नई दिल्ली: जब आप कोई मोबाइल खरीदते हैं तो सबसे पहले उसके कैमरे के पिक्सल की जानकारी लेते हैं. क्योंकि किसी भी कैमरे के लिए उसे पिक्सल काफी अहम होते हैं. कैमरे में जितने ज्यादा पिक्सल होंगे, फोटो उतनी अच्छी क्वालिटी की आएगी, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंसानी आंखे कितने मेगापिक्सल की होती है. अगर नहीं, तो कोई बात नहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आपकी आंखे कितने मेगापिक्सल की होती हैं और क्या यह कैमरे से बेहतर होती हैं.
अगर देखा जाए तो हमारी आंख किसी डिजिटल कैमरे जैसी ही है. अगर हम आंख की तुलना कैमरे के हिसाब से करें, तो हमारी आंखे 576 मेगापिक्सल तक का दृश्य हमें दिखाती है. यानी कि आंखों की मदद से हम एक बार में 576 मेगापिक्सल का क्षेत्रफल देख सकते हैं. यह रेजोलूशन इतना ज्यादा है कि हमारा दिमाग इसे एक साथ प्रोसेस नहीं कर पाता है.
DSLR और स्मार्टफोन भी फेल
वहीं अगर स्मार्टफोन के कैमरे पर नजर डालें तो यह आपको इतने मेगापिक्सल का कैमरा दूर-दूर तक दिखाई नहीं देगा. आज के समय मोबाइल में कैमरे भी 200 मेगापिक्सल के बनाए जा रहे हैं. 576-मेगापिक्सेल रिजोलूशन इतना ज्यादा होता है कि आप किसी तस्वीर के अलग-अलग पिक्सेल में अंतर नहीं कर सकते. वहीं, अगर बात करें DSLR कैमरा की, तो वे 400 मेगापिक्सल तक की तस्वीर ले सकते हैं.
घट जाती है देखने की क्षमता
हमारी आंखों की ये क्षमता पूरे जिंदगीभर एक समान नहीं रहती है. उम्र ढलने के साथ-साथ आंखों के देखने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है. ऐसा नहीं है कि, अगर कोई एक युवक किसी दृश्य को स्पष्ट और साफ देख पा रहा है, तो एक बुजुर्ग को भी वह बिल्कुल साफ-साफ नजर आएगा.
कमजोर हो जाता है रेटिना
जिस तरह शरीर के बाकी अंग उम्र बढ़ने के साथ-साथ कमजोर हो जाते हैं, उसी तरह बढ़ती उम्र के साथ आंखों का रेटिना भी कमजोर होने लगता है. यही कारण है कि बुजुर्ग लोगों को नजर कमजोर हो जाती है और देखने में परेशानी होती है.