बच्चों पर बढ़ रहा साइबर बुलिंग का खतरा, इंटरनेट पर सचेत रहने की जरुरत

बच्चों पर बढ़ रहा साइबर बुलिंग का खतरा, इंटरनेट पर सचेत रहने की जरुरत

नई दिल्ली: दुनियाभर में आज सेफ इंटरनेट डे मनाया जा रहा है. सुरक्षित और बेहतर इंटरनेट प्रदान करने के उद्देश्य से हर साल फरवरी में सुरक्षित इंटरनेट दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस बार यह 7 फरवरी को मनाया जा रहा है. ‘सेफ इंटरनेट डे’ का उद्देश्य लोगों के लिए सुरक्षित इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराना है. सुरक्षित इंटरनेट दिवस एक वैश्विक पहल है जिसका लक्ष्य इंटरनेट को सभी के लिए एक बेहतर और सुरक्षित स्थान बनाना है. सेफ इंटरनेट डे को 2004 में ईयू के ‘बच्चों के लिए बेहतर इंटरनेट’कार्यक्रम के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था.

आज के आधुनिकता के दौर में हमारी जरुरत सिर्फ रोटी कपड़ा मकान तक सिमित नहीं रह गई है. हमारी जरुरतों की लिस्ट में इंटरनेट का नाम भी जुड़ चुका है.आज बच्चे , जवान और क्या बुजुर्ग सभी इंटरनेट का यूज करते हैं. इंटरनेट के जितने फायदे हैं उसके नुकसान भी उतने ही हैं. इंटरनेट के इस्तमाल से कई तरह के अपराध भी होते हैं. इनमें ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर बुलिंग के मामले बहुत ज्यादा हैं. ऐसे में लोगों को इंटरनेट पर होने वाले साइबर क्राइम से बचाने और इंटरनेट के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल सेफ इंटरनेट डे मनाया जाता है.

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McAfee की रिपोर्ट कहती है कि 85% भारतीय बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं. इसलिए यह जरूरी है कि हम आज के युग में एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण बनाएं. इस संबंध में ट्रीहाउस विद्यालय के संस्थापक राजेश भाटिया का कहना है कि आज यह बेहद जरूरी है कि छात्रों को इंटरनेट प्रोटोकॉल सिखाया जाए और घर और स्कूलों में एक सुरक्षित माहौल बनाया जाए जहां वे बिना किसी हिचकिचाहट के ऑनलाइन मुद्दों पर चर्चा कर सकें. उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चों को इंटरनेट का उपयोग करने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें सुरक्षित तरीके से इसका इस्तेमाल करना सिखाया जा सकता है.

क्या होती है साइबर बुलिंग?

साइबर बुलिंग एक तरह से ऑनलाइन रैगिंग है. यह इंटरनेट के माध्यम से होने वाला शोषण है. इसमें किसी को धमकी देना, उसके खिलाफ अफवाह फैलाना, भद्दे कमेंट, अश्लील भाषा, फोटो का गलत इस्तेमाल आदि काम किया जाते हैं. ऑनलाइन गेम के जाल में फंसा कर रुपये ऐंठना भी बुलिंग नया प्रचलित तरीका है.

कैसे होती साइबर बुलिंग?

अगर बच्चों में अचानक ही अवसाद बढ़े, सामाजिक आयोजन से डरे, कंप्यूटर या मोबाइल से डरे, नींद-भूख बढ़ या घट जाये, हिंसक या अति निराशावादी जैसे लक्षण नजर आए तब आप समझ जाएं कि कुछ ना कुछ गड़बड़ है. साइबरबुलिंग के शिकार लोगों के लिए यह भयावह और हानिकारक हो सकती है. ऐसे में उनसे बात कर उनकी समस्या को समझें.

साइबर बुलिंग कैसे रोकें?

साइबरबुलिंग कई तरह से होती है. इसमें ट्रोलिंग, साइबर उत्पीड़न, धोखा, और फ्लेमिंग शामिल हैं. इसे रोकने के लिए आप अपने बच्चे को समझाए कि वह किसी के लिए आपत्तिजनक कंटेंट ना डाले. अपने बच्चे की ऑनलाइन एक्टिविटीज पर नजर रखे.

अपने बच्चे के साथ प्रत्येक अकाउंट पर जाएं और प्राइवेसी सेटिंग्स की सुरक्षा सुनिश्चित करें. बच्चों को फेक अकाउंट के बारे में आगाह करें. इस बात पर जोर दें कि आपका बच्चा कभी किसी के साथ अपना पासवर्ड शेयर ना करे. इसके अलावा आप mwcd@gov.in पर जाकर इसकी शिकायत कर सकते हैं.


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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