संतकबीर नगर में न्यायालय में मारपीट के चार आरोपियों पर एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट दिनेश प्रताप सिंह की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो वर्ष के प्रोबेशन पर छोड़ने का फैसला सुनाया।
आरोपी अवध प्रसाद तिवारी, राम किशुन तिवारी, राम सिंहासन तिवारी एवं नागेन्द्र प्रसाद तिवारी पर अनुसूचित जाति के दो सगे भाईयों को जातिसूचक गाली देते हुए मारने पीटने का आरोप लगाया गया था। एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट की कोर्ट ने चारों आरोपियों को एससीएसटी एक्ट के आरोप से दोषमुक्त करने का भी फैसला दिया।
विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि मामला ग्राम रौनाकला थाना रुधौली जनपद बस्ती का है। प्रकरण में पीड़ित जोखन पुत्र राममूरत ग्राम रौनाकला के धारा 156 (3) दप्रंस के आवेदन पर मुकदमा कायम हुआ था। वादी का आरोप था कि वह अनुसूचित जाति का चमार है और गांव में स्थित बंजर भूमि पर काबिज दखील है।
गांव के अवध प्रसाद तिवारी पुत्र कामता प्रसाद तिवारी जबरदस्ती बंजर की भूमि पर कब्जा करना चाह रहे थे। इसी रंजिश को लेकर 12 दिसम्बर 2005 को जब प्रार्थी एवं उसका भाई साधु प्रसाद ग्राम भिटिया दीगर में नहर के पास सूअर चरा रहे थे। तभी गांव के अवध प्रसाद तिवारी, राम किशुन तिवारी, राम सिंहासन तिवारी पुत्रगण कामता प्रसाद तिवारी एवं नागेन्द्र प्रसाद तिवारी पुत्र अवध प्रसाद तिवारी लाठी डंडा लेकर आ गए।
प्रार्थी एवं उसके भाई को चमरकटिया की जाति साले की गाली देते हुए मारे पीटे। शोर पर गांव के लोगों के आ जाने पर प्रार्थी की जान बची। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने धारा 323, 504, 506 भादवि एवं हरिजन उत्पीड़न की धारा में अभियोग पंजीकृत किया।
विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि अभियोजन ने मामले में दस गवाह प्रस्तुत किया। एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट दिनेश प्रताप सिंह की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने पर आरोपियों को मारपीट के मामले में दोषसिद्ध करार दिया।