नई दिल्ली: पाकिस्तानी नौसेना के लिए ‘अभ्यास अमन’ एक गौरव का क्षण है. यह इसका सबसे बड़ा अभ्यास है, जो 10 फरवरी से शुरू होने जा रहा है, लेकिन उसकी उम्मीदों को जोरदार झटका उस वक्त लगा, जब पाक नेवी द्वारा आमंत्रित किए गए 110 देशों में से केवल सात ने ही जहाजों या पनडुब्बियों को भेजने की जहमत उठाई. हर दो साल में चार दिनों तक होने वाले इस अभ्यास में शामिल होने के लिए ज्यादातर देशों की तरफ से दिलचस्पी ना दिखाना पाकिस्तान के बढ़ते अलगाव और भागीदारी में कमी का एक अहम संकेत देता है.
इस साल केवल सात देशों – संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, इटली और जापान – ने ‘अमन अभ्यास’ के लिए अपने जहाज भेजे हैं. हालांकि, अमेरिका की मौजूदगी पाकिस्तान के लिए राहत भरी खबर है. जबकि अमेरिकी नौसेना मालाबार जैसे अभ्यास के लिए एक परमाणु-संचालित विमान वाहक सहित एक संपूर्ण युद्ध समूह भेजती है, जो हर साल या तो हिंद महासागर में या जापान के सागर में या प्रशांत महासागर में होता है, उसने ‘अभ्यास अमन’ के लिए एक विध्वंसक जंगी जहाज भेजा है.
अन्य देशों की भागीदारी भी जहाजों के मामले में बेहद कम है. एकमात्र देश जो एक बड़ी कोशिश करती नजर आ रही है, वह है पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त चीन. इस बात की काफी चर्चा है कि एक पारंपरिक पनडुब्बी अभ्यास में भाग लेगी, लेकिन अभी तक इसकी कोई अंतिम पुष्टि नहीं हुई है. तुर्की की तरफ से भी जहाजों और एक विमान भेजने की उम्मीद थी, लेकिन भूकंप के बाद ऐसा होगा या नहीं यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है.
‘अभ्यास अमन’ की कम होती अहमियत अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में पाकिस्तान की कठिनाइयों का स्पष्ट संकेत देती है. जबकि पाकिस्तान वर्तमान में एक बड़े वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, फिर भी देश का सशस्त्र बल, विशेष रूप से पाकिस्तानी सेना पर इसका कोई असर नहीं.