राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 3531 पदों पर आयोजित कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने का मामला सामने आया है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि आज परीक्षा से पहले ही सुबह 8 बजे सोशल मीडिया पर भर्ती परीक्षा का पेपर आ गया था। जिसके सवाल हूबहू पेपर में भी आए हैं। राजस्थान सरकार पेपर करने में फिर से फैल हुई है। ऐसे में इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा ने कहा कि आज पेपर लीक नहीं हुआ है। कोचिंग माफिया खुद के फायदे के लिए बेवजह इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं। आज पेपर खत्म होने के 2 घंटे बाद इस तरह की शिकायत सामने आई थी। इसकी पुलिस द्वारा जांच में कुछ गलत नहीं पाया गया है। ऐसे में सोशल मीडिया पर भी जो लोग बेवजह इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बोर्ड मामले पर पर्दा डाल रहा
विधायक रामलाल शर्मा ने कहा- बोर्ड द्वारा पूरे मामले की जांच पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। युवाओं में भारी आक्रोश है। जिन बच्चों ने पिछले लंबे वक्त से मेहनत की थी। पेपर लीक की घटना उन लोगों के लिए धोखा है। ऐसे में सरकार कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर पेपर लीक मामले की निष्पक्ष जांच करवाएं। ताकि पेपर लीक की हकीकत सबके सामने आ सके।
रामलाल शर्मा ने बताया- सुखप्रीत नाम के छात्र का आज मेरे पास फोन आया था। उसने मुझे बताया कि कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया है। सोशल मीडिया पर काफी लोगों के पास सुबह 8:00 बजे ही पेपर आ गया था। मैंने उससे इसका प्रूफ मांगा। उसने मुझे कुछ डॉक्यूमेंट भी भेजे थे। इसमें जो सवाल थे। वैसे ही 90% तक सवाल आज के पेपर में भी आए थे।
बता दें कि 3 हजार 531 पदों के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा के लिए प्रदेशभर में 92 हजार 49 अभ्यर्थी पंजीकृत किए गए थे। जिसमें से 88.63 फीसदी ही परीक्षा में शामिल हुए। भर्ती परीक्षा प्रदेश में सिर्फ जयपुर, कोटा और अजमेर में आयोजित की गई थी। इसमें सिलेक्ट होने पर उम्मीदवार को हर महीने 25 हजार रूपए तक सैलरी दी जाएगी। हालांकि यह भर्ती प्रक्रिया संविदा के तहत 1 साल के अनुबंध पर की जा रही है। जिससे भविष्य में सरकार द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
जमीन बेचकर तैयारी की, नौकरी नहीं लगी तो सुसाइड:पेपर आउट यानी 766 करोड़ घंटे की मेहनत बेकार, 8750 करोड़ और खर्च होंगे
एक मजदूर पिता ने अपने बेटे के लिए सरकारी नौकरी का सपना देखा। उसे जैसे-तैसे जयपुर भेजा। कमरा दिलाया और कुछ साल खर्च उठाया। बेटे ने रीट परीक्षा दी, लेकिन पेपर आउट हो गया। बेटे का सपना पूरा होने से पहले पिता चल बसे। अब परिवार की जिम्मेदारी उस बेटे पर थी जो जयपुर में रहकर तैयारी कर रहा था। ऐसे ही एक किसान ने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए रिश्तेदारों से ब्याज पर पैसे लिए, लेकिन पेपर धांधली की खबर ने उसे अंदर तक तोड़कर कर रख दिया। उसे तैयारी के लिए और चार महीने शहर में रुकना होगा।