संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान चित्तौड़गढ़ से बीजेपी सांसद सीपी जोशी ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को शबरी और पीएम नरेंद्र मोदी को राम बता दिया। पीएम के कामकाज की तारीफ करते हुए जोशी ने ये बात कही। संसद में जोशी के बोलते ही सांसदों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। अब इस तुलना पर सियासी विवाद की संभावना है।
सीपी जोशी ने कहा- देश के प्रधानमंत्री अपने आपको शासक नहीं प्रधान सेवक मानकर गर्व करते हैं। एक नरेंद्र वह थे, जिन्होंने कहा था लक्ष्य की पूर्ति तक मत रुको। एक नरेंद्र ये हैं जो चलते रहो के सिद्धांत को अपनाकर देशसेवा के लिए निकल पड़े हैं। गरीब को गणेश मानकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा- त्रेता युग में माता शबरी श्री राम का स्वागत करने के लिए आतुर थीं। आज हम लोग संयुक्त सत्र की बात करें। राष्ट्रपति आज जब संसद में प्रवेश कर रही थीं, तब ऐसा लग रहा था कि उस समय त्रेतायुग में शबरी श्रीराम का स्वागत कर रही थीं। अभी ऐसा लग रहा था, जैसे श्रीराम शबरी का स्वागत करने के लिए, उनका अभिनंदन करने के लिए संसद के द्वार पर खड़े हैं। उनके स्वागत के लिए, उनके अभिनंदन के लिए।
सांसद ने कहा- प्रधानमंत्री देश को आगे बढ़ाने के लिए दूरदर्शिता से काम कर रहे हैं। उनके विजन से देश आगे बढ़ रहा है। पीएम अपने विजन से देश को विकसित बनाने और प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए काम कर रहे हैं।
आज हमारा सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जी-20 देशों की अगुवाई हम कर रहे हैं। जी-20 देश सकल घरेलू उत्पाद का 85% भागीदारी रखता है, जो वैश्विक व्यापार में 75% हिस्सेदारी रखता है, जो दुनिया की दो-तिहाई आबादी का नेतृत्व करते हैं। ऐसे देशों की अध्यक्षता करने का अवसर भारत को मिला, इससे विदेशों में भारत की छवि मजबूत हुई है।
राम की भक्त थीं शबरी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शबरी राम की परम भक्त थीं। राम और लक्ष्मण जब वनवास में थे, तब शबरी से मिले थे। शबरी और राम की कहानी में जिक्र आता है कि शबरी ने राम को जंगली बेर खिलाए थे। बेर मीठे और बिना कीड़ों के हों यह सुनिश्चित करने के लिए शबरी ने हर बेर को चखकर देखा, यही झूठे बेर राम को खिलाए थे। कहा जाता है कि राम ने अपनी भक्त के हाथों से वे झूठे बेर खाए थे।
राष्ट्रपति की शबरी से तुलना इसलिए गलत
बीजेपी सांसद ने राष्ट्रपति की शबरी से तुलना करके प्रोटोकॉल का भी ध्यान नहीं रखा। शबरी राम की भक्त थीं। इस तुलना से राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री का भक्त बता दिया। राष्ट्रपति का पद संवैधानिक और सर्वोच्च पद है। राष्ट्रपति के नाम से ही पूरा शासन चलता है, ऐसे में सांसद की तुलना पर सवाल खड़े हो रहे हैं। फिलहाल इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों से रिएक्शन आना बाकी है।