कपिलवस्तु के राजकुमार देवदत्त के बाण से घायल हंस के राजकुमार सिद्धार्थ द्वारा बचाने के बाद उनके साथ चले जाने की कहानी आप ने जरूर सुनी होगी। वहीं अमेठी के गौरीगंज के मंडका गांव में यह कहानी हकीकत बन चुकी है। यहां साल भर पहले एक घायल सारस को बचाने वाले आरिफ से उस सारस की ऐसी दोस्ती हुई कि अब वह सारस उनके साथ घर में ही रहने लगा है।
दरअसल, अगस्त 2022 में मंडका गांव के रहने वाले किसान आरिफ (30) अपने खेतों की ओर गए हुए थे। वहां पर उन्होंने एक सारस पक्षी देखा, जिसका पैर टूटा हुआ था। नजदीक जाने पर सारस पक्षी भागा नहीं, बल्कि दया की निगाहों से आरिफ की ओर देखने लगा। जिसके बाद आरिफ उसे उठा कर अपने घर लाएं।आरिफ ने पक्षी की मरहम पट्टी की और इलाज करके उसे ठीक कर दिया।
हर समय आरिफ के साथ रहता है सारस
आरिफ और उनके परिजनों को उम्मीद थी कि सारस ठीक होने के बाद उड़ जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आरिफ की सेवा ने सारस पक्षी का ऐसा दिल मोहा कि वह उनके घर के पास ही रहने लगा। तब से लेकर अब तक आरिफ का परिवार ही सारस का परिवार बन गया है। सारस उस परिवार का एक अभिन्न हिस्सा है। जहां जहां आरिफ जाते हैं, सारस उनके साथ साथ जाता है। वह उनके साथ ही भोजन करता है, साथ ही रहता है। इतना ही नहीं जब उन्हें बाजार जाना होता है, तो अपनी बाइक से जाते हैं। जबकि सारस उड़ते हुए उनका साया बनकर साथ साथ चलता है। दुकान पर सामान खरीदते हैं, तो सारस बगल में खड़ा रहता है।
ये है सारस पक्षी की दिनचर्या
आरिफ बराबर सारस का ध्यान रखते हैं, उसको देसी अंडे के साथ-साथ तरह-तरह के खाद्य पदार्थ खिलाते हैं, और उसकी सेवा करते हैं। इतना ही नहीं आरिफ का लगाव अब सारस के साथ गजब का हो गया है। आरिफ इसे बस ऊपर वाले का चम्तकार मानते हैं। आरिफ का कहना है कि ये अल्लाह की मर्जी है, और कुछ नहीं।
जब कभी एकाध दिन आरिफ घर से बाहर रहते हैं और वापस घर पर पहुंचते हैं तो सारस उन्हें देखकर नाचने लगता है, और उनके साथ खेलने कूदने और उछलने लगता है। कहीं ना कहीं एक छोटे से उपकार के बदौलत सारस की इस स्वामी भक्ति को देखकर ऐसा लगता है कि मनुष्य को इस प्रकार के पशु पक्षियों से सीख लेनी चाहिए, नहीं तो आज के जमाने में ऐसी दोस्ती कहां देखने को मिलती है।
बन गया दोस्ती का रिश्ता
मोहम्मद आरिफ कहते हैं कि कभी सोचा नहीं था, लेकिन अब इस सारस से दोस्ती का रिश्ता बन गया है। यह बीस किलोमीटर तक मेरे साथ जाता है मेरे साथ रहता है। अब यह मेरा हमसफ़र और सच्चा दोस्त है। आरिफ का कहना है कि बाइक से 50 से 60 की स्पीड में वो 30-40 किलोमीटर तक चले जाते हैं और सारस उनका पीछा करते हुए ऊपर उड़ान भरकर उनके साथ- साथ चलता रहता है। जहां पर भी वो रुकते हैं, उनके साथ रुक जाता है और फिर चलने लगता है।
आरिफ ने कहा- पूरी तरीके से आजाद है सारस
आरिफ का कहना है कि कभी-कभी ये जंगल की ओर जाता है, अपने दोस्तों और परिवार वालों से मिलकर वापस मेरे घर चला आता है, ये जंगल में रुकता नहीं है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब भी 2-4 सारस के झुंड में उसको ले जाने के लिए आते हैं, तो वो बाहर से भागकर घर के अंदर चला जाता है, लेकिन उनसे मिलता नहीं है, ना ही उनके साथ जंगल जाता है। ऐसे में जब कभी जब उसका मन करता है तभी वो जाता है, अन्यथा वो जंगल की ओर देखता तक नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरीके से आजाद है। इस पर किसी भी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं है। यह आसमान में उड़ने के बाद दिन ढलने पर हमारे घर वापस चला आता है। इस सारस पक्षी से हमको परिवार के सदस्य जैसा लगाव हो गया है।
लोगों को होता है आश्चर्य
ऐसा देखकर लोगों को आश्चर्य भी होता है, लेकिन धीरे-धीरे सभी इस दोस्ती से वाकिफ हो जा रहे हैं। आरिफ के साथ ही सारस उनके माता-पिता पत्नी और बच्चों से भी घुल मिल गया है। अब वह परिवार का हिस्सा बन गया है।मंडका गांव निवासी दीनदयाल कहते हैं कि इन दोनों की दोस्ती लाजवाब है। पशुओं से तो दोस्ती के तमाम किस्से सुने होंगे, लेकिन पक्षियों से दोस्ती मिसाल है। लगता है जैसे यह सुरक्षा गार्ड हो।