Jammu-Kashmir: अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई से बौखलाया गुपकार गैंग, कोई फिलस्तीन तो कोई इजराइल से कर रहा तुलना

Jammu-Kashmir: अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई से बौखलाया गुपकार गैंग, कोई फिलस्तीन तो कोई इजराइल से कर रहा तुलना

जम्मू-कश्मीर में सरकारी भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अभियान से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को तगड़ी मिर्ची लगी है। वर्षों तक सरकारी भूमि पर रसूखदार लोग कब्जा करते रहे और उन्हें अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों का संरक्षण प्राप्त रहा। लेकिन 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में बड़े बदलाव आये हैं। इसी कड़ी में उन लोगों से सरकारी जमीन छुड़ाई जा रही है जिनके यहां कार्रवाई करने के बारे में पहले प्रशासन सोच भी नहीं सकता था। रसूखदारों की सारी हेकड़ी निकलने से जम्मू-कश्मीर के आम लोग तो बेहद खुश हैं लेकिन गुपकार गठबंधन आग बबूला हो गया है। महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर में अफगानिस्तान दिखाई दे रहा है तो उमर अब्दुल्ला को सोते-जागते बुलडोजर नजर आ रहा है। वहीं सज्जाद लोन को भी लग रहा है कि प्रशासन की यह कार्रवाई गलत है। लेकिन आम कश्मीरी इस समय घाटी में वह परिवर्तन देख रहे हैं जिसकी कभी वह कल्पना ही कर सकते थे।

गुपकार नेताओं के बयान

जहां तक अतिक्रमणरोधी कार्रवाई के खिलाफ गुपकार नेताओं के बयानों की बात है तो आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश को अफगानिस्तान में बदल दिया है और वह अतिक्रमण रोधी अभियान के तहत गरीब तथा वंचितों के मकान ढहाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल कर रही है। वहीं उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सरकारी जमीनों को कब्जे से मुक्त कराने के लिए चलाए जा रहे अतिक्रमण रोधी अभियान पर रोक लगानी चाहिए और लोगों को संबंधित संपत्तियों पर अपना दावा साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए। दूसरी ओर, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने उपराज्यपाल प्रशासन की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि उसकी दिलचस्पी जमीन वापस लेने से ज्यादा लोगों को अपमानित करने में है।

महबूबा का दर्द

महबूबा मुफ्ती ने प्रशासन की कार्रवाई की आलोचना तो की है साथ ही देश में विपक्षी नेताओं से भाजपा द्वारा किए जा रहे कथित अत्याचारों के प्रति मूक दर्शक न बने रहने की अपील भी की। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपने प्रचंड बहुमत का इस्तेमाल संविधान को ‘‘ढहाने’’ के लिए कर रही है। महबूबा ने कहा, ‘‘फलस्तीन फिर भी बेहतर है। कम से कम लोग बात करते हैं। जिस तरीके से लोगों के मकानों को ढहाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे तो कश्मीर की स्थिति अफगानिस्तान से भी बदतर हो रही है। लोगों के छोटे-छोटे मकानों को ढहाने का उद्देश्य क्या है।’’ महबूबा ने कहा कि संविधान के बारे में बात करने वाले व्यक्ति की आवाज दबायी जा रही है। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या अनुच्छेद 370 को हटाया जाना संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप था?

उमर अब्दुल्ला भड़के

उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘बुलडोजर सरकार का पहला विकल्प नहीं हो सकता। लोगों को परेशान करना सरकार का काम नहीं है। उसका काम लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने का होता है।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी सरकारी जमीनों पर कब्जे के खिलाफ है, लेकिन प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के दौरान तय कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। सोशल मीडिया पर प्रसारित कथित अतिक्रमणकारियों की सूचियों पर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें गुपकर रोड पर स्थित अपना पैतृक मकान उस सूची में शामिल होने की आशा नहीं थी, क्योंकि उसका पट्टा अभी चल रहा है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘मेरी बहन इस मामले में उच्च न्यायालय गयीं, जहां सरकार के वकीलों ने बताया कि सार्वजनिक मंचों पर उपलब्ध सूचियां फर्जी हैं। ऐसे में फिलहाल किस आधार पर बुलडोजर चल रहे हैं?’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी ध्वस्तीकरण हो रहा है, वहां के लिए कोई छानबीन नहीं हुई है और मीडिया को पहले ही सूचना दे दी गई, लेकिन वहां रहने वालों को सूचित नहीं किया गया। अब्दुल्ला ने कहा कि आरोप लग रहे हैं अधिकारी अवैध रूप से लाभ कमाने के लक्ष्य से अतिक्रमण रोधी अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास सूचना है कि इन सूचियों में जिनके नाम हैं उनसे नाम हटवाने के एवज में 1.5 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। ये वैसे लोग हैं जिनकी संपत्ति का पट्टा चल रहा है या जिनके पास उसका मालिकाना हक है, इसके बावजूद उन्हें बिना किसी कागजात के ध्वस्तीकरण का सामना करना पड़ रहा है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को अतिक्रमण रोधी अभियान रोक देना चाहिए और जिन लोगों ने सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है, उनकी सूची जारी करनी चाहिए।

कांग्रेस का प्रदर्शन

इस बीच, कांग्रेस ने भी अतिक्रमण रोधी अभियान के खिलाफ जम्मू, श्रीनगर तथा केंद्रशासित प्रदेश के कई अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया। श्रीनगर में कांग्रेस नेता मोहम्मद अनवार भट ने आरोप लगाया कि अतिक्रमण रोधी अभियान इसलिए शुरू किया गया है ताकि भाजपा शासित केंद्र सरकार पिछले महीने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने के बाद अडाणी समूह को हुए नुकसान की ‘‘भरपाई’’ के लिए उसे जमीन दे सके।

प्रशासन ने दिया भरोसा

इस बीच, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान उन घरों और दुकानों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, जिन पर परिवारों की आजीविका निर्भर करती है। जम्मू शहर के अपर-नरवाल सुंजुवान इलके में अतिक्रमण-रोधी अभियान के खिलाफ लोगों की ओर से पथराव किये जाने की घटना के एक दिन बाद जम्मू की उपायुक्त अवनी लवासा का यह बयान आया। उल्लेखनीय है कि इस घटना में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था। उन्होंने आगे कहा कि जिला प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई इसलिये की गई क्योंकि अवैध रूप से बनाए गए एक प्रमुख शोरूम को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन वह निर्धारित समय के अंदर कोई स्पष्टीकरण सौंपने में नाकाम रहा। उन्होंने कहा कि यह एक जन-हितैषी अभियान है और केवल उन लोगों के खिलाफ है, जिन्होंने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके निहित स्वार्थों के लिए राज्य की भूमि पर कब्जा जमा लिया है। लवासा ने कहा कि यह कार्रवाई लोगों के लाभ के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि वापस ली गई भूमि का इस्तेमाल जन-हितैषी गतिविधियों के लिए किया जाएगा।

उपराज्यपाल का आश्वासन

दूसरी ओर, अतिक्रमण रोधी अभियान को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने लोगों को आश्वस्त किया है कि प्रशासन केंद्र-शासित प्रदेश के निवासियों और आम आदमी की आजीविका की रक्षा करेगा। उन्होंने इस दावे को ‘‘भ्रामक सूचना’’ बताया कि पिछले महीने जम्मू-कश्मीर में शुरू किए गए अतिक्रमण रोधी अभियान का असर आम आदमी पर पड़ेगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रशासन निवासियों और आम आदमी की आजीविका की रक्षा करेगा। अपने पद का दुरुपयोग करने वाले और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने के लिए कानून का उल्लंघन करने वाले प्रभावशाली तथा शक्तिशाली लोग ही कानूनी कार्रवाई का सामना करेंगे।’’ उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘गैरकानूनी तरीके से जमीन हथियाने वाले लोगों को ही हटाया जा रहा है। मैंने निजी तौर पर उपायुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को अभियान पर करीबी नजर रखने तथा यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि किसी भी तरीके से कोई निर्दोष व्यक्ति प्रभावित न हो।’’

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