नई दिल्ली: भारतीय टीम के क्रिकेटर्स रन बनाने और विकेट लेने की अपनी कला के लिए जाने जाते हैं. लाइमलाइट में आने के बाद इन क्रिकेटर्स को कैमरे के सामने भी खड़ा होना होता है और माइक पर आकर अंग्रेजी में बात भी करनी पड़ी है. ऐसा कर पाना अक्सर क्रिकेटर्स के लिए शुरुआती दिनों में काफी मुश्किल साबित होता है. हालांकि वक्त के साथ-साथ वो खुद को ऐसे माहौल में ढाल लेते हैं. चाहे वो हरभजन सिंह हों या फिर बात करें वीरेंद्र सहवाग की. ये खिलाड़ी करियर के शुरुआती दिनों में अंग्रेजी की दिक्कत से परेशान नजर आए. टीम इंडिया में एक खिलाड़ी ऐसा भी है जो अग्रेजी नहीं बोल पाने के कारण परदेस में फंस गया. उसे वहां खाने पीने के भी लाले पड़ गए.
हम बात कर रहे हैं पृथ्वी शॉ की. पृथ्वी बेहद कम उम्र में ही अपनी धाकड़ बैटिंग के चलते चर्चा में थे. यही वजह है कि महज 12 साल की उम्र में वो इंग्लैंड में मैनचेस्टर में क्रिकेट खेलने के लिए गए हुए थे. उन्होंने अपने करियर के शुरुआती वक्त के एक किस्से के बारे में बताया. रोहित शर्मा की टीम में वापसी की कोशिश कर रहे पृथ्वी शॉ ने बताया कि वो ऐसा वक्त था जब उनकी इंग्लिश कुछ ज्यादा ही खराब हुआ करती थी. ऐसा लग रहा था कि वो किसी अलग ही दुनिया में आ गए हैं. उन्हें वहां कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. खाने-पीने की चीजें मांगते वक्त भी काफी दिक्कत आती थी.
एक इंटरव्यू के दौरान पृथ्वी शॉ ने कहा, “जब मैं पहली बार इंग्लैंड गया था तब मैं 12 साल का था. मेरी इंग्लिश काफी कच्ची थी तब. ऐसा लग रहा था किसी अलग ही दुनिया में आ गया हूं. मैं वहां एक्सपीरियंस लेने के लिए स्कूल भी जा रहा था. वो लोग बात कर रहे थे और मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.“
पृथ्वी शॉ ने कहा, “दो से तीन वीक तक मैंने उन्हें केवल ओके और येस में जवाब दिया. केवल इतनी बात होती थी कि फूड-फूड? येस येस. एक वक्त ऐसा आ गया था जब मुझे उनको एक्शन करना पड़ रहा था खाने के लिए बताने के लिए.”
पृथ्वी शॉ मौजूदा वक्त पर बेहद फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. एक विस्फोटक बैटर होने के नाते अक्सर अच्छी पारियां खेलकर मैन ऑफ द मैच और सीरीज जीतने के बाद उन्हें प्रेजेंटेशन के लिए आना पड़ता है. अब उन्हें अंगेजी बोलने में कोई दिक्कत नहीं होती है.