघन हुआ है। राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा जा सकता है।
शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान तीन दिन तक (25, 26 और 27 फरवरी) जयपुर, भरतपुर सहित 11 जिलों में इंटरनेट बंद किया गया था। याचिका में शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान की गई नेटबंदी को आधार बनाया गया है।
छह संभाग आयुक्तों के नेटबंदी के आदेशों को याचिका के साथ लगाते हुए इसे संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 19) का उल्लंघन बताया गया है।
सुप्रीम कोर्ट 2020 में नेटबंदी को ठहरा चुका गलत
सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में अनुराधा भसीन की याचिका पर सामान्य मामलों में इंटरनेट बैन को गलत बताते हुए आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि इंटरनेट बंद तभी किया जाना चाहिए जब अत्यावश्यक और अपरिहार्य कारण हो। सामान्य मामलों में इंटरनेट बंद करने को सुप्रीम कोर्ट गलत ठहरा चुका है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई याचिका में भी यही तर्क दिया गया है कि अनुराधा भसीन के मामले में दिए गए आदेश का पालन राजस्थान सरकार ने नहीं किया है।
याचिका में लिखा- अफसर परीक्षा करवाने में नाकाम
याचिका में तर्क दिया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में इंटरनेट बंदी अवैध है। यह राज्य के अफसरों की परीक्षाएं करवाने में नाकामी का परिणाम है। परीक्षाओं में इंटरनेट बैन करने की कोई जरूरत नहीं है। राज्य सरकार का बात-बात में इंटरनेट बैन करना मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
राजस्थान सरकार ने अनुराधा भसीन मामले में 2020 में नेटबंदी को लेकर दिए गए फैसले का सीधा उल्लंघन किया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में इंटरनेट बैन करना इस बात की गारंटी नहीं है कि नकल पूरी तरह रुक जाएगी। नेटबंदी से लोगों के अधिकारों का हनन होने के साथ ही भारी दिक्कतें भी आती हैं।
राजस्थान की नेटबंदी अवैध
याचिका में यह भी कहा गया है कि राजस्थान में की गई नेटबंदी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का साफ उल्लंघन है। राजस्थान की नेटबंदी दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा नियम) 2017 के भी खिलाफ है। इन नियमों में इमरजेंसी जैसे हालात और सुरक्षा पर खतरा होने पर ही नेटबंदी का प्रावधान है। केवल परीक्षाएं करवाने के लिए नेटबंदी करना नियमों के खिलाफ है।
विधानसभा में उठे नेटबंदी पर सवाल
शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान की गई नेटबंदी पर मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के विधायकों के साथ कांग्रेस विधायकों ने भी सवाल उठाए थे। कांग्रेस, बीजेपी के विधायकों ने नेटबंदी को गलत ठहराते हुए इसे पेपर लीक रोकने में विफल करार दिया था।
कांग्रेस विधायक ने कहा था- यूक्रेन में युद्ध के बीच नेट चालू है
कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने मंगलवार के दिन विधानसभा में नेटबंदी पर सवाल उठाते हुए कहा था- राजस्थान में ही पेपरलीक और इंटरनेट बंद क्यों होता है? यूक्रेन में युद्ध के बीच नेट चालू है। हमारे यहां परीक्षा होते ही नेट बंद कर देते हैं। नाकामी को छुपाने के लिए आप लोग इंटरनेट बंद करते हैं । यूपीएएसी की परीक्षा पूरे देश में होती है। मैंने तो नहीं सुना कि आईएएस की परीक्षा का पेपर लीक हुआ हो। इंटरनेट बंद करने से कुछ नहीं होगा कारणों पर जाइए। नाकामी को छुपाने के लिए आप लोग इंटरनेट बंद करते हैं।
राजस्थान इंटरनेट बंद करने में देश में टॉप पर
हरीश मीणा ने कहा- दुनिया भर में जितना इंटरनेट बंद होता है, उसका आधा भारत में होता है। इंटरनेट बैन करने में राजस्थान भारत में टॉप पर है। यह सर्वे छपा है। यह मेरे लिए गर्व की बात नहीं है। यह शर्म की बात है। चिंता की बात है। इस पर मंथन करना चाहिए। इसका समाधान निकालना चाहिए। हर चीज को डिफेंड करने से पार नहीं पड़ेगी।