कभी नक्सलियों का गढ़ रहा छान पातर (पत्थर) दरी में वाइल्ड लाइफ इको टूरिज्म का बेस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। इसको यूपी सरकार दुधवा जैसी जंगल सफारी की तरह बनाएगी। यहां आने वाले सैलानियों को नियाग्रा फॉल का रोमांच मिलेगा। यहीं नहीं, पर्यटकों को बाघ, तेंदुआ, मगरमच्छ और चार सींग वाले हिरण, गिद्ध और ग्रे-हेडेड फिश ईगल जैसे परिंदो का एडवेंचर भी मिलेगा। साथ ही बच्चों के खेलने के लिए पहाड़ियों पर पार्क मिलेगा। यह टूरिज्म स्पॉट वाराणसी शहर से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर है।
यह क्षेत्र विंध्य पहाड़ी के कैमूर रेंज में आता है। यहां पर कर्मनाशा नदी है। इस नदी में वन्यजीव जैसे नीलगाय, चार-सींग वाले हिरण, सांभर हिरण, चीतल, स्लोथ डिअर, जंगली सूअर, तेंदुए के साथ-साथ बाघ भी प्यास बुझाने आते हैं, जिन्हें पर्यटक देख सकेंगे।
75 मगरमच्छों का प्राकृतिक घर है ये जगह
चंदौली के घने वीरान जंगलों में बसे इस गांव में पहली बार टूरिस्ट यूटिलिटी की सैकड़ों फैसिलिटिज तैयार किए जाएंगे। फिलहाल, यहां पर सिर्फ एक वाटरफॉल है, जाे कि मगरमच्छों का प्राकृतिक आवास भी है। करीब 75 मगरमच्छ यहां पर स्पॉट किये गए हैं।
कभी यहां दिन-दहाड़े होती थीं हत्याएं,
यहां पर 20 नवंबर 2004 को नौगढ़ क्षेत्र के इसी इलाके के पास हिनौत गांव में लैंड माइन विस्फोट किया गया था। इसमें पुलिस और PAC के 18 जवान शहीद हो गए थे। इस जगह को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। यहां दिन दहाड़े हत्याएं और लूट होती थी। लोग यहां जाने से डरते थे। कहते हैं कि कभी मुगल और अंग्रेज अधिकारी शिकार खेलने यहां पर आया करते थे। ब्रिटिश काल में यहां एक शानदार बंगला भी बनाया गया था। इस पुराने डाक बंगले को फिर से व्यवस्थित करके खूबसूरत रूप देने की तैयारी है।
ईको फ्रेंडली वस्तुओं से होगा निर्माण
जिलाधिकारी ने बताया कि छान पत्थर दरी को विकसित किया जाएगा। इससे ईको टूरिज्म के साथ ही जल, जंगल और जंगली जीव जन्तुओं का संरक्षण भी हो सकेगा। वाटरफॉल के आस-पास होने वाला निर्माण ईको फ्रेंडली वस्तुओं से होगा। जिसमें ज्यादातर स्थानीय उत्पाद उपयोग किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि ईको टूरिज्म के बढ़ने से स्थानीय व्यंजन, शिल्प, लोकगीत और कला से देश दुनिया के लोग परचित होंगे।पर्यटन के बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही उनका जीवन स्तर भी ऊपर उठेगा। शुरुआती तौर पर 2 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिस पर राज्य सरकार को अंतिम मुहर लगानी है।
रॉक गार्डन देखेंगे, सेल्फी पाइंट पर यादें कैमरे में कैद करेंगे
रॉक गार्डन यानी स्थानीय विशेष पत्थरों से जीव जंतुओं की आकृति वाले बैठने के स्थान, एडवेंचर स्पोर्ट्स, मोरम की रोड, सोविनियर शॉप, गोल हट, साइनेज, सोलर लाइट्स, बंबू प्लांटेशन यानी कि सड़क के किनारे बांस के पौधे, स्थानीय लकड़ियों से बच्चों के खेलने के लिए जगह, मचान/वॉच टावर, सेल्फी पॉइंट, प्रवेश द्वार का निर्माण, पार्किंग, सिक्योरिटी हट, शौचालय और कैंटीन के साथ स्वागत कक्ष, बांस की रेलिंग, सड़क की पटरी और पीने के पानी आदि व्यवस्थाएं दी जाएंगी। ये सभी पब्लिक यूटिलिटी की चीजें आज यहां पर नहीं मिलती, जिसकी वजह से कोई भी पर्यटक इन सुंदर वादियों में नहीं आना चाहता।
ये सब हैं पहले से मौजूद
कैमूर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के अंतर्गत यहां पर जंगली जानवरों काफी देखे जाते हैं। बाघ, तेंदुआ, चार-सींग वाले हिरण, सांभर हिरण, चीतल, स्लोथ डिअर, जंगली सूअर आदि भी प्यास बुझाने कर्मनाशा नदी में ही आते हैं। साथ ही, वाटरफॉल के आस-पास द ग्रेट ईगल, किंगफिशर, नाइटजर, वुड पीजन, ग्रे पार्ट्रिज, ग्रे-हेडेड मछली ईगल, उल्लू आदि परिंदों को उड़ते देखा जा सकता है।