तमिलनाडु में सत्ताधारी द्रमुक के प्रवक्ता शिवाजी कृष्णमूर्ति ने कुछ समय पहले राज्यपाल आरएन रवि को धमकी देते हुए कहा था कि आप कश्मीर जाइये, हम वहां आतंकी भेजेंगे जो आपको गोली मारेगा। इस बयान पर बवाल हुआ था तो दिखाने के लिए भले शिवाजी कृष्णमूर्ति के खिलाफ पार्टी ने कार्रवाई कर दी थी लेकिन उनके विवादित बयान ने साफ कर दिया था कि द्रमुक नेताओं की सेना से जुड़े लोगों के बारे में क्या राय या सोच है। इस घटना को कुछ ही दिन बीते थे कि अब एक द्रमुक नेता और उनके समर्थकों ने भारतीय सेना के जवान एम प्रभु की नृशंस हत्या कर दी। इस घटना ने हर देशवासी को झकझोर कर रख दिया है। सेना के जवान विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी सरहद की रक्षा में तैनात रहते हैं। हम अपने परिवार के साथ खुशहाल और सुरक्षित रह सकें इसके लिए जवान अपने परिवार से दूर सरहदों पर तैनात रहते हैं, वह कभी देख ही नहीं पाते कि उनका बच्चा कब अपने पैरों पर चलना सीख गया और कब वह शादी के लायक हो गया। आम लोग जिस तरह होली-दिवाली, अन्य त्योहार और परिवार के सदस्यों के जन्मदिन आदि धूमधाम से मनाते हैं, वैसा हमारे जवानों को शायद ही कभी नसीब होता है। सेना के जवान कभी रेगिस्तान की धूल तो कभी सियाचिन की बर्फ को झेलते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे होते हैं। सरहद की रक्षा करते समय वह कभी यह परवाह नहीं करते कि कोई गोली यदि उनके सीने में आकर लग जाये तो उनके परिवार का क्या होगा। सेना का हर जवान पूरे देश को अपना परिवार मानता है तमिलनाडु में सेना के एक जवान की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी। क्या यही है सेना के प्रति सम्मान? ऐशो आराम की जिंदगी बिता रहे नेताओं को जरा शहीदों के परिवार से जाकर मिलना चाहिए। परिजन के बिछड़ने और सारा भार परिवार की महिला पर पड़ जाने का दर्द क्या होता है यह जाकर समझना चाहिए, शायद तब द्रमुक जैसे दलों के नेताओं की सोच में कुछ परिवर्तन आये।
जहां तक इस पूरे घटनाक्रम की बात है तो हम आपको बता दें कि सेना पुलिस के साथ श्रीनगर में तैनात प्रभु छुट्टी पर अपने गांव पूचमपल्ली गए थे। आठ फरवरी को प्रभु और उनके भाई प्रभाकरन का पोचमपल्ली के वेल्लमपट्टी में नगर पंचायत की पानी की टंकी के पास कपड़े धोने को लेकर द्रमुक पदाधिकारी चिन्नास्वामी के साथ झगड़ा हो गया था। उसी दिन शाम को चिन्नास्वामी और उसके साथियों ने कथित तौर पर प्रभु और प्रभाकरन पर हमला कर दिया था। प्रभु को होसुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसने 15 फरवरी को दम तोड़ दिया था, जबकि प्रभाकरन का एक अस्पताल में उपचार चल रहा है। प्रभावित परिवार के कुछ सदस्यों के साथ बातचीत के दौरान पता चला कि प्रभु और उनके भाई प्रभाकरन अपने पिता मधैयान को बचाने के लिए दौड़े थे, उसी दौरान उन पर पुरुषों के एक समूह ने हमला किया था। देखते ही देखते दोनों भाइयों को करीब 10 हथियारबंद लोगों ने घेर लिया और उन पर जमकर वार किए। दोनों निहत्थे भाइयों ने हमले का विरोध करने का प्रयास किया लेकिन सब व्यर्थ रहा। इस दौरान प्रभु बेहोश हो गए। परिवार की महिलाओं ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जहां बाद में उनकी मृत्यु हो गयी।
देखा जाये तो देश में सेना के जवान के साथ ऐसी जघन्य घटना पहले कभी नहीं हुई। हर जगह सैनिक का सम्मान होता है लेकिन इस हत्या ने तमिलनाडु को शर्मसार कर दिया है। इस बीच, भारतीय सेना के जवान एम प्रभु की हत्या करने वाले हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर गुरुवार को बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं और पूर्व सैनिकों ने कृष्णागिरी और तमिलनाडु के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच, प्रभु के भाई ने उस दिन की घटना का मीडिया के समक्ष वर्णन करते हुए बताया है कि कैसे द्रमुक के लोगों ने अत्याचार किया। वहीं सेना के जवान प्रभु की पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। इस बीच, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरते हुए सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है