भाजपा में आपस की खींचतान और नेताओं के बीच अंदरूनी संघर्ष के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 4 मार्च को चूरू के सालासर में बड़ा आयोजन करने जा रही हैं। यह कार्यक्रम उनके जन्मदिन से चार दिन पहले हो रहा है।
उनके समर्थक इसे वसुंधरा राजे के जन्मदिन महोत्सव के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। दावा है कि जन्मदिन महोत्सव में एक लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटेगी। जन्मदिन के कार्यक्रम के बहाने वसुंधरा का यह अब तक का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन होगा। आयोजन की व्यवस्थाओं का जिम्मा वसुंधरा के नजदीकी नेताओं ने संभाल रखा है।
देव-दर्शन और धार्मिक यात्राओं के जरिए वसुंधरा राजे खुद के सीएम की रेस में बने होने का लगातार मैसेज देती रही हैं, लेकिन इस बार चुनावी साल में सालासर में हो रहे इस आयोजन से वे अपनी ताकत दिखाकर कई निशाने साधेंगी। साथ ही भाजपा में चल रही उठापठक के बीच इसके कई सियासी मायने भी निकलेंगे। वसुंधरा के इस कार्यक्रम पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि मैं इस कार्यक्रम पर कुछ नहीं बोलूंगा। भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए, चुनावी साल में आखिर वसुंधरा किसे और क्या मैसेज देना चाहती हैं...
दरअसल, वसुंधरा के जन्मदिन पर हो रहे इस आयोजन को पार्टी नेतृत्व की तरफ से घोषित नहीं किया गया है, जाहिर है ये पार्टी का नहीं, बल्कि वसुंधरा का अपना पर्सनल इवेंट है, लेकिन फिर भी उनके समर्थक पूर्व मंत्रियों-विधायकों और पदाधिकारियों ने इसे ऐतिहासिक बनाने के इंतजाम पिछले कई दिनों पहले से शुरू कर दिए हैं।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ, युनूस खान, राजपाल सिंह शेखावत, प्रताप सिंह सिंघवी सहित कई नेता लगातार अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र में बैठकें करके वसुंधरा समर्थकों को एकजुट करने में लगे हुए हैं। सबसे ज्यादा जोर सीकर, चुरू, नागौर, झुंझुनूं जिलों से भीड़ जुटाने पर है, साथ ही बाकी जिलों से भी समर्थकों को भीड़ लाने के लिए कहा गया है। अब 5 पॉइंट्स में समझिए क्या हासिल करना चाहती हैं वसुंधरा?
चुनावी साल में इस बड़े आयोजन के पीछे राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। पार्टी के जानकारों, वसुंधरा समर्थकों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा राजे इस आयोजन के जरिए अपनी ताकत दिखाएंगी। साथ ही केंद्रीय नेतृत्व और अपने समर्थकों के बीच अपनी दावेदारी का भी मैसेज देंगी। जानते हैं इस आयोजन के जरिए वसुंधरा क्या हासिल करना चाहती हैं?
1. सेंट्रल लीडरशिप को मैसेज : अबकी बार भाजपा की सेंट्रल लीडरशिप ने यह तय कर रखा है कि चुनाव में किसी चेहरे को आगे रखने की बजाय पार्टी सामूहिक रूप से चुनाव लड़ेगी। इस आयोजन से माना जा रहा है कि वसुंधरा सेंट्रल लीडरशिप को यह मैसेज देने की कोशिश करेंगी कि उनके पीछे समर्थकों की बड़ी फौज है। अगर चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाए तो वे पार्टी को चुनाव में मजबूती के साथ वापसी दिला सकती हैं।
2. सीएम की रेस में बने रहने का मैसेज : राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा में सीएम चेहरे की लड़ाई के चलते अभी तक पार्टी कोई फैसला नहीं कर पाई है कि किस नेता को आगे रखकर चुनाव में उतरा जाए।
ऐसे में भाजपा में आम राय यह बनती जा रही है कि इस बार कोई भी सीएम चेहरा नहीं होगा। वसुंधरा की कोशिश होगी कि वे अपने समर्थकों को एक साथ जुटाकर पार्टी और लोगों के बीच यह मैसेज देंगी कि वे सीएम के चेहरे की दौड़ में अभी भी बनी हुई हैं।
3. सबसे बड़ी नेता दर्शाने की कोशिश: माना जा रहा है कि समर्थकों की बड़ी भीड़ के जरिए वसुंधरा अपने आपको राजस्थान में भाजपा का सबसे ताकतवर चेहरा दिखाने की कोशिश करेगी। पार्टी में अभी वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, लेकिन राजस्थान की राजनीति में पिछले चार साल से वे पार्टी कार्यक्रमों में कम ही दिखाई दी हैं। ऐसे में चुनाव से पहले जन्मदिन कार्यक्रम में भीड़ जुटाकर वे दिखाना चाहती हैं कि राजस्थान भाजपा में उनके बराबर कोई नेता नहीं है।
4. समर्थकों को बांधे रखने की रणनीति: राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि वसुंधरा राजे अपने समर्थकों को बांधे रखने की कोशिश लगातार करती रही हैं। वे पिछले तीन साल से लगातार अपने जन्मदिन का कार्यक्रम प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में मना रही हैं। इन कार्यक्रमों में उनके समर्थक नेता-कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जुटते हैं।
पिछली बार बूंदी के केशोरायपाटन में उन्होंने अपना जन्मदिन समर्थकों के बीच मनाया था। इस बार भी इस आयोजन के बहाने उनकी कोशिश है कि चुनावी साल में उनके समर्थक उनसे दूर होने के बजाय जुड़े रहे।
5. पूनिया-राठौड़ को घर में चुनौती : सालासर चूरू जिले में है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और विधानसभा में उप नेता राजेंद्र राठौड़ दोनों का गृह जिला भी चूरू है। दोनों ही नेताओं को वसुंधरा के विरोधी खेमे में देखा जाता है। ऐसे में कार्यक्रम के लिए सालासर का चयन करने के पीछे वसुंधरा राजे की रणनीति एक तरह से पूनिया और राठौड़ को घर में घुसकर चुनौती देने के रूप में देखा जा रहा है।
सबसे बड़ा सवाल : समर्थक नेता- कार्यकर्ता क्यों जुटेंगे?
पिछले तीन चुनावों में वसुंधरा राजे ने भाजपा के टिकट चयन में बड़ी भूमिका अदा की थी। तीन बार में भाजपा के जो प्रत्याशी रहे, उनमें ज्यादातर उनके समर्थक नेता ही थे। इस बार भी समर्थक नेताओं को यह लग रहा है कि वसुंधरा राजे की चुनाव में अहम भूमिका रह सकती है।
अगर ऐसा होता है तो उनके टिकट वसुंधरा ही तय करेंगी। समर्थक नेताओं का वसुंधरा राजे के प्रति यह भरोसा ही उनको उनसे जोड़े हुए हैं। यही कारण है कि उनके समर्थक इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हुए हैं।
फिर पार्टी ने उसी दिन क्यों रखा विधानसभा घेराव का कार्यक्रम?
वसुंधरा राजे के जन्मदिन कार्यक्रम से भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने दूरी बना ली है। प्रदेश नेतृत्व की ओर से 4 मार्च को ही जयपुर में कांग्रेस सरकार के खिलाफ विधानसभा पर प्रदर्शन का कार्यक्रम तय कर दिया गया है।
माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व की ओर से वसुंधरा राजे का कार्यक्रम तय होने के बाद जयपुर में विधानसभा घेराव का कार्यक्रम रखा गया। वसुंधरा समर्थक इसे सालासर में लोगों को जाने से रोकने के रूप में देख रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि पार्टी चाहती तो एक-दो दिन आगे-पीछे भी प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा जा सकता था।
उधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे के कार्यक्रम पर केंद्रीय नेतृत्व की नजर भी रहेगी। इस बारे में प्रदेश नेतृत्व से रिपोर्ट मांगी जा सकती है। दूसरी तरफ राजे समर्थक नेता इसे यह कहकर बैलेंस करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई भी नेता अपना जन्मदिन तो मना ही सकता है। तर्क है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पूनिया ने भी अपना जन्मदिन समर्थकों की भारी भीड़ के साथ मनाया था।
कुछ न बाेल कर भी बहुत कुछ बोल गए सतीश पूनिया
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से जब आयोजन को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा - वसुंधरा जी को जन्मदिन की बहुत शुभकामनाएं। वे हमेशा स्वस्थ और खुश रहे, लेकिन आयोजन के बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा।
वसुंधरा गुट का दावा- एक मंच पर लाने की कवायद थी
इस मामले एक और तथ्य भी निकल कर आ रहा है। सूत्रों के अनुसार राजे हर साल यह कार्यक्रम करती हैं। इस बार उन्होंने 20 फरवरी को ही सालासर बालाजी में कार्यक्रम की घोषणा कर दी थी, ताकि चुनावी साल में पार्टी के सभी नेता एक मंच पर आ जाएं। इसको लेकर उन्होंने काफी कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बनी। इधर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने 6 दिन बाद 4 मार्च को ही भाजपा के विधानसभा घेराव करने का कार्यक्रम बना दिया, ताकि वसुंधरा के इवेंट को नुकसान पहुंचाया जा सके।
कहां कौन सा समर्थक संभाल रहा है जिम्मेदारी?
राजे समर्थक नेताओं का कहना है कि हर जिले में एक सीनियर नेता को भीड़ लाने की जिम्मेदारी दी गई है। सीकर जिले की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ ने संभाल रखी है। वे सीकर की सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में मीटिंग कर चुके हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को झुंझुनूं जिले की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह पूर्व मंत्री युनूस खान ने नागौर जिले के साथ-साथ आयोजन स्थल पर व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संभाली हुई है।
चूरू सांसद राहुल कस्वां को चूरू जिले से लोगों को आयोजन स्थल तक लाने की जिम्मेदारी दी गई है, चूंकि सालासर चूरू जिले में है, इसलिए राहुल कस्वां मौके पर व्यवस्थाओं को देख रहे हैं।
जयपुर से ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने का जिम्मा पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने संभाल रखा है। उनके साथ जयपुर शहर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन, पूर्व विधायक सुरेंद्र पारीक, बगरू के पूर्व विधायक कैलाश वर्मा सहित वसुंधरा कार्यकाल में सरकार और संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर रहे कई नेता जुटे हुए हैं।
पाली-सिरोही क्षेत्र में वसुंधरा समर्थकों के साथ पूर्व मंत्री और बाली से मौजूदा विधायक पुष्पेंद्र सिंह सालासर में भीड़ ले जाने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर क्षेत्र में पूर्व विधायक बाबूसिंह राठौड़ ने मोर्चा संभाल रखा है। भरतपुर क्षेत्र में पूर्व विधायक विजय बंसल और अलवर में विधायक संजय शर्मा तैयारियों में जुटे हुए हैं।