विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी आज विधानसभा में प्रदेश के सारे प्रमुख आईएएस अफसरों की क्लास लेंगे। विधानसभा में विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब समय पर तैयार करके नहीं देने और सदन में मंत्रियों द्वारा दिए गए प्रस्तावों-आश्वासनों पर कार्रवाई की जानकारी नहीं देने के कारण सीपी जोशी प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी से जबरदस्त नाराज हैं। उन्होंने बुधवार को तमाम विभागों के शासन सचिव, प्रमुख शासन सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव के पदों पर कार्यरत आईएएस अफसरों को विधानसभा के समिति कक्ष में दोपहर 3 बजे तलब किया है।
इस बारे में मुख्य सचिव उषा शर्मा को विधानसभा सचिवालय ने 2 बार पत्र लिखे हैं। राजस्थान सरकार के संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव ज्ञान प्रकाश गुप्ता ने इस बारे में सभी आईएएस अफसरों को आदेश जारी कर बुधवार दोपहर 3 बजे विधानसभा पहुंचने के लिए कहा है। वर्तमान में 15वीं विधानसभा चल रही है। अध्यक्ष जोशी ने 15वीं और उससे पहले 14वीं विधानसभा (2013-2018) के प्रश्नों, आश्वासनों, प्रस्तावों पर भी अब तक जवाब नहीं देने और कार्रवाई नहीं करने पर नाराजगी जताई है। उस पर भी अफसरों से जवाब तलब किया है।
प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी और राजनीतिक व्यवस्था के इतिहास में यह पहला मौका है, जब विधानसभा के किसी अध्यक्ष ने इस तरह से आईएएस अफसरों को डायरेक्ट अपने यहां बुलाकर जवाब-तलब करना चाहा है। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से भेजे गए पत्र में साफ-साफ लिखा है कि प्रश्न व संदर्भ समिति और अध्यक्ष के स्तर पर प्रश्नों का जवाब नहीं देने, प्रस्तावों की जानकारी अब तक तैयार नहीं करने, ध्यानाकर्षण प्रस्तावों के तहत मंत्रियों के स्तर पर दिए गए आश्वासनों की जानकारी मुहैया नहीं करवाने को अफसरों के स्तर पर गंभीर लापरवाही और उदासीनता बरतना माना गया है।
प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इसे लेकर चिंता व तनाव है। कुछ आईएएस अफसरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोई भी अफसर अपने विभागीय मंत्री और सरकार के प्रति जवाबदेह होता है। सीधे तौर पर विधानसभा अध्यक्ष के प्रति उनकी जवाबदेही नहीं होती है। ऐसे में अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा इस तरह से विधानसभा में बुलाना आश्चर्यजनक है।
इधर विधानसभा के प्रश्न व संदर्भ समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार लीलावली (कांग्रेस) ने बताया कि अफसरों को अपनी जिम्मेदारी समझनी ही चाहिए। जवाब और कार्रवाई की जानकारी तो देनी ही होती है। उस में अनावश्यक देरी करना उचित नहीं है। स्पीकर सभी विधायकों के अधिकारों के संरक्षक हैं, तो उन्होंने उचित कदम उठाया है।
जोशी ने मांगा अब तक जवाब नहीं देने का कारण
स्पीकर जोशी ने सभी विभागों के अफसरों से पूछा है कि अब तक यह जवाब क्यों नहीं दिए गए इसका कारण बताया जाए। कौन से अफसर पदस्थापित हैं, जिनकी वजह से ऐसा हुआ, उनकी सूचियां भी लाई जाए। किन अफसरों ने लापरवाही बरती यह भी बताया जाए। इस बारे में विधानसभा सचिवालय की ओर से मुख्य सचिव उषा शर्मा को 30 जनवरी और 31 जनवरी को 2 पत्र लिखे गए हैं। उसके बाद मुख्य सचिव ने संसदीय कार्य विभाग को जानकारी दी, जिसने 3 फरवरी को सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव और शासन सचिव को पत्र भेजकर विधानसभा में व्यक्तिश: उपस्थित होने को कहा है। संसदीय कार्य विभाग के मंत्री शांति धारीवाल हैं।
क्या होता है प्रस्ताव और आश्वासन
सदन की कार्यवाही के दौरान जब विधायक कोई सवाल पूछते हैं, तो उनके जवाब देने के दौरान मंत्रियों के स्तर पर प्रस्ताव व आश्वासन दिए जाते हैं। उनके तहत होने वाली कार्रवाई की जानकारी दी जाती है। वो कार्रवाई आगे हुई या नहीं इसकी जानकारी फिर सदन में देनी होती है। उनके बारे में ही सदन के स्तर पर एक प्रश्न व संदर्भ समिति गठित है। इस समिति के समक्ष ही अब अफसरों को जवाब देने होंगे कि लेटलतीफी क्यों हुई।
कई बार मैंने सदन में मामला उठाया है, जोशी की पहल सराहनीय है
सदन में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बताया कि मैंने कई बार सदन में यह मामला उठाया है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम हो चुकी है। विधायकों के सवालों के जवाब नहीं देने और मंत्रियों द्वारा सदन में दिए गए आश्वासनों पर कोई कार्रवाई नहीं करना लोकतंत्र का सबसे बड़ा अपमान है। अफसरों ने 2-3 साल पुराने प्रतिवेदन तक सदन में प्रस्तुत कर दिए, जबकि उन्हें हमेशा चालू वर्ष के प्रतिवेदन ही रखने चाहिए। यह विधायकों को गुमराह करने जैसा है।
सदन के नेता सीएम अशोक गहलोत ने कभी अफसरों की इस प्रवृत्ति पर ध्यान ही नहीं दिया है। ऐसे में अफसर विधायकों की परवाह क्यों करेंगे। मैं सराहना करता हूं सदन के अध्यक्ष सीपी जोशी की, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा की है। अफसरों को सोचना चाहिए कि वे जनता के नौकर होकर जनता के सेवकों (विधायकों) के सवालों का जवाब क्यों नहीं देते हैं। अध्यक्ष जोशी पर ऐसे में अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करनी चाहिए।
आईएएस अफसर ही होते हैं विधानसभा की समितियों के प्रति जवाबदेह
संसदीय मामलों के विशेषज्ञ और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी का कहना है कि आईएएस अफसर ही विधानसभा की तमाम समितियों के प्रति जवाबदेह होते हैं। इस मामले में भी प्रश्न व संदर्भ समिति के सामने अफसरों को ही जवाब देना होगा। मंत्री केवल सदन में वक्तव्य देने के लिए होते हैं, उन वक्तव्यों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए केवल अफसर ही जिम्मेदार व जवाबदेह होते हैं। विधानसभा की दूसरी समितियों के सामने भी अफसरों को ही जवाब देना होता है। सदन के स्पीकर जोशी ने बेशक यह अच्छा कदम उठाया है।