यूपी विधानसभा में शनिवार को सीएम योगी एक अलग ही रंग में दिखे। उन्होंने सदन में नेता विपक्ष अखिलेश यादव द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का एक-एक करके जवाब दिया। सीएम ने रामचरितमानस को लेकर कहा कि तुलसीदास ने समाज को जोड़ने का काम किया है। चौपाइयों की सही व्याख्या होनी चाहिए।
रामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा कि अवधी और बुंदेलखंडी के लिखे शब्द ताड़ना और शूद्र का गलत मतलब निकाला गया। शूद्र का मतलब श्रमिक से और ताड़ना का अर्थ देखना होता है, मारना नहीं होता। लेकिन आज सब अपने हिसाब से ग्रंथों की व्याख्या कर रहे हैं। रामचरितमानस को कुछ लोगों ने फाड़ने का काम किया, यही घटना अगर किसी दूसरे मजहब के साथ हुई होती तो देखते क्या होता।
हिंदुओं को अपमानित करने का काम किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2 घंटे 8 मिनट के भाषण में कहा, रामचरितमानस की रचना जिस कालखंड में हुई, तब महिलाओं की स्थिति क्या थी ये किसी से छिपा नहीं है। योगी ने कहा, मैं मॉरिशियस में प्रवासी भारतीय के आयोजन में गया। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपके पास कोई धरोहर है, उन्होंने रामचरितमानस को दिखाया।
रामचरितमानस अवधी में रची गई। क्या उसके शब्दों का सही मतलब भी इन्हें (सपा) पता है। अवधी में अगर हम बात करें तो कहते हैं क्या ताड़ रहे हो यहां ताड़ना का अर्थ देखने से होता है, मारने से नहीं। बुंदेलखंडी में उन्होंने कहा- मोरे लड़कन को ताड़े रहिओ, यानी उन्हें देखे रहना।
सपा कार्यालय के बाहर शूद्र वाले पोस्टर लग रहे हैं। क्या ये सही है? ये कृष्ण की धरती है, संगम की धरती है, राम की धरती है। यहां रामायण जैसे ग्रंथ रचे गए। ऐसे ग्रंथों को जलाया गया। क्या देश-दुनिया में रहने वाले हिंदुओं को अपमानित करने का काम नहीं कर रहे हैं।
शिवपाल को देखकर कहा- मुझे महाभारत का सीन याद आता है
योगी ने कहा, भय बिनु होइ न प्रीति, भय से ही सही चाचा को सम्मान तो मिला। शिवपाल जी, जब आपको देखता हूं तो महाभारत का दृश्य याद आने लगता है। बार-बार अपमानित होते हैं। संघर्ष और अनुभव का फायदा सपा को नहीं मिलता। हम उनका सम्मान करते हैं, वरिष्ठ सदस्य हैं। अनुभवी व्यक्ति बार-बार छले जा रहे हैं। वो सम-विषम में फंसे रहते हैं। देखो, ज्यादा अपमानित करना भी नहीं चाहिए।
अपने बाप का सम्मान नहीं कर सके, शर्म आनी चाहिए
योगी बोले- मातृ शक्ति की प्रतीक राज्यपाल के अभिभाषण पर नारेबाजी करना, ये कहां तक शोभनीय है। किस लोकतंत्र की बात आप कर रहे हैं। जो लोग राज्यपाल का सम्मान नहीं कर सकते। उनसे प्रदेश की आधी आबादी को सम्मान करने की उम्मीद कहां कर सकते है?
इनके शासन में गेस्ट हाउस कांड हुआ था। लड़के हैं, गलती कर देते है, ऐसे बयान सामने आए थे। ये लोग लोकतंत्र की बात करें, ये आश्चर्य होता है। अखिलेश ने कहा कि ये गुरु किसके हैं? क्यों ऐसे बोल रहे हैं...। योगी ने गुस्से में कहा- तुमको शर्म आनी चाहिए। जो अपने बाप का सम्मान नहीं कर सका।
उमेश हत्याकांड पर बोले- माफिया को मिट्टी में मिला देंगे
अखिलेश के बयानों पर करारा जवाब देते हुए कहा, हम माफियाओं के खिलाफ हैं, उन्हें मिट्टी में मिला देंगे। हम किसी भी माफिया को नहीं छोड़ेंगे। आपके राज (सपा) में माफिया पाले जाते थे। क्या अतीक सपा से पोषित नहीं था। क्या ये सही नहीं है कि आपकी पार्टी के सहयोग से वो विधायक बना।
एक बड़े विचारक ने कहा था कि शक्ति देना आसान है, लेकिन बुद्धि देना आसान नहीं। इसको सरल भाषा में कहूं कि विरासत में सत्ता तो मिल सकती है, लेकिन बुद्धि नहीं मिल सकती है। योगी ने कहा, माफिया कोई भी हो, सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।
गरीब का मजहब नहीं होता, ये लोग सिर्फ जाति की बात करते हैं
सीएम ने सपा के जातीय जनगणना के मुद्दे पर कहा, जब हम उत्तर प्रदेश की बात करते हैं। ये लोग जाति के नाम पर समाज को बांट रहे हैं। हम ईज ऑफ लिविंग की बात करते हैं, वो जाति की बात करते हैं। हम कहते है कि गरीब की जाति नहीं होती है। उसको आवास, शौचालय मिलना चाहिए। उसको रोजगार मिलना चाहिए। इन्होंने जाति के नाम किया भी क्या है।
मैं कभी नहीं कहता कि मैंने कुछ किया है। हमारी टीम ने किया। हमारे मंत्री 16 देशों में गए। 20 शहरों को कवर किया। मंत्रियों की टीम ने देश में रोड-शो किया। ये है टीम वर्क। जोकि ग्लोबल समिट में दिखा। तब भारी भरकम इन्वेस्टमेंट की बात हो सकी।
आप तो समिट भी दिल्ली-मुंबई में करते थे
योगी ने कहा, इनके शासन में एक ही जाति की भर्ती होती है। राजभर जी देख लीजिए... ये लोग क्या करते हैं। उस वक्त के युवाओं के साथ क्या अन्याय होता था। सभी चयन आयोग और भर्ती में क्या होता था। किसी से छिपा नहीं है। पॉलिटिकल क्रैडिबिलिटी की आप क्या बात करते हैं। हमें जनता का जनाधार मिलता आ रहा है। यही क्रैडिबिलिटी है।
पॉलिटिकल क्रैडिबिलिटी का सबसे बड़ा मानक देश-दुनिया का भरोसा है। 35 लाख करोड़ के प्रस्ताव सबसे बड़ा उदाहरण है। निवेशकों के भरोसे पर आप लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। आप अपने शासन में समिट कहां करते थे, दिल्ली और मुंबई में। सोचिए, जिस निवेशक को आप यूपी में ला नहीं पा रहे हैं। उससे यूपी में निवेश क्या करवाएंगे।
पहले भूख से मौत होती थीं, अब नहीं होती
योगी ने कहा- पहले लोगों के पास आवास नहीं थे। सोनभद्र, चित्रकूट, संत कबीरनगर में यही होता था। एक महामारी आई, मैं कह सकता हूं कि किसी भी व्यक्ति की भूख से मौत नहीं हुई है। 2017 से पहले भूख से मौत होती थी।
हमने कई खिलाड़ियों को नौकरी दी
योगी कहते हैं कि एक दिन पहले सदन चर्चा में एक नई बात नेता विरोधी दल कह रहे थे, खेल के बारे में। वो पूछ रहे थे कि अकेले-अकेले क्यों खेल कर रहे थे। मैं तो अकेला ही आया हूं। लेकिन नेता विरोधी दल अच्छे खिलाड़ी हो, तो उनका नाम किसी पुरस्कार लिए भेज सकते हैं। हमने तो कई खिलाड़ियों को नौकरी दी। एक खिलाड़ी को नायाब तहसीलदार बनाया। वो यादव था। एक और खिलाड़ी को डिप्टी एसपी बनाया। कोई भेदभाव नहीं था।
सपा की सत्ता में तो खेल ही होते थे
उन्होंने एक पुराना कागज दिखाते हुए कहा-कुछ पुरानी खबर की हेडलाइन पढ़ना चाहता हूं। सीएम खेले तो गेंद खिलाड़ी की हाथ में चिपक गई। अंपायर नो बॉल देता है। आप क्या खेल की बात करते हैं। आपकी सत्ता में तो खेल ही होते थे।
खाद्यान्न घोटाले का खेल, रीवर फ्रंट घोटाले का खेल, 97 हजार करोड़ के घोटाले का कैग रिपोर्ट में आया। भर्ती घोटाला का खेल भी हुआ। मुजफ्फरनगर के दंगे, शाहजहांपुर में पत्रकार को जिंदा जलाने का खेल। एक और खेल चल रहा था आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का खेल।