नई दिल्ली: साल 2002 में भारतीय टीम ने इंग्लैंड की सरजमीं पर नेट-वेस्ट सीरीज अपने नाम की थी. भारत ने इस मुकाबले में हारी हुई बाजी को जीत में बदला था. ये वो दौर था जब 300 से ज्यादा बड़े लक्ष्य को भेद पाना वनडे क्रिकेट में असंभव जैसा माना जाता था. अंग्रेजों ने भारत को जीत के लिए 326 रनों का लक्ष्य दिया. जवाब में भारत की टीम ने तीन गेंद बाकी रहते हुए दो विकेट से यह मुकाबला अपने नाम कर लिया. इस मैच को फैन्स सौरव गांगुली की वजह से ज्यादा जानते हैं. बैट से वो 60 रन का योगदान देने में सफल रहे थे. भारत की जीत के बाद दादा के द्वारा लहराई गई टी-शर्ट पर आज भी चर्चाएं की जाती हैं.
मैच में टीम इंडिया को शानदार शुरुआत मिली. पहले विकेट के लिए वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली ने मिलकर 106 रनों की साझेदारी बनाई. यहां से आगे अगले 40 रन के अंदर टीम इंडिया ने कुल 5 विकेट गंवा दिए. भारत की हार तय नजर आ रही थी. यहां से आगे युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने मोर्चा संभाला. दोनों के बीच शतकीय साझेदारी बनी. कैफ ने 75 गेंदों पर नाबाद 87 रन बनाकर टीम इंडिया की जीत पक्की की.
भारत ने 5वें विकेट के रूप में सचिन तेंदुलकर का विकेट गंवाया था. इसके साथ ही भारतीय फैन्स के साथ-साथ क्रिकेटर्स के परिवारों की भी जीत की उम्मीद खत्म हो गई थी. एक इंटरव्यू के दौरान मोहम्मद कैफ ने बताया था कि सचिन के आउट होने के बाद प्रयागराज में उनका परिवार फिल्म देखने चला गया था. उनकी बैटिंग देखने के लिए कोई भी घर पर नहीं रुका. ताला लगाकर सब चल दिए. पीछे से मैंने टीम को जिता दिया तो घर पर फैन्स का तांता लग गया. बाहर ताला लगा हुआ था. लोगों को लगा कि परिवार बाहर से ताला लगाकर अंदर छुपा बैठा है.
कैफ ने बताया था कि जैसे-तैसे फैन्स को पता चल गया कि परिवार मूवी देखने गया है. फैन्स वहां भी पहुंच गए. मेरे माता-पिता फिल्म बीच में ही छोड़कर थिएटर से बाहर आए और लोगों से बात की. इस सीरीज के बाद जब मैं वापस अपने घर पहुंचा तो लोगों ने खूब स्वागत किया