6 महीने में 1 लाख भर्तियां कैसे करेगी सरकार?, RPSC और चयन बोर्ड पुरानी भर्तियों में व्यस्त

6 महीने में 1 लाख भर्तियां कैसे करेगी सरकार?, RPSC और चयन बोर्ड पुरानी भर्तियों में व्यस्त

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक लाख पदों पर सरकारी नौकरियों की घोषणा तो कर दी है, लेकिन इसे पूरा करना आसान नहीं है।

16 फरवरी को बजट पर रिप्लाई देते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि वर्तमान में जो भर्ती प्रक्रियाएं चल रही हैं, उनके अलावा इस वर्ष में एक लाख नई भर्तियां की जाएंगी।

बेरोजगारों को राहत देने वाली इस घोषणा ने तालियां तो बटोरी लेकिन क्या असल में ये वादा पूरा होगा भी या नहीं?

दरअसल, सरकार के पास इन भर्तियों को पूरा करने के लिए लगभग 6-7 महीने का ही वक्त बचा है, क्योंकि चुनावी साल होने के कारण सितंबर-अक्टूबर में आचार संहिता लगेगी। इसके बाद कोई भी भर्ती नहीं निकाली जा सकेगी।

भास्कर ने पिछले 5 साल में हुई सरकारी नौकरी की घोषणाओं का एनालिसिस किया तो सामने आया कि अबतक एक भी ऐसी भर्ती नहीं है जो एक साल से कम समय में पूरी हुई हो। वहीं जब कार्मिक विभाग के संयुक्त शासन सचिव मुकुट बिहारी जांगिड़ ने जब विभागों से रिक्त पदों की जानकारी मांगी तो विभागों ने अपडेट जानकारी नहीं होने की बात कही है। ऐसे में खाली पदों के वर्गीकरण को लेकर मीटिंग भी स्थगित करनी पड़ी है।

तो क्या ये नौकरियां धरातल पर आ पाएंगी? क्या चुनौतियां हैं जो भर्तियों की राह रोक सकती हैं, आइए जानते हैं...

आम तौर पर कोई भी भर्ती प्रक्रिया शुरू होती है, तो उसे परिणाम जारी होने और युवाओं को नियुक्ति मिलने तक के सफर में ही डेढ़ से दो ‌वर्ष का समय लगता है।

वो भी तब जब विभागों द्वारा समय पर पदों का वर्गीकरण करके उनकी अभ्यर्थना जारी हो जाए। प्रदेश में पेपर लीक के मामलों ने पिछले चार वर्षों में लगभग सभी परीक्षाओं को प्रभावित किया है।

क्या हैं चुनौतियां एक लाख भर्तियों के सामने

1. किस विभाग में कितने पद, यह अभी तय ही नहीं

सरकार ने सीधे एक आंकड़ा (एक लाख पद) बोलकर घोषणा कर दी है, लेकिन किस विभाग में कितने पदों पर भर्तियां होंगी यह अभी तक तय ही नहीं है। विभागों से यह जानकारी अब जुटाई जाएगी।

इसके लिए कार्मिक विभाग की पहली बैठक भी अब तक नहीं हुई है। कार्मिक विभाग विभिन्न विभागों के साथ बैठकें कर पहले रिक्त पदों की सूचियां तैयार करेगा। उसके बाद उन रिक्त पदों पर भर्ती को मंजूरी के लिए वित्त विभाग के पास भेजा जाएगा।

वित्त विभाग अपना अध्ययन करके मंजूरी कार्मिक विभाग को भेजेगा और तब कार्मिक विभाग संबंधित विभागों को बताएगा कि वहां कितनी भर्तियां हो सकेंगी।

उसके बाद भर्ती की एजेन्सी (चयन आयोग) तय करना और विभाग द्वारा अभ्यर्थना भेजने का काम होगा। जानकारों की मानें तो इस प्रक्रिया में ही कम से कम एक महीने का वक्त लगेग।

कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव हेमंत गेरा के अनुसार पदों के वर्गीकरण पर जल्द ही विभागों के साथ मीटिंग्स शुरू होंगी।

2. एक भर्ती को पूरा होने में लगते हैं करीब डेढ़-दो साल

आम तौर पर प्रदेश में कोई भी भर्ती निकलती है, तो वो तीन से पांच चरणों में पूरी होती है। पहला चरण है पदों का वर्गीकरण (कौन से विभाग में कितने), फिर उन पदों की अभ्यर्थना राजस्थान लोक सेवा आयोग या कर्मचारी चयन आयोग को भेजनी होती है।

उसके बाद आयोग के स्तर पर परीक्षा के लिए पेपर सेट करने, परीक्षा केन्द्र तय करने, प्रथम-द्वितीय चरण की प्रारंभिक-मुख्य लिखित परीक्षा, साक्षात्कार, परिणाम जारी करने की प्रक्रिया होती है।

उसके बाद अंतिम रूप से नियुक्ति मिलती है। इन सभी चरणों के बीच में लगभग 3 से 4 महीनों का अंतराल होता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि 6 या 7 महीने में ये भर्तियां पूरी हो पाएंगी?

3. आरपीएससी (राजस्थान लोक सेवा आयोग-अजमेर) 2023 के अंत तक है व्यस्त

आरपीएससी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नवीन आनंदकर ने भास्कर को बताया कि आरपीएससी जून अंत तक विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी में व्यस्त है।

आरपीएससी 19 मार्च को ऑक्युपेशन थेरेपिस्ट, 30 अप्रेल को सीनियर फिजिकल एजुकेशन टीचर, 14 मई को रेवेन्यु ऑफिसर, 21 मई को सहायक अभियंता, 16 जून को सहायक टाउन प्लानर और 27 जून को फूड सेफ्टी ऑफिसर के लिए परीक्षाएं करवाने में व्यस्त है।

आरपीएससी के शैक्षणिक कलैंडर में इन परीक्षाओं के साक्षात्कार और परिणाम जारी होने तक प्रक्रिया लगभग दिसंबर-2023 तक चलेगी।

कर्मचारी चयन बोर्ड भी शिक्षक भर्ती में व्यस्त

कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB, जयपुर) इन दिनों 48000 पदों पर शिक्षक भर्ती करवाने में व्यस्त है। यह परीक्षा 25 फरवरी से 1 मार्च के बीच प्रदेश के 11 जिलों में होगी।

यह भर्ती प्रक्रिया करीब दो वर्ष से चल रही है, जो अब तक जारी है। पेपर लीक हो जाने के कारण अब तक यह परीक्षा हो नहीं पाई है, हालांकि कर्मचारी चयन बोर्ड से पहले इसकी जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (अजमेर) के पास थी। इस भर्ती के अलावा आयोग के पास तीन-चार भर्तियां और पेंडिंग हैं।

लेटलतीफी का सबसे बड़ा उदाहरण

भर्ती प्रक्रिया किस तरह से विभागों और चयन एजेंसियों के बीच उलझती है, इसकी एक मिसाल है आरएएस भर्ती-2022 की अभ्यर्थना।

राजस्थान सरकार की सबसे बड़ी सर्विस आरएएस मानी जाती है। हर एग्जाम में करीब 5 लाख से ज्यादा युवा अपना भाग्य आजमाते हैं।

इस भर्ती के लगभग 1000 पदों के लिए कार्मिक ‌विभाग ने आरपीएससी को अभ्यर्थना भेजी थी करीब 9 महीने पहले।

आरपीएससी ने उसके पदों में वर्गीकरण (आरएएस व सहायक सेवाओं में कितने-कितने पद) को लेकर अपने सुझाव कार्मिक विभाग को भेजकर संशोधित अभ्यर्थना मांगी थी।

उस पर अब तक कार्मिक विभाग की संशोधित अभ्यर्थना आरपीएससी के पास वापस नहीं गई है। अब यह भर्ती ना जाने कब शुरू होगी।

आरएएस की परीक्षा पिछले दो दशक में जब भी हुई है, उसे अभ्यर्थना से नियुक्ति तक का सफर पूरा करने में औसतन लगभग दो वर्ष का समय लगा है।

4. पेपर लीक ने बिगाड़ा भर्तियों का ट्रैक रिकॉर्ड

राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं के ट्रेक रिकॉर्ड को पेपर लीक के मामलों ने बुरी तरह से प्रभावित किया हुआ है। राजस्थान में पिछले 4 वर्षों में कांस्टेबल भर्ती-2018, लाइब्रेरियन भर्ती-2018, जेईएन सिविल भर्ती-2018, रीट लेवल-2 परीक्षा-2021, बिजली विभाग हेल्पर भर्ती-2022, कांस्टेबल भर्ती-2022, वनरक्षक भर्ती-2020, शिक्षक भर्ती सैकंड ग्रेड-2022 के पेपर लीक हो गए।

ऐसे में इन परीक्षाओं को पूरा होने में तय शेड्युल से भी एक से दो वर्ष तक का ज्यादा समय लगा। शिक्षक भर्ती तो अब तक चल ही रही है।

पेपर लीक होने से परीक्षा दुबारा आयोजित करनी पड़ती है। दुबारा आयोजित करने से उनका परिणाम भी देरी से जारी होता है।

ऐसे में विभिन्न विभागों के अलग-अलग पदों की भर्तियों वो भी एक लाख पदों पर करवाना अगले एक साल में तो लगभग असंभव ही लगता है।

5. चुनावी वर्ष और आचार संहिता भी बनेगी बाधा

इस वर्ष के अंत में चुनाव होना भी इन भर्तियों की राह में बाधा की तरह है। सितंबर-अक्टूबर में आचार संहिता लगने से लेकर नई सरकार के गठन तक (दिसंबर मध्य तक) कोई नई भर्ती शुरू नहीं हो सकेगी।

केवल वही भर्तियां हो सकेंगी, जिनकी प्रक्रिया सरकार के स्तर पर पूरी होकर चयन एजेंसी के पास चली जाए और चयन एजेंसी उस परीक्षा के आयोजन की तारीखें घोषित कर दे।

ऐसे में करीब तीन महीने कोई नई भर्ती अमली जामा नहीं पहन पाएगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर भर्तियों का विज्ञापन आचार संहिता से पहले जारी हुआ तभी बेरोजगारों का सपना साकार हो सकता है। आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार भी नए पदों की भर्ती जारी नहीं कर पाएगी।

सबसे कम समय में पूरी हुई एक बड़ी परीक्षा, उसमें भी लगे 2 साल

हाल के वर्षों में बड़ी परीक्षाओं में शिक्षक भर्ती परीक्षा प्रक्रिया पूरी होने में करीब दो वर्ष का समय लगा। यह परीक्षा थी शिक्षक भर्ती लेवल-1 की।

इस भर्ती के तहत करीब 15000 पदों पर शिक्षकों की भर्ती परीक्षा 26 सितंबर 2021 को आयोजित हुई थी। परीक्षा की घोषणा 2020 के मार्च में हुई थी, जिसकी अधिसूचना (नोटिफिकेशन) फरवरी 2021 में निकाली गई।

दो बार इसकी आयोजन की तारीखें आगे खिसकी। फिर यह 26 सितंबर 2021 को सम्पन्न हुई। इसका परिणाम नवंबर-2021 में जारी किया गया। इसमें सफल होने वाले युवाओं को अप्रेल 2022 में नौकरी मिल गई।

वर्तमान में 1 लाख 25 हजार भर्तियां प्रक्रियाधीन हैं

राज्य सरकार ने बजट-2023 (10 फरवरी-23) से पहले अपने प्रचार माध्यमों में यह दावा किया किया था कि वर्तमान में एक लाख 25 हजार पदों पर भर्तियां प्रक्रियाधीन हैं।

इनमें से कोई भर्ती पिछले एक वर्ष में पूरी नहीं हुई है। यह सभी पिछले बजटों (2021, 2022) की घोषणाएं हैं।

अगर नई घोषणाओं को जोड़ा जाए तो करीब 2 लाख 25 हजार पदों पर भर्तियां होनी हैं। सरकार का यह भी दावा है कि वो पिछले 4 वर्षों में एक लाख 35 हजार पदों पर नियुक्तियां दे चुकी है।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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