राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ 9-10 महीने शेष हैं, लेकिन मंत्रियों और आईएएस अफसरों के बीच विवाद के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी विधानसभा सत्र चल रहा है, इसी बीच ऐसा ही एक और विवाद सामने आया है, जिसके किरदार हैं महिला व बाल विकास विभाग की मंत्री ममता भूपेश और आईएएस अफसर डॉ. समित शर्मा।
मंत्री भूपेश अपने विभाग के एक घोटाले की जांच को लेकर इतना नाराज हो गईं कि सचिव का काम देख रहे डॉ. समित शर्मा से विभाग का काम-काज हटवा दिया। विभाग का एडिशनल चार्ज किसी और आईएएस अफसर को देने के लिए कार्मिक विभाग को कह दिया। कार्मिक विभाग ने अब यह चार्ज सहकारिता विभाग की प्रमुख सचिव श्रेया गुहा को सौंप दिया है। इससे पहले एक जनवरी-2023 से यह कार्यभार डॉ. शर्मा संभाल रहे थे।[
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के जानकार आईएएस अफसर रविशंकर श्रीवास्तव (रिटायर्ड) और एके सिंह (रिटायर्ड) का कहना है कि हर सरकार के कार्यकाल में अक्सर दो-चार मामले ऐसे सामने आते रहे हैं। यह पहली बार है कि किसी सरकार के कार्यकाल में 10 से ज्यादा बार मंत्रियों-आईएएस अफसरों के विवाद सामने आए हों।
एक हजार करोड़ के पोषाहार में हुए घोटाले की जांच को लेकर आमने-सामने
महिला व बाल विकास विभाग की ओर से प्रदेश भर में 28 लाख बच्चों को नि:शुल्क पोषाहार वितरित किया जाता है। यह पोषाहार प्रदेश भर के 62,000 आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा दिया जाता है। इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार ने मिलकर एक हजार करोड़ रुपए का बजट जारी किया हुआ है।
जनवरी-23 में धौलपुर के कलेक्टर अनिल कुमार जैन ने विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा को बताया कि बहुत से केंद्रों पर पोषाहार के तहत 25-30 प्रतिशत सामग्री ही पहुंच रही है, जबकि भुगतान 100 प्रतिशत सामग्री का उठाया जा रहा है। कलेक्टर जैन ने मामले की जांच की और बहुत से सरकारी कर्मियों को इस घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया। कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट डॉ. समित शर्मा के पास जयपुर भिजवाई।
रिपोर्ट के आधार पर डॉ. शर्मा ने मंत्री भूपेश को ऐसे सरकारी कर्मियों को निलंबित किए जाने की सिफारिश के साथ फाइल भेजी, लेकिन मंत्री ने वो फाइल यह कह कर वापस भेज दी कि जांच दोबारा करवाई जाए। इस पर डॉ. शर्मा ने मंत्री को यह लिखकर वापस फाइल भेजी कि जांच एक आईएएस अफसर (कलेक्टर) के स्तर पर जिले में करवा ली गई है, ऐसे में दोबारा जांच की कोई आवश्यकता ही नहीं।
शर्मा ने मंत्री को पूरे प्रदेश में पोषाहार खरीद में इस तरह की शिकायत मिलने की जानकारी भी भेजी। इसके बाद यह फाइल दोबारा डॉ. शर्मा के पास नहीं आई। इसके बाद महिला व बाल विकास विभाग का कार्यभार डॉ. शर्मा से वापस ले लिया गया।
उधर, इससे पहले 29 जनवरी-2023 को विधायक राजकुमार रोत (चौरासी-डूंगरपुर) ने भी मंत्री भूपेश को पत्र लिखकर उनके जिले डूंगरपुर में घटिया पोषाहार वितरित करने, बच्चों के बीमार पड़ने, अभिभावकों द्वारा पोषाहार को पशुओं को खिलाने की शिकायत करते हुए पोषाहार की गुणवत्ता की जांच करवाने की मांग की है।
कांग्रेस सरकार में लगातार सामने आ रहे मंत्री-आईएएस विवाद
चुनावी वर्ष में सरकार के सामने मंत्रियों और ब्यूरोक्रेसी में तालमेल बैठाना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। संबंधित आईएएस अफसर का तबादला करके तात्कालिक उपाय तो ढूंढ लेते हैं, लेकिन फिर कोई नया विवाद सामने आ जाता है। खेल मंत्री अशोक चांदना और कुलदीप रांका (पीएस-सीएमओ) के विवाद में सीएम गहलोत को खुद बीच में आकर स्थिति संभालनी पड़ी थी।
कृषि मंत्री कटारिया V/S शासन सचिव दिनेश कुमार
करीब एक महीने पहले कृषि मंत्री लाल चंद्र कटारिया ने अपने विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार के काम-काज से नाराजगी व्यक्त की थी। कटारिया ने सरकार को पत्र लिख कर भी अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। सूत्रों का कहना है कि कृषि बजट को तैयार करने के दौरान दोनों के बीच अनबन की स्थिति बनी। आईएएस कुमार के पास राजस्थान भंडारण निगम का भी चार्ज है, ऐसे में वहां से संबंधित कई मामलों को लेकर भी दोनों के बीच टकराव सामने आया है। निगम का अलग से बजट 100 करोड़ से ज्यादा रुपयों का है।
तत्कालीन चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा V/S समित शर्मा
वर्ष 2019 में चिकित्सा विभाग में भर्तियों को लेकर तत्कालीन मंत्री रघु शर्मा और आईएएस अफसर समित शर्मा के बीच विवाद हुआ। इस विवाद के तुरंत बाद समित का तबादला हुआ। समित आईएएस एसोसिएशन के सचिव भी हैं और वे मुख्यमंत्री गहलोत के पसंदीदा अफसरों में से एक माने जाते रहे हैं, लेकिन दिग्गज नेता रघु की शिकायत के बाद उन्हें जाना ही पड़ा।
खेल मंत्री अशोक चांदना V/S कुलदीप रांका
वर्ष 2022 में खेल मंत्री अशोक चांदना ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि उनकी उनके ही विभाग में कुछ नहीं चलती है। सारा काम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका ही देखते हैं। हालांकि चांदना की मूल नाराजगी राज्य क्रीड़ा परिषद की चेयरमैन कृष्णा पूनिया (विधायक) से थीं, लेकिन चांदना की सिफारिश पर काम आगे नहीं बढ़ने पर उन्होंने रांका को शिकायत की थी। वहां से जब कोई राहत नहीं मिली तब चांदना ने सोशल मीडिया पर मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश भी की थी। बाद में मुख्यमंत्री गहलोत ने उन्हें समझा-बुझा कर मामला शांत किया।
प्रताप सिंह खाचरियावास V/S अंतर सिंह नेहरा
आईएएस अफसर अंतर सिंह नेहरा जयपुर के कलेक्टर थे। वर्ष 2021 और 2022 में खाद्य व रसद मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने उनके तौर तरीकों, प्रशासन पर पकड़ ना होने, जन प्रतिनिधियों को सम्मान ना देने की शिकायत की थी। खाचरियावास द्वारा बहुत बार शिकायतें करने पर नेहरा को बदला गया।
खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास V/S आशुतोष पेढ़नेकर
नवंबर-2022 में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने विभाग के प्रमुख शासन सचिव आशुतोष पेढ़नेकर को खाद्य विभाग में गरीब लोगों को मिलने वाले गेंहू (करीब 100 मीट्रिक टन) के लैप्स हो जाने का जिम्मेदार ठहराया। खाचरियावास ने नाराजगी व्यक्त की और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की। आशुतोष का तब तुरंत तबादला कर दिया गया, लेकिन खाचरियावास ने तब आईएएस अफसरों की एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को ही देने का मुद्दा उठाकर सीएम अशोक गहलोत और सरकार पर जुबानी हमला बोल दिया था।
पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा V/S अपर्णा अरोरा
करीब महीना भर पहले पंचायत राज विभाग में मंत्री रमेश मीणा और प्रमुख सचिव अपर्णा अरोरा के बीच एक लग्जरी गाड़ी को अपने पास रखने के विषय में विवाद चल रहा था। तब मीणा ने मुख्यमंत्री तक मामला ले जाने की बात मीडिया में कही थी। वे बात को सीएम तक लेकर गए, उसके बाद हाल ही सप्ताह भर पहले अपर्णा का तबादला हो गया है। वो गाड़ी अब मीणा के प्रोटोकॉल में लगी हुई है।
रमेश मीणा V/S भगवती प्रसाद कलाल
नवंबर-2022 में पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा बीकानेर में एक सरकारी कार्यक्रम में गए हुए थे। वहां जब वे मंच पर भाषण दे रहे थे, तो जिले के कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल भी मंच पर ही बैठे हुए थे। कोई फोन कॉल आने पर कलाल ने उसे रीसीव किया तो मंत्री मीणा भड़क उठे। उन्होंने कलाल को वहां से चले जाने को कह दिया। कार्यक्रम में मौजूद कलेक्टर कलाल की अपने ही मातहत अफसर-कर्मचारियों के बीच बेइज्जती हुई। बाद में आईएएस एसोसिएशन ने यह मामला सीएस उषा शर्मा के सामने रखा और अपना विरोध मंत्री मीणा के खिलाफ प्रकट किया।
जलदाय मंत्री महेश जोशी V/S सुधांश पंत
जलदाय विभाग में करीब 13 महीने पहले नवंबर-2021 में पहली बार मंत्री बने महेश जोशी का विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत के साथ विवाद शुरू हो गया। अंतत: पंत का तबादला प्रदूषण मंडल में किया गया। उसके बाद पिछले एक वर्ष में पंत का दो बार और तबादला किया गया। इस बीच पंत दिल्ली में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए चयनित हुए और डेढ़ महीने पहले पांच वर्ष के लिए दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
डॉ. बी. डी. कल्ला V/S संदीप वर्मा
वर्ष 2020 में तत्कालीन जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला और विभाग के प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा के बीच विभागीय काम-काज में छोटी-छोटी पेचीदगियों को समय पर दूर नहीं कर पाने के चलते विवाद हुआ। अंतत: वर्मा का तुरंत तबादला कर दिया गया।
परिवहन मंत्री बृजेन्द्र ओला V/S संदीप वर्मा
हाल ही प्रमोट होकर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में 19 वें नंबर की सिनियोरिटी पर पहुंचे अतिरिक्त मुख्य सचिव संदीप वर्मा 3 अगस्त 2022 को रोडवेज के चेयरमैन बनाए गए। वहां उन्होंने एक मामले में रोडवेज की पैरवी अदालत में ठीक ढंग से नहीं करने से करोड़ों रुपए का नुकसान होने संबंधी विभाग में बरती गई लापरवाही उजागर की। वे केवल 30 अक्टूबर 2022 तक केवल 88 दिन ही अपने पद पर रह पाए। हालांकि उनसे मंत्री बृजेन्द्र ओला से भी ज्यादा नाराज एक ताकतवर कांग्रेसी पदाधिकारी हुए थे। तब से वर्मा सूचना व प्रौद्योगिकी विभाग संभाल रहे हैं।
प्रमोद जैन भाया V/S 7 आईएएस अफसर
फरवरी 2020 में आईएएस गौरव गोयल को पेट्रोलियम और खान विभाग के निदेशक के पद लगाया गया तो खान मंत्री प्रमोद जैन भाया से उनकी नहीं बन सकी। मात्र पांच महीने बाद जुलाई-2020 में उनका तबादला कर जेडीसी (जयपुर) बनाया गया।
उसके बाद खान विभाग ही के तहत राजस्थान खनिज निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर जनवरी-2019 के बाद से अब तक 6 आईएएस अफसर (पी. रमेश, विकास सीताराम भाले, सोमनाथ मिश्रा, ओमप्रकाश कसेरा, कुंज बिहारी पंड्या, प्रदीप गवांडे) बदले जा चुके हैं। और वर्तमान आईएएस कर्ण सिंह को बदले जाने के लिए भी डीओपी कवायद कर रही है।