कोविड काल के दौरान सत्र 2020-21 के दौरान वसूली गई फीस की 15 फीसदी राशि सभी बोर्डों के स्कूलों को वर्तमान सत्र में समायोजित करनी होगी। इस बीच जो स्टूडेंट्स स्कूल छोड़ चुके हैं, स्कूल प्रबंधन 15 फीसदी राशि उन्हें भी वापस करेगा।
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद शासन की तरफ से भी इसका अनुपालन के लिए आदेश जारी कर दिया गया। गुरुवार को विशेष सचिव डॉ. रूपेश कुमार ने सभी 75 जिलों के डीएम के अलावा जिला विद्यालय निरक्षक समेत शिक्षा निदेशक और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर कड़ाई से अनुपालन की बात कही हैं।
कोविड काल में सरकार ने जारी किया था आदेश
दरअसल, राज्य सरकार ने 27 अप्रैल 2020 को आदेश दिए थे कि कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान लॉकडाउन से उत्पन्न आपात परिस्थितियों के मद्देनजर जनहित और छात्रहित में सभी बोर्डों के सभी विद्यालयों द्वारा शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए शुल्क वृद्धि नहीं की जाएगी। साथ ही शैक्षणिक सत्र 2019-20 में नए प्रवेश और प्रत्येक कक्षा के लिए लागू की गई शुल्क संरचना के अनुसार ही सत्र 2020- 21 में शुल्क लिया जाएगा। यदि किसी विद्यालय द्वारा शैक्षणिक सत्र 2020-21 में शुल्क वृद्धि कर बढ़ी हुई दरों से शुल्क लिया जा चुका है तो बढ़ी अतिरिक्त राशि को आगामी महीनों के शुल्क में किया जाएगा।
लेकिन कुछ स्कूलों ने शासन के इस आदेश का अनुपालन नहीं किया। इस संबंध में हाईकोर्ट ने आदर्श भूषण बनाम उत्तर प्रदेश व अन्य याचिका में बीती 6 जनवरी को आदेश दिए थे कि स्कूलों को लाकडाउन के समय की फीस में से 15 फीसदी लौटानी होगी।
आदेश न मानने वालों पर होगी कार्रवाई
इस आदेश के अनुपालन में शासन ने गुरुवार को शासनादेश जारी करते हुए कहा है कि अगर किसी विद्यालय ने इस आदेश का अनुपालन नहीं किया तो उसके विरुद्ध स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम-2018 की धारा 8 के तहत या अधिनियम की धारा 8 (11) के तहत मण्डलीय स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील की जा सकती है। दोषी पाने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई होगी।