यूपी STF ने सोमवार रात ट्रांसपोर्टर से मिलकर ट्रकों को RTO से चेकिंग से बचाने के नाम पर वसूली करने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया।
STF के मुताबिक गिरोह के सरगना सतीश सोनी ने बताया कि उसके साथी कई जिलों के RTO के वाहन की रात की लोकेशन लेते रहते थे।
इसके लिए हाईवे पर लग्जरी गाड़ियों से घूमते थे। फिर उनकी लोकेशन ट्रांसपोर्ट को देकर ट्रकों का रास्ता बदलवा देते या कुछ देर के लिए सड़क किनारे रुकवा देते थे।
हाईवे पर घूम-घूम कर लेते थे RTO की लोकेशन
ट्रांसपोर्टर से लेते थे हर महीने 5 हजार रुपए
पूछताछ में यह भी सामने आया है कि यह लोग इसके बदले ट्रांसपोर्ट से प्रति महीने प्रति ट्रक के हिसाब से 5 हजार रुपए वसूलते थे। इसके चलते STF ने विभूतिखंड में इस मामले में FIR दर्ज करवा दी।
STF के डिप्टी एसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक, गिरोह का सरगना सतीश सोनी है। विभूतिखंड निवासी सतीश के साथ गिरोह के सदस्य बस्ती निवासी विशाल गौतम व मुकुल और उत्तराखंड निवासी राहुल को गिरफ्तार किया गया है।
लखनऊ की सीमा से जुड़े जिलों में करते थे खेल
सरगना सतीश का ओवरलोड ट्रक को पास कराने का खेल लखनऊ से सटे बाराबंकी, हरदोई, उन्नाव, सीतापुर समेत कई जिलों में था। इसके लिए वह वहां के ट्रांसपोर्टरों के संपर्क में था। इस गिरोह की मदद से ही ट्रांसपोर्टर अपनी ओवरलोड ट्रक भेजते रहते हैं।
ऐसे करते थे खेल
सतीश ने पूछताछ में बताया कि उनकी टीम अगर कानपुर रोड पर RTO चेकिंग कर रहे हैं तो गिरोह के सदस्यों से इस बारे में पता चलने पर इस रूट पर आने वाले ट्रकों को दूसरे रास्ते से जाने को कह देते थे।
अगर दूसरा रास्ता काफी दूर होता तो वह ट्रक को किसी ढाबे पर ही रुकवा देता था। फिर RTO के हटने के बाद ही वह ट्रक को वहां से गुजरने देता था। वहीं अगर किसी का ट्रक पकड़ जाता है तो वह उसका जुर्माना भरता था। RTO की लोकेशन ट्रेस करने वाले सदस्यों को वह हर महीने पैसा देता था।
विदेशी पिस्टल, फर्जी लाइसेंस
सूत्रे के मुताबिक, सरगना सतीश के पास विदेशी पिस्टल के साथ दर्जनों कारतूस भी मिले हैं। जिसका लाइसेंस फर्जी है।
मर्सिडीज से चलता था सरगना
STF जांच में सामने आया है कि सरगना सतीश मर्सिडीज से चलता था और गिरोह के सदस्य भी लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे। वह गिरोह के अन्य सदस्यों से वॉकी-टॉकी से संपर्क में रहता था। उसी से आपस में बातचीत करते थे। इसके पीछे आसानी से एक साथ बातचीत हो जाती थी। वहीं, मोबाइल लोकेशन ट्रेस होने का डर नहीं रहता था।