नई दिल्ली: 21वीं सदी को कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी की सदी है. आज हम अपने ज्यादातर काम तकनीक की मदद से कंप्यूटर पर करते हैं. इंटरनेट के आने के बाद कंप्यूटर का इस्तेमाल और भी ज्यादा बढ़ गया. हालांकि, इस दौरान कुछ लोगों ने धोखाधड़ी के लिए नए हथकंडे अपनाए और कई कंप्यूटर वायर तैयार किए. इन वायरस ने लोगों को काफी आर्थिक नुकसान पहुंचाया. ऐसे ही एक वायरस को साल 2004 में बनाया गया था. इस वायरस ने 38,500 करोड़ रुपये का नुकसान किया था. यह वायरस इतना खतरनाक था कि माइक्रोसॉफ्ट ने इसे बनाने वाले शख्स को पकड़ने के लिए 250,000 डॉलर का इनाम देने की घोषणा की थी.
कंपनी ने अपने बयान में कहा था कि माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प Mydoom.B वर्म को रिलीज करने वाले शख्स को गिरफ्तारी करवाने वाले शख्स को 250,000 डॉलर का इनाम देगी. यह प्रस्ताव माइक्रोसॉफ्ट के 5 मिलियन डॉलर के इनाम कार्यक्रम का हिस्सा था. इसे वर्म और वायरस से संबंधित जानकारी देने वाले लोगों को इनाम में दिया जाता है.
इतना ही नहीं वायरस निर्माता को पकड़ने के लिए Microsoft ने FBI, US सिक्रेट सर्विस और इंटरपोल के साथ भी काम किया, लेकिन आज भी इस कंप्यूटर वायरस के निर्माता को पकड़ा नहीं जा सका है. बता दें कि MyDoom को अब तक का सबसे खराब कंप्यूटर वायरस कहा जाता है. इसे 2004 में जारी किया गया था. इस कंप्यूटर मैलवेयर को तकनीकी की भाषा में Worm के रूप में जाना जाता है.
वेबसाइट को करता है टारगेट
यह वायरस ईमेल की मदद से आपके डिवाइस में फैलता है. आपको जान कर हैरान होगी कि एक समय ऐसा था कि जब सेंड किए गए मेल का 25% हिस्सा MyDoom वायरस से घिर जाता था. MyDoom वायरस संक्रमित मशीन से ई-मेल एड्रेस को स्क्रैप करता था. यह वायरस डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) अटैक करता था. इन हमलों का उद्देश्य एक टारगेट वेबसाइट या सर्वर को बंद करना था.
आज भी होता है इस वायरस का इस्तेमाल
हैरान करने वाली बात यह है कि यह वायरस आज भी मौजूद है और साइबर क्रिमिनल लोग आज भी इससे जनरेट मेल्स का इस्तेमाल करते हैं. इसे शिमगापी और नोवार्ग के नाम से भी जाना जाता है. मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक इस वायरस ने उस समय 38 बिलियन डॉलर का नुकसान किया था.