नई दिल्ली: वायरस डिजिटल वर्ल्ड की सबसे बड़ी समस्या है. हर महीने 5000 से अधिक नए वायरस बनाये और रिलीज किये जाते हैं. आज हर शख्स अपना कोई न कोई काम कंप्यूटर की मदद से ही करता है. इसके लिए लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. दुनियाभर में इंटरनेट का जाल समुद्र की तरह फैला हुआ है, जिसमें कंप्यूटर वायरस एक व्हेल मछली की तरह है जो एक बार ही लाखों रुपये का नुकसान कर देता है. ऐसा ही एक वायरस MyDoom था जिसने 385 बिलियन डॉलर (38,500 करोड़ रुपये) का नुकसान किया था.
MyDoom को इतिहास का सबसे खराब कंप्यूटर वायरस भी कहा जाता है. इसे 2004 में जारी किया गया था. इस कंप्यूटर मैलवेयर को तकनीकी की भाषा में Worm के रूप में जाना जाता है. यह वायरस ईमेल की मदद से आपके डिवाइस में फैलता है. एक समय सेंड किए गए मेल का 25% हिस्सा MyDoom वायरस से घिर जाता था.
MyDoom वायरस संक्रमित मशीन से ई-मेल एड्रेस को स्क्रैप कर देता था. यह वायरस डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) अटैक करता था. इन हमलों का उद्देश्य एक टारगेट वेबसाइट या सर्वर को बंद करना था. हैरान करने वाली बात यह है कि यह वायरस आज भी मौजूद है और साइबर क्रिमिनल लोग आज भी इससे जनरेट मेल्स का इस्तेमाल करते हैं.
आज भी होता है इसका इस्तेमाल
हर रोज भेजे जाने वाले फिशिंग ईमेल को इसी के द्वारा भेजा जाता है. जानकारी के अनुसार MyDoom ने अपने निर्माण के बाद से अब तक प्रति वर्ष 1.2 बिलियन एड्रेस को स्क्रैप करता है और फिर कंप्यूटर को संक्रिमत करता है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस वायरस के निर्माता को पकड़ने के लिए सरकारों ने इनाम भी रखा था, लेकिन आज भी इस कंप्यूटर वायरस के निर्माता को पकड़ा नहीं जा सका है.